देश को आजादी 15 अगस्त 1947 को मिली थी. लेकिन आज ही का वो दिन था जब देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने पहली बार ब्रिटिश सरकार से आजादी की मांग की थी. आपको बता दें, 30 अगस्त 1928 को 'भारतीय स्वतंत्रता लीग' की भारत में स्थापना की गई थी और इसके महासचिव पंडित नेहरू बने. इस लीग का मूल उद्देश्य भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से पूर्णतः अलग करना था.
क्या थी 'भारतीय स्वतंत्रता लीग'
'भारतीय स्वतंत्रता लीग' 1920 के दशक से 1940 के दशक तक चला राजनीतिक संगठन था. इसका उद्देश्य भारत में ब्रिटिश राज हटाने का था. इसकी स्थापना भारतीय क्रांतिकारी नेता रास बिहारी बोस और जवाहरलाल नेहरू ने 1928 में की थी. यह संगठन दक्षिण पूर्व एशिया और मुख्य भूमि से अलग भारतीय क्षेत्रों में आधारित रहा.
कैसे आया 'भारतीय स्वतंत्रता लीग' की स्थापना का विचार
रास बिहारी बोस देश के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे. आजाद हिंद फौज के गठन में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी. जिसकी कमान बाद में उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को सौंप दी थी. रास बिहारी ने साल 1923 में जापान की नागरिकता हासिल कर ली थी.
उन्होंने ए.एम.नायर के साथ जापानी शासन को भारत के बाहर भारत की आजादी के आंदोलन में मदद के लिए राजी क कर लिया था. उन्होंने 28 से 30 मार्च, 1942 तक टोक्यो में एक सम्मेलन का आयोजन किया था. उसी सम्मेलन में भारतीय स्वतंत्रता लीग के गठन का फैसला लिया गया था. आपको बता दें, उन्होंने जापान के बेकरी के मालिक की बेटी से शादी की थी.
ऐसे तय हुआ था आजादी का दिन
देश को आजाद हुए 72 साल हो गए हैं. 15 अगस्त 1947 को सालों की गुलामी के बाद भारत आजाद हुआ था. बता दें, 15 अगस्त की तारीख को तय करने के पीछे एक रोचक किस्सा है.
भारत की आजादी पर लिखी गई बेहद चर्चित किताब "फ्रीडम एट मिडनाइट" में इसका जिक्र है. इस किताब में लिखा है कि कैसे "माउंटबेटन ने कहा था- 'मैंने सत्ता सौंपने की तिथि तय कर ली है. ये तारीख है 15 अगस्त 1947."
भारत के आजाद होने से करीब ढाई महीने पहले का किस्सा है. जब लॉर्ड माउंटबेटन महात्मा गांधी को भारत के बंटवारे के लिए मना चुके थे और सारी चीजें उनके पक्ष में हैं. ऐसे में लॉर्ड माउंटबेटन एक प्रेस कॉफ्रेंस करते हैं जिसमें वह बताते हैं कि किस तरह से करोड़ों लोगों का विस्थापन होगा और किस तरह से भोगौलिक आधार पर दोनों मुल्कों ( पाकिस्तान और भारत) को बांटा जाएगा.
ये सब जानकारी जनता से साझा करने के लिए लॉर्ड माउंटबेटन ने एक बड़ी प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया था. जिसमें एक पत्रकार उनसे सवाल पूछते हैं कि जब आप अभी से भारत को सत्ता सौपें जाने वाले समय तक के कार्यों में तेजी लाने की बात कर रहे हैं तो क्या आपने वो तारीख तय की है जब भारत सत्ता सौपीं जाएगी?
इस पर लॉर्ड माउंटबेटन कुछ जवाब नहीं दे पाते, लेकिन बाद में आजादी की तारीख पर गहन विचार करते हैं. जब लॉर्ड माउंटबेटन तमाम तिथियों के बारे में सोच रहे थे. तभी एक तिथि उनके दिमाग में अटक गई. ये तिथि थी 15 अगस्त 1947.
इसके बाद लॉर्ड माउंटबेटन बड़े उत्साह से कहते हैं, "मैंने तारीख तय कर ली है और ये तिथि है 15 अगस्त 1947". इसी के साथ वह दिन तय हो जाता है जब भारत को अंग्रेजों की सैकड़ों साल की गुलामी से आजादी मिलने वाली होती है.
aajtak.in / प्रियंका शर्मा