पुण्‍यतिथ‍ि: जानिए- गोडसे के अलावा और किसे गांधी की हत्‍या के जुर्म में दी गई थी फांसी?

महात्‍मा गांधी जैसी शख्सियत को खत्म करने का काम कोई अकेला व्यक्ति नहीं कर सकता था, और ऐसा था भी नहीं. गांधी हत्याकांड में कोर्ट ने कुल 9 लोगों को अभियुक्त बनाया गया था जिनमें से दो को फांसी की सजा हुई थी. जानिए- कौन था फांसी पर लटकाया गया दूसरा गुनहगार.

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महात्‍मा गांधी (Getty) महात्‍मा गांधी (Getty)

aajtak.in

  • नई द‍िल्‍ली,
  • 30 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 11:57 AM IST

30 जनवरी 1948 का दिन देश के इत‍िहास का वो काला दिन है जब अंहिसा की प्रतिमूर्ति राष्‍ट्रप‍िता महात्‍मा गांधी की हत्‍या हुई. आज भी जब गांधी की हत्या का जिक्र आता है तो हमारे जेहन में कोई नाम या तस्वीर आती है वो सिर्फ और सिर्फ नाथूराम गोडसे की होती है. लेकिन आपको बता दें कि 30 जनवरी 1948 को हुई वह वारदात कोई आम नहीं थी.

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उस दिन शाम को महात्मा गांधी पर गोलियां चली थीं जिसे पूरा देश बापू कहकर बुलाया करता था. गांधी जैसी शख्सियत को खत्म करने का काम कोई अकेला व्यक्ति नहीं कर सकता था, और ऐसा था भी नहीं. गांधी हत्याकांड में कोर्ट ने कुल 9 लोगों को अभियुक्त बनाया गया था जिनमें से दो को फांसी की सजा हुई थी.

गांधी हत्याकांड में फांसी की सजा पाने वाले पहले शख्स का नाम सभी जानते हैं, नाथूराम गोडसे. लेकिन इस मामले एक और व्यक्ति को फांसी हुई थी जिसका नाम था नारायण आप्टे. आपको बता दें कि आप्टे हिन्दू महासभा का एक कार्यकर्ता था और उसको भी गोडसे की ही तरह अंबाला जेल में 15 नवंबर 1949 को फांसी दे दी गई थी.

आप्टे ने 1939 में ज्वाइन की थी हिन्दू महासभा

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जानकारी के मुताबिक नारायण आप्टे का जन्म 1911 में एक संभ्रांत ब्राह्मण परिवार में हुआ था. बॉम्बे यूनिवर्सिटी से साइंस में ग्रेजुएशन करने के बाद तमाम तरह के काम किए. 1932 में उसने अहमदनगर में एक शिक्षक के तौर पर काम करना शुरू किया था. 1939 में आप्टे ने हिन्दू महासभा ज्वाइन की थी. 22 जुलाई 1944 को पंचगनी में उसने महात्मा गांधी के खिलाफ होने वाले विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व भी किया था. 1948 में उसने गांधी हत्याकांड की साजिश रची और उसे अंजाम भी दिया.

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सावरकर को कोर्ट ने इस वजह से किया था बरी

गांधी हत्या केस में 10 फरवरी 1949 के दिन विशेष अदालत ने सजा सुनाई थी. इस हत्यकांड में नौ अभियुक्तों में से एक को अदालत ने बरी कर दिया था. अदालत ने विनायक दामोदर सावरकर को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था. बाकी आठ लोगों को गांधी हत्या, साजिश रचने और हिंसा के मामलों में सजा सुनाई गई थी. दो लोगों नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को फांसी और अन्य 6 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. आजीवन कारावास की सजा पाने वाले लोगों में नाथूराम गोडसे का भाई गोपाल गोडसे भी शामिल था.

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उस शाम यूं हुई थी महात्मा गांधी की हत्या

आपको याद दिला दें कि महात्मा गांधी जब 30 जनवरी 1948 की शाम को 5 बजकर 17 मिनट पर दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में शाम की प्रार्थना के लिए जा रहे थे तभी नाथूराम गोडसे ने पहले उनके पैर छुए और फिर बापू के साथ खड़ी महिला को हटाया और अपनी सेमी ऑटोमेटिक पिस्टल से एक बाद के एक तीन गोली मारकर उनकी हत्‍या कर दी थी.

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