मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन पर मजदूरों को उकसाने और बरगलाने के आरोपी विनय दुबे को कोर्ट ने पुलिस रिमांड पर भेज दिया है. अदालत ने उसे 21 अप्रैल तक रिमांड में भेजा है.
बता दें कि मंगलवार को बांद्रा रेलवे स्टेशन पर मजदूरों के पहुंचने के 3 घंटे के अंदर ही तथाकथित मजदूर नेता विनय दुबे को गिरफ्तार कर लिया गया. बुधवार को कोर्ट में उसकी पेशी हुई. सुनवाई के बाद उसे पुलिस रिमांड में भेज दिया गया. विनय पर भीड़ को उकसाने और बरगलाने का आरोप है. इस शख्स का एक पुराना वीडियो भी पुलिस के हाथ लगा है जिसमें वो मजदूरों को भड़काते हुए देखा जा सकता है.
विनय दुबे के वीडियो पर सवाल
विनय दुबे ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड किया था, इस वीडियो में वो ये कहते देखा जा सकता है कि महाराष्ट्र सरकार प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्यों में भेजने की व्यवस्था करे. इस शख्स ने एक ट्वीट में कहा था कि अगर मजदूरों को 18 अप्रैल तक घर नहीं भेजा गया तो इसके खिलाफ एक बड़ा विरोध प्रदर्शन किया जाएगा.
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मुंबई पुलिस ने इस मामले में तीन एफआईआर दर्ज की है. पहली एफआईआर ब्रांद्रा स्टेशन के बाहर खड़ी अज्ञात भीड़ पर है. दूसरी एफआईआर विनय दुबे के खिलाफ दर्ज की गई है और तीसरी एफआईआर फेक न्यूज फैलाने वाले एक पत्रकार पर है. बांद्रा पुलिस ने इस पत्रकार को भी गिरफ्तार कर लिया है.
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11 तरीकों से फैलाई गई अफवाह
इस बीच महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा है कि मजदूरों के बीच अफवाह फैलाने के लिए 11 अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल किया गया. अनिल देशमुख ने कहा कि 11 तरीकों के जरिए ये भ्रम फैलाया गया कि ट्रेन की सेवाएं शुरू हो रही हैं. उन्होंने कहा कि भ्रम फैलाने के लिए जिन सोशल मीडिया अकाउंट का इस्तेमाल किया गया, उसे ट्रैक किया जा चुका है, इस मामले में एफआईआर दर्ज कर लिया गया है और अब कानून के मुताबिक कार्रवाई होगी.
इस मामले में महाराष्ट्र सरकार के मंत्री अशोक चव्हाण ने रेलवे को कठघरे में खड़ा करते हुए विभाग की एक आतंरिक चिट्ठी दिखाई जिसमें इस बात की चर्चा थी कि 14 अप्रैल से प्रवासी मजदूरों के लिए ट्रेन चलाई जा सकती है. ये पत्र कथित तौर पर 13 अप्रैल को दक्षिण मध्य रेलवे के एक अधिकारी के हस्ताक्षर से जारी किया गया था. अब रेलवे की आतंरिक चिट्ठी सोशल मीडिया तक कैसे पहुंची और फिर अफवाहों को हवा कैसे मिली. इस बात की जांच जारी है.
दिव्येश सिंह