इंसान को भरपूर नींद लेना काफी जरूरी है. कई बार पर्याप्त नींद न लेने की वजह से इंसान को तरह-तरह की परेशानियों से गुजरना पड़ता है. अगर कोई नींद की कमी से ज्यादा जूझ रहा है तो उसकी सेहत भी खराब रहना शुरू कर देती है. नींद की कमी की वजह से भारत समेत पूरे विश्व में कई बड़े हादसे हो चुके हैं. इनमें कुछ हादसे तो ऐसे थे, जिनमें सैंकड़ों लोगों की जान चली गई.
नींद की वजह से प्लेन क्रैश का एक बड़ा हादसा साल 2010 में भारत के मंगलौर में हुआ था. इस हादसे में 158 लोगों की जान चली गई थी. हादसे से पहले प्लेन को उड़ा रहा पायलट नींद में था, जिस वजह से वह ठीक से कंट्रोल नहीं कर पाया और प्लेन क्रैश हो गया.
नासा चैलेंजर हादसा
नासा चैलेंजर हादसा ग्राउंड स्टेशन पर लॉन्च का फैसला लेने वाले दो मैनेजर्स कि गलती से हुआ था. वो 23 घंटे से लगातार काम कर रहे थे. लॉन्च से पहले की जरूरी मीटिंग्स में कुछ तकनीकी दिक्कतों को लेकर चर्चा की गई. बहस भी हुई. इसके बावजूद उन्होंने लॉन्च को हरी झंडी दे दी. 28 जनवरी, साल 1986 को अमेरिका के फ्लोरिडा से स्पेस शटल चैलेंजर लॉन्च हुआ. नींद की कमी की वजह से लिए गए गलत फैसले से 73 सेकेंड के बाद ब्लास्ट हुआ, जिसमें सातों अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई.
अमेरिका का तेल रिसाव हादसा
नींद की कमी की वजह से ही अमेरिका में तेल रिसाव का 24 मार्च 1989 को भी एक बड़ा हादसा हुआ था. इस हादसे के समय ऑयल टैंकर पर सवार लोग नींद की कमी से जूझ रहे थे. इसी वजह से ब्लिग रीफ आइलैंड को स्पॉट नहीं कर पाए और टैंकर प्रिंस विलियम साउंड क्षेत्र, अलास्का में टकरा गया. इस दौरान 1300 बिलियन गैलन ऑयल समुद्र में बह गया, जिस वजह से 1300 मील तक कोस्टलाइन प्रदूषित हो गई.
29 सितंबर, साल 2016 में अमेरिका के न्यूजर्सी में मेट्रो ट्रेन चला रहे इंजीनियर को नींद से जुड़ी बीमारी स्लीप एपनिया होने की वजह से बड़ा हादसा हो गया. इस हादसे में 114 यात्री घायल हुए, जबकि एक यात्री की मौत हो गई. जिस समय यह हादसा हुआ, उस समय ट्रेन इंजीनियर बेहद थकान महसूस कर रहा था, जिस वजह से समय से ब्रेक नहीं लगा पाया और ट्रेन टर्निमल वॉल से टकरा गई.
भारत के ये आंकड़ें चौंका देंगे
इन हादसों के अलावा भारत को लेकर आई एक रिपोर्ट आपकी जरूर नींद उड़ा देगी. रिपोर्ट के अनुसार, भारत में फ्लाइट उड़ाते समय करीब 66 फीसदी पायलट यात्रियों की जान को ताक पर रखकर झपकी लेते हैं. भारत में नींद या उससे जुड़ी किसी बीमारी का प्रकोप सड़क परिवहन पर भी काफी है.
सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार, 40 फीसदी सड़क हादसे ड्राइवर की झपकी लेने की वजह से होते हैं. चौंकाने वाली बात है कि सड़क हादसों में शिकार 20 फीसदी लोग स्लीप डिसऑर्डर से ग्रसित मिलते हैं.
विशेषज्ञ बोले: स्लीप प्रॉब्लम को हल्के से न लें
एम्स ऋषिकेष के साइक्रेटी विभाग के डिवीजन ऑफ स्लीप मेडिसन में प्रोफेसर डॉ रवि गुप्ता ने aajtak.in से बातचीत में कहा कि अचानक नींद आने से दुनिया में कई बड़े हादसे हुए जो कि रिकॉर्ड्स में दर्ज हैं. लेकिन स्लीप डिसऑर्डर से जूझ रहे आम लोगों का कोई रिकॉर्ड नहीं है. नींद की समस्या को लेकर बहुत कम ही लोग डॉक्टर के पास पहुंच पाते हैं. उन्हें पता ही नहीं होता कि उनका इलाज कौन करेगा.
डॉक्टर गुप्ता आगे कहते हैं कि नींद कम आने, देर से आने, ज्यादा सोने की समस्या शुरू कब हुई, कई लोग इस पर भी ध्यान नहीं दे पाते. जबकि यह सबसे जरूरी चीज है. हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में नींद की कमी को कोई भी पूरा नहीं कर सकता. अपनी नींद के पैटर्न को लेकर हमें बहुत चौकन्ना रहना चाहिए. अगर आपको इसके पैटर्न में गड़बड़ी लगती है और दिन में थकान, काम में मन न लगना, ज्यादा खाना, आलस्य महसूस करना, झपकी आना जैसे लक्षण हमेशा बने रहते हैं तो आपको मेडिकल प्रोफेशनल से संपर्क करना चाहिए.
शोएब राणा