आजकल ऑनलाइन शॉपिंग का चलन तेज़ी से बढ़ रहा है और सामान को घर तक पहुंचाने में डिलीवरी बॉय की भूमिका सबसे अहम होती है. बारिश हो या रात, ये लोग अपनी बाइक पर बड़े-बड़े बैग लेकर सड़कों पर दौड़ते नज़र आते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस काम से उनकी कितनी कमाई होती है, नौकरी कैसे लगती है और कंपनियां पार्सल पहुंचाने के लिए कितनी सैलरी देती हैं?
यह जानने के लिए हमने अमेज़ॅन डिलीवरी बॉय धनंजय से बात की, जो सालों से अमेज़ॅन के साथ जुड़े हुए हैं और नोएडा के मुख्य सेक्टर्स जैसे फिल्म सिटी, सेक्टर 18 और 16 में पार्सल पहुँचाने का काम करते हैं. धनंजय ने हमें एक डिलीवरी बॉय की कमाई और सुविधाओं के बारे में विस्तार से बताया, साथ ही यह भी जानकारी दी कि अगर कोई पार्सल टूट जाए या खो जाए तो उसका भुगतान कौन करता है.
कैसे बनते हैं डिलीवरी बॉय?
धनंजय ने बताया कि अमेज़ॅन का डिलीवरी बॉय बनने के लिए सेक्टर 95 में स्थित अमेज़ॅन ऑफिस में जाकर आवेदन करना होता है. फॉर्म जमा करने के बाद वेरिफिकेशन होता है और फिर ट्रेनिंग दी जाती है. तीन से चार दिन की ट्रेनिंग पूरी होने के बाद कैंडिडेट को डिलीवरी बॉय का काम मिलता है. इसके बाद हर कैंडिडेट को पार्सल डिलीवर करने के लिए कुछ सेक्टर्स दिए जाते हैं. एक सेक्टर में कई सारे डिलीवरी बॉय हो सकते हैं. इसी तरह, मिंत्रा के ऑफिस जाकर भी डिलीवरी बॉय के लिए रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है.
ट्रेनिंग में क्या सिखाया जाता है?
धनंजय ने बताया कि ट्रेनिंग के दौरान बताया जाता है कि ग्राहकों से प्यार से बात करनी है. डिलीवरी बॉय को अलग-अलग इलाकों और रूट्स की जानकारी दी जाती है ताकि जीपीएस या मैप ऐप की मदद से ग्राहक तक जल्दी और सही समय पर पहुंच सकें. ट्रेनिंग में पैकेज या फ़ूड आइटम को सुरक्षित तरीके से उठाने और रखने के तरीके भी सिखाए जाते हैं ताकि डिलीवरी के दौरान किसी तरह की टूट-फूट या नुकसान न हो. इसके साथ ही, ग्राहक से विनम्र और पेशेवर तरीके से बात करना, उनकी शिकायतों को सही ढंग से संभालना और समय पर सामान पहुँचाना भी ट्रेनिंग का अहम हिस्सा होता है.
पेमेंट और सुरक्षा के पहलू
पेमेंट से जुड़े पहलुओं में डिलीवरी बॉय को कैश ऑन डिलीवरी की सही प्रक्रिया, पैसों का हिसाब रखना और ऑनलाइन पेमेंट जैसे वॉलेट या यूपीआई का इस्तेमाल करना सिखाया जाता है. मोबाइल ऐप के ज़रिए ऑर्डर को अपडेट करने और उसकी स्थिति दर्ज करने की जानकारी भी दी जाती है. सुरक्षा पर खास ज़ोर देते हुए उन्हें ट्रैफिक नियमों का पालन करने, हेलमेट और सुरक्षा उपकरण पहनने और खराब मौसम में पैकेज को सुरक्षित रखने की ट्रेनिंग दी जाती है. इसके अलावा, आपात स्थिति जैसे दुर्घटना, चोरी या किसी ग्राहक से जुड़ी समस्या होने पर तुरंत रिपोर्ट करना और इमरजेंसी कॉन्टैक्ट नंबर का इस्तेमाल करना भी सिखाया जाता है.
ऑनलाइन शॉपिंग साइट के डिलीवरी बॉय कितना कमा लेते हैं?
धनंजय ने बताया कि डिलीवरी बॉय को एक पार्सल पर 12 रुपये मिलते हैं. अगर ज़्यादा भीड़भाड़ वाला इलाका है तो 100 से ज़्यादा पार्सल की डिलीवरी हो जाती है, नहीं तो एक डिलीवरी बॉय औसतन 80 पार्सल एक दिन में डिलीवर कर देता है. किस डिलीवरी बॉय को कितने पार्सल देने हैं, यह कंपनी तय करती है. अगर कोई डिलीवरी बॉय काम में अच्छा है तो उसे ज़्यादा पार्सल डिलीवर करने की ज़िम्मेदारी दी जाती है. वहीं, मिंत्रा के डिलीवरी पार्टनर करण ने बताया कि एक पार्सल डिलीवर करने के 14 रुपये मिलते हैं और कई बार 2 रुपये का इंसेंटिव भी मिलता है. इस हिसाब से ज़्यादातर पार्सल पर 16 रुपये बनते हैं.
अगर डिलीवरी बॉय से पार्सल खो जाए या टूट जाए तो?
धनंजय ने आगे बताया कि अगर डिलीवरी के दौरान कोई पार्सल टूट जाता है या आइटम खो जाता है तो इसकी पूरी भरपाई डिलीवरी बॉय को करनी होती है. अगर ₹800 का कोई सामान खो गया है तो डिलीवरी बॉय को कंपनी में ₹800 जमा करने होते हैं. यदि कुछ टूट जाता है तो उसकी भरपाई भी करनी होती है. अगर कंपनी से पार्सल लेते समय डिलीवरी बॉय को लगता है कि यह अंदर से टूटा हुआ है तो वे उसे बेझिझक वापस करके डिलीवरी करने से मना कर सकते हैं.
सैलरी नहीं, हर पार्सल पर होती है कमाई, तो क्या बीमा होता है?
डिलिवरी बॉय ने बताया कि कंपनी उनके इंश्योरेंस की सुविधा भी देती है. अमेज़ॅन अपने डिलीवरी पार्टनर्स का इंश्योरेंस करवाता है, जिसमें खासकर बाइक एक्सीडेंट इंश्योरेंस शामिल होता है ताकि किसी दुर्घटना की स्थिति में मदद मिल सके. जानकारी के अनुसार, अमेज़ॅन के नोएडा ऑफिस में करीब 372 लोग काम करते हैं.
पल्लवी पाठक