जब 'मोदी' ने खत्म किया असली गब्बर सिंह का आतंक

बॉलीवुड की 1975 में आई सुपरहिट फिल्म शोले से गब्बर सिंह का चरित्र काफी महशूर हो गया. फिल्म के मुताबिक गब्बर सिंह एक काल्पनिक चरित्र है, लेकिन सच तो यह है कि मध्य प्रदेश के चंबल इलाके में असल में गब्बर सिंह नामक एक डाकू था. 

Advertisement
फिल्म शोले में गब्बर सिंह का चरित्र काफी मशहूर हुआ था फिल्म शोले में गब्बर सिंह का चरित्र काफी मशहूर हुआ था

दिनेश अग्रहरि

  • नई दिल्ली,
  • 21 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 3:07 PM IST

बॉलीवुड की 1975 में आई सुपरहिट फिल्म 'शोले' की वजह से डाकू गब्बर का नाम देश का बच्चा-बच्चा जानता है. फिल्म तो यह कहती है कि गब्बर सिंह एक काल्पनिक चरित्र है, लेकिन सच तो यह है कि मध्य प्रदेश के चंबल इलाके में असल में गब्बर सिंह नामक एक डाकू था, जिसका 1950 के दशक में काफी आतंक था.

असल गब्बर ग्वालियर के आसपास की पहाड़ियों में रहता था और नककटवा डकैत के रूप में मशहूर था, क्योंकि अक्सर वह हमले में पुलिस वालों की नाक काट लिया करता था. मध्य प्रदेश के चंबल इलाके में आज भी गब्बर सिंह की कहानियां काफी मशहूर हैं.

Advertisement

इन कहानियों के मुताबिक गब्बर सिंह का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था और उसके लिए दोनों जून की रोटी जुटाना भी मुश्किल था. हालत यह थी कि उसने पहले रोटियों और दूध जैसी छोटी-छोटी चीजों के लिए अपराध करना शुरू किया. बाद में उसका हौसला बढ़ा और वह अपने दुश्मनों को सबक सिखाने के लिए अपराध करने लगा. उसने कई पुलिस कर्मियों के नाक काट लिए.

गब्बर सिंह का जन्म मध्य प्रदेश के भिंड जिले में 1926 में हुआ था. उसकी कदकाठी बढ़िया थी और गांव के अखाड़े में उसकी काफी इज्जत थी. साल 1955 में 29 साल की उम्र में गब्बर सिंह ने अपना गांव छोड़ दिया और चंबल के कुख्यात डकैत कल्याण सिंह गुर्जर के गैंग में शामिल हो गया. हालांकि, जल्दी ही वह इस गैंग से बाहर निकल गया और उसने अपना अलग गैंग बना लिया.

Advertisement

अपनी डकैतियों में की जाने वाली बर्बरता की वजह से जल्दी ही गब्बर सिंह यूपी, एमपी और राजस्थान के कई इलाकों में आतंक का पर्याय बन गया. सरकार ने उसके सिर पर 50,000 रुपये का इनाम रख दिया. कहा जाता है कि उसके आतंक पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू तक ने चिंता जताई. इसके बाद आखिरकार 1959 में मध्य प्रदेश सरकार ने एक युवा पुलिस अधिकारी राजेंद्र प्रसाद मोदी के नेतृत्व में एक स्पेशल टास्क फोर्स बनाया.

मोदी ने शुरू किया अभ‍ियान

मोदी ने गब्बर सिंह के बारे में खुफिया जानकारी जुटानी शुरू की. मोदी ने पुलिस की एक टीम बनाकर गब्बर सिंह और उसके दल को चंबल के इलाके में घेर लिया. नवंबर 1959 में पुलिस और गब्बर सिंह गैंग के बीच गोलीबारी शुरू हो गई. इस एनकाउंटर को पास की सड़क से गुजर रहे बहुत से यात्रियों ने देखा और लोग दूर से बस और ट्रेन की छत पर खड़े होकर इसे देख रहे थे. गब्बर सिंह घायल तो हुआ, लेकिन भागने में कामयाब हो गया.

हालांकि बाद में उसका गैंग कमजोर हो गया और खत्म हो गया. इसके बाद एक और एनकाउंटर में गब्बर सिंह मारा गया. मशहूर पुलिस अधिकारी और एमपी के पुलिस प्रमुख के.एफ. रुस्तमजी ने गब्बर की मौत की सूचना नेहरू को दी.

Advertisement

गौर करने वाली बात है कि शोले के सह-पटकथा लेखक सलीम खान के पिता मध्य प्रदेश पुलिस में थे, इसलिए हो सकता है कि उन्होंने गब्बर सिंह के बारे में सुन रखा हो.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement