World Organ Donation Day 2022: अंग दान महान दान माना जाता है. अगर किसी की मौत किसी दूसरे के जीवनदान की वजह बन जाए तो इससे अच्छा क्या हो सकता है. हर साल 13 अगस्त को अंग दान के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और अंगों को दान करने से संबंधित भ्रांतियों को दूर करने के लिए विश्व अंग दान दिवस (World Organ Donation Day) मनाया जाता है. इस दिन लोगों को मरने के बाद अपने स्वस्थ अंगों को दान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, ताकि जरूरतमंद लोगों की जान बचाई जा सके.
भारत में, जीवित और मृत लोग कानूनी तरीके से अंग दान कर सकते हैं. देश में हर साल 1.5 लाख किड़नी की जरूरत पड़ती है, जबकि 3 हजार ही मिल पाती है. करीब 25 हजार नए लीवर की एवज में सिर्फ 800 ही मुहैया हो पाते हैं वहीं 60 लाख नेत्रहीनों लोगों को आंखों की जरूरत है लेकिन 22, 384 लोग ही देख पाते हैं. आपको जानकार हैरानी हो सकती है कि सबसे ज्यादा आबादी के मामले में दूसरे नंबर पर आने वाले भारत में केवल 0.1% लोग ही खुद को अंग दान के लिए रजिस्टर करते हैं. बता दें कि भारत का अपना नेशनल ऑर्गन डोनेशन डे हर साल 27 नवंबर को मनाता है.
कौन कर सकता है अंगदान?
कोई भी व्यक्ति जो एचआईवी, कैंसर, या किसी हृदय और फेफड़ों की बीमारी जैसी किसी पुरानी बीमारी से पीड़ित नहीं है, अपनी उम्र, जाति और धर्म से ऊपर उठकर अपनी मर्जी से अंग दान कर सकता है. एक व्यक्ति 18 वर्ष की आयु के बाद ऑर्गन डोनेट कर सकता है.
कैसे शुरू हुआ विश्व अंग दान दिवस?
सबसे पहले अमेरिका में 1954 को ऑर्गन ट्रांसप्लांट किया गया था. अमेरिका के डॉ जोसेफ मरे ने 1990 में जुड़वां भाइयों रोनाल्ड ली हेरिक और रिचर्ड हेरिक की किडनी ट्रांसप्लांट की थी. इसके लिए डॉ. जोसेफ को फिजियोलॉजी और मेडिसिन में नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था.
अंग दान को लेकर गलत धारणाएं-
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