60 मिनट में खत्म कर दिया था PAK का ऑपरेशन, ऐसे थे मार्शल अर्जन सिंह

आज भारतीय वायु सेना के मार्शल अर्जन सिंह की दूसरी डेथ एनिवर्सिरी है. भारतीय वायु सेना को दुनिया की सर्वाधिक सक्षम वायु सेनाओं में से एक और दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायु सेना बनाने में मार्शल अर्जन सिंह ने अहम भूमिका निभाई है.

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अर्जन सिंह अर्जन सिंह

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 16 सितंबर 2019,
  • अपडेटेड 12:39 PM IST

98 साल की उम्र में मार्शल ऑफ इंडियन एयरफोर्स अर्जन सिंह का निधन आज ही के रोज 16 सितंबर 2017 को दिल का दौरा पड़ने से हो गया था. भारतीय वायु सेना (IAF) के सबसे वरिष्ठ और पांच स्टार रैंक वाले एकमात्र मार्शल थे. अर्जन सिंह को 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में अहम भूमिका निभाने के लिए याद किया जाता है. आइए जानते हैं कैसे उन्होंने 1 घंटे में तय कर दी थी पाकिस्तान की हार.

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अर्जन सिंह 44 साल की उम्र में ही भारतीय वायु सेना का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी दी गई थी, जिसे उन्होंने शानदार तरीके से निभाया. अलग-अलग तरह के 60 से भी ज्यादा विमान उड़ाने वाले अर्जन सिंह ने भारतीय वायु सेना को दुनिया की सबसे शक्तिशाली वायु सेनाओं में से एक बनाने और दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायु सेना बनाने में अहम भूमिका निभाई थी.

60 साल की उम्र तक उड़ाए विमान

सर्वोच्च रैंक हासिल करने के बाद भी सेवानिवृत्त होने से ठीक पहले तक अर्जन सिंह विमान उड़ाते थे. कई दशकों के अपने सैन्य जीवन में उन्होंने 60 तरह के विमान उड़ाए. जिनमें द्वितीय विश्व युद्ध से पहले के तथा बाद में समसामयिक विमानों के साथ-साथ परिवहन विमान भी शामिल थे. अर्जन सिंह को 2002 में गणतंत्र दिवस के अवसर पर मार्शल रैंक से सम्मानित किया गया था. बता दें, अर्जन सिंह न केवल निडर पायलट थे, बल्कि उन्हें एयर फोर्स की गहरी जानकारी थी. उन्हें 1965 में देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था.

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पढ़ाई

अर्जन सिंह का जन्म 15 अप्रैल 1919 को लायलपुर (अब पाकिस्तान) में हुआ था. 19 साल की उम्र में आरएएफ क्रैनवेल में एम्पायर पायलट प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के लिए चुना किया गया था. 1939 में एक पायलट अधिकारी के रूप में नियुक्ति पाई थी. इसके बाद 1944 में उन्होंने भारतीय वायु सेना की नंबर 1 स्क्वाड्रन का अराकन अभियान के दौरान नेतृत्व किया था.

...जब 1 घंटे में तय कर दी पाकिस्तान की हार

साल 1965 में पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ "ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम" को अंजाम दिया था और पाकिस्तानी टैंकों ने जम्मू कश्मीर के अखनूर जिले पर धावा बोल दिया. उस दौरान अर्जन सिंह की यह सबसे बड़ी चुनौती थी कि कैसे पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब दिया जाए. उन्होंने पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भारतीय वायुसेना का नेतृत्व किया और 1965 में पाकिस्तान के साथ हुई लड़ाई में निर्णायक भूमिका निभाई थी.

आपको बता दें, पाकिस्तानी हमले की खबर मिलते ही जब रक्षा मंत्रालय ने सभी सेना प्रमुखों को कहा कि कुछ देर की मीटिंग ने बुलाया तो अर्जन सिंह ने पूछा वह कितनी जल्दी पाकिस्तान के बढ़ते टैंकों को रोकने के लिए एयर फोर्स का हमला कर सकते हैं. इस बस अर्जन सिंह ने कहा कि हमें सिर्फ 1 घंटे का समय चाहिए.

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(ये तस्वीर 1965 की है जिसमें अर्जन सिंह साथी सैनिकों के साथ)

जिसके बाद अर्जन सिंह अपनी बात पर खरे उतरे और अखनूर की तरफ बढ़ रहे पाकिस्तानी टैंक और सेना के खिलाफ पहला हवाई हमला 1 घंटे से भी कम समय में कर दिया. जिसके बाद पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी.

क्या था ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम

ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम के तहत पाकिस्तानी राष्ट्रपति और जनरल अयूब खान ने जबरन कश्मीर पर कब्जा करने की योजना बनाई. जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान का यह हमला कश्मीर पर कब्जा करने के लिए सक्षम था. लेकिन जनरल अयूब खान ने भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना की क्षमता के बारे में मालूम नहीं था. लिहाजा, हमले के पहले घंटे में ही हुए भारतीय वायुसेना के हमले से पाकिस्तान का पूरा प्लान फेल हो गया. जिसके बाद उनके हाथ कुछ न लगा.

(साथी सैन्य अधिकारियों के साथ मार्शल अर्जन सिंह)

अर्जन सिंह कभी रिटायर नहीं हुए

अर्जन सिंह सेना के 5 स्टार रैंक अफसर थे. देश में पांच स्टार वाले तीन सैन्य अधिकारी रहे थे, जिनमें से फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ और फील्ड मार्शल के एम करियप्पा का नाम है, ये दोनों भी जीवित नहीं हैं. ये तीनों ही ऐसे सेनानी रहे, जो कभी सेना से रिटायर नहीं हुए.

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