सरकारी स्कूल के बच्चों को खिलाया कुत्तों का जूठा खाना, अब 84 बच्चों को देने होंगे 25-25 हजार रुपये

28 जुलाई 2025 को पलारी ब्लॉक के लच्छनपुर सरकारी मिडिल स्कूल में मिड-डे मील के तहत बच्चों को वह भोजन परोसा गया, जिसे आवारा कुत्ते पहले ही जूठा कर चुके थे. बच्चों ने जब इसकी शिकायत अभिभावकों से की तो स्कूल समिति की बैठक हुई और दबाव में आकर छात्रों को एंटी-रेबीज वैक्सीन दी गई.

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बिलासपुर के सरकारी स्कूल में मिड-डे मील में कुत्तों का झूठा भोजन परोसा गया. (Photo: ITG) बिलासपुर के सरकारी स्कूल में मिड-डे मील में कुत्तों का झूठा भोजन परोसा गया. (Photo: ITG)

मनीष शरण

  • बिलासपुर,
  • 20 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 11:53 AM IST

बिलासपुर, छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले के लच्छनपुर सरकारी मिडिल स्कूल में बच्चों को मिड-डे मील के तहत कुत्तों का जूठा खाना परोसे जाने के मामले में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने पूरे मामले को बेहद गंभीर और संवेदनशील मानते हुए पीड़ित बच्चों को 25-25 हजार रुपये मुआवजा एक माह के भीतर देने का आदेश दिया.

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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का स्पष्ट निर्देश है

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इस तरह की घटना बच्चों के स्वास्थ्य और जीवन से खिलवाड़ है. अदालत ने शिक्षा सचिव को चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए ठोस व्यवस्था की जाए. अदालत ने यह भी निर्देश दिए कि जिन बच्चों ने कुत्तों का जूठा खाना खाया है, उनका पूरा वैक्सीनेशन अभियान सुनिश्चित किया जाए.

मामला कैसे सामने आया

3 अगस्त को मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि 28 जुलाई 2025 को पलारी ब्लॉक के लच्छनपुर सरकारी मिडिल स्कूल में मिड-डे मील के तहत बच्चों को वह भोजन परोसा गया, जिसे आवारा कुत्ते पहले ही जूठा कर चुके थे. बच्चों ने जब इसकी शिकायत अभिभावकों से की तो स्कूल समिति की बैठक हुई और दबाव में आकर छात्रों को एंटी-रेबीज वैक्सीन दी गई.

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आंकड़ों में उलझन, कोर्ट का स्पष्ट आदेश

खबरों में वैक्सीनेशन को लेकर अलग-अलग दावे सामने आए. कहीं 78 बच्चों को वैक्सीन लगाने की बात कही गई, तो कहीं 83 बच्चों को. लेकिन हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि सभी 84 बच्चों को मुआवजा और वैक्सीनेशन दोनों मिलना चाहिए.

शिक्षा सचिव से जवाब तलब

पिछली सुनवाई में अदालत ने शिक्षा सचिव से व्यक्तिगत हलफनामे में जवाब मांगा था. प्रस्तुत एफिडेविट को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि अब इस मामले में लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी और बच्चों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए.

नसीहत और चेतावनी

अदालत ने कहा कि यह केवल मुआवजे का मामला नहीं है, बल्कि बच्चों के स्वास्थ्य और उनके भविष्य से जुड़ा गंभीर सवाल है. ऐसे मामलों में यदि लापरवाही बरती गई तो जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.

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