भारत की जमीन हड़पने की चीन की स्ट्रेटजी है सलामी स्लाइसिंग? जानें क्या है ये

चीन और भारतीय सेना के बीच हुई झड़प के बाद एक बार फिर से चीन की सलामी स्ला‍इसिंग स्ट्रैटजी की चर्चा हो रही है. आइए जानें- आख‍िर सलामी स्लाइसिंग स्ट्रैटजी है, क्या जिसके जरिये चीन भारत की जमीन हड़पने की फिराक में रहता है.

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सलामी स्लाइसिंग नीति से जमीन हथ‍ियाता है चीन सलामी स्लाइसिंग नीति से जमीन हथ‍ियाता है चीन

aajtak.in

  • नई द‍िल्ली ,
  • 03 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 7:12 PM IST

साल 2017 में तत्कालीन आर्मी चीफ जनरल विपिन रावत ने चीन की सलामी स्ला‍इसिंग स्ट्रैटजी पर बयान दिया था, जिसके बाद चीन ने इसकी कड़ी भर्त्सना की थी.

चीन और भारतीय सेना के बीच हुई झड़प के बाद एक बार फिर से चीन की सलामी स्ला‍इसिंग स्ट्रैटजी की चर्चा हो रही है. विदेश मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि चीन नहीं चाहता है कि वो किसी भी तरह भारत के साथ सीमा विवाद सुलझा ले. 

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चीन चाहता है कि वो भारत को डरा कर रखे. जो अब नहीं हो रहा है. 2014 से पहले कितनी बार सलामी स्लाइसिंग में हमारी जमीन गई है. 1962 के युद्ध के बाद हमने कई बार जमीन खोई है. सलामी स्लाइसिंग एक तरह की टुकड़े-टुकड़े नीति है. जिसका इस्तेमाल करके चीन पहले किसी क्षेत्र में अपना दावा करता है, फिर वो अपनी बात दोहराता रहता है. जब विरोध शुरू होता है तो अपना रवैया जाह‍िर कर देता है. कई जगहों पर उसने ऐसे ही विस्तार बढ़ाया है. 

सलामी स्लाइसिंग को आसान शब्दों में इस तरह समझा जा सकता है कि कोई देश पड़ोसी देशों के खिलाफ छोटे-छोटे सैन्य ऑपरेशन चलाकर धीरे-धीरे किसी बड़े इलाके पर कब्जा बढ़ाता रहता है. ऐसे ऑपरेशन इतने छोटे स्तर पर किए जाते हैं कि इनसे युद्ध की आशंका नहीं होती, लेकिन पड़ोसी देश के लिए यह समझना मुश्किल होता है कि इसका जवाब कैसे और कितना दिया जाए. चीन इसी तरह से सलामी स्लाइसिंग के जरिये अपने पांव पसारने की फिराक में रहता है. 

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साल 2017 में तत्कालीन सेना प्रमुख बिपिन रावत ने साल चीन की इस रणनीति के खिलाफ आगाह किया था. उन्होंने कहा था, 'जहां तक चीन का सवाल है तो उसने अपनी ताकत दिखानी शुरू कर दी है. उन्होंने ये भी कहा था कि सलामी स्लाइसिंग का मतलब है धीरे-धीरे भूभाग पर कब्जा करना, और हमारी सहने की क्षमता को परखना. रावत ने कहा था कि यह चिंता का विषय है और इस प्रकार की परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयारी जरूरी है, जिनसे भविष्य में टकराव पैदा हो सकता है

साल 1962 में भी चीन ने कुछ इसी तरह का प्रयास किया. पहले चीन ने भारतीय सीमाओं पर हमला किया और सीमाओं के अंदर सैकड़ों किलोमीटर तक घुसपैठ की, फिर भारतीय सेना के द्वारा विरोध करने पर चीन ने पूर्वी क्षेत्र से अपनी सेना को वापस बुला लिया. 

फिर शुरू हुआ स्ट्रैटजी से काम लेने का दौर और चीन ने अक्साई चिन को अपने क्षेत्र में होने का दावा कर दिया. कभी अक्साई चिन जम्मू कश्मीर राज्य का हिस्सा था. तिब्बत और भारत के हिस्से पर सफलता मिलने के बाद चीन ने सलामी स्लाइसिंग की अपनी रणनीति को दोहराते हुए 1974 में वियतनाम से पैरोसेल द्वीप पर कब्जा कर लिया था. उसने इस द्वीप पर अपने अवैध दावे को वैध दिखाने के लिए इस पर संशा सिटी का निर्माण कर दिया.

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चीन अपनी इसी स्ट्रैटजी का इस्तेमाल करके डोकलाम मुद्दे को बार-बार उठा रहा है. इससे उसकी भारत और भूटान की सीमा पर कब्जा जमाने की मंशा साफ दिखती है. ये स्ट्रैटजी राजनीतिक और वित्तीय क्षेत्रों में भी इस्तेमाल होती है, जिसमें कोई धीरे धीरे करके किसी बड़ी कंपनी या पद पर कब्जा जमाने की कोश‍िश करता है. 

 

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