कौन थे वो शख्स, जिन्हें फांसी से पहले भगत सिंह ने कहा था 'भाग्यशाली'

भगत सिंह जब जेल में थे, उस समय काफी किताबें पढ़ा करते थे. किताबों को लेकर उनकी दीवानगी हैरान करने वाली थी. वह अपनी जिंदगी के आखिरी समय तक नई-नई किताबें पढ़ते रहे.

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 भगत सिंह भगत सिंह

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 28 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 10:46 AM IST

शहीद-ए-आजम भगत सिंह का आज जन्मदिन है. वह देश के सबसे बड़े क्रांतिकारियों में गिने जाते हैं. उन्होंने अपना पूरा जीवन देश के लिए न्योछावार कर दिया. भगत सिंह की जिंदगी आज भी युवाओं को प्रेरणा देती है.

भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर, 1907 को लायलपुर ज़िले के बंगा में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है. भगत सिंह की मृत्यु 23 वर्ष की आयु में हुई जब उन्हें ब्रिटिश सरकार ने फांसी पर चढ़ा दिया. भगत सिंह के साथ उनके साथियों राजगुरु और सुखदेव को भी फांसी दे दी गई थी. बता दें, फांसी देने का दिन 24 मार्च को तय किया गया था, लेकिन फांसी एक दिन पहले (23 मार्च 1931) ही दी गई थी.

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चुपचाप दी गई थी फांसी

तय समय से फांसी दी जानी थी, ऐसे में पूरी फांसी की प्रक्रिया को गुप्त रखा गया था. उस दौरान कम ही लोग शामिल थे. इनमें यूरोप के डिप्टी कमिश्नर भी थे. जितेंदर सान्याल की लिखी किताब 'भगत सिंह' के अनुसार, फांसी के तख्ते पर चढ़ने के बाद, गले में फंदा डालने से ऐन पहले भगत सिंह ने डिप्टी कमिश्नर की ओर देखा और मुस्कुराते हुए कहा, "मिस्टर मजिस्ट्रेट, आप बेहद भाग्यशाली हैं कि आपको यह देखने को मिल रहा है कि भारत के क्रांतिकारी किस तरह अपने आदर्शों के लिए फांसी पर भी झूल जाते हैं."

किताबें पढ़ने का शौक रखते थे भगत सिंह

भगत सिंह जब जेल में थे, उस समय काफी किताबें पढ़ा करते थे. किताबों को लेकर उनकी दीवानगी हैरान करने वाली थी. वह अपनी जिंदगी के आखिरी समय तक नई-नई किताबें पढ़ते रहे. जब भी किताबें पढ़ते तो साथ में कुछ-कुछ लिखकर नोट्स भी बनाया करते थे. वह जब तक जेल में रहे कई किताबें उन्होंने पढ़ी.

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