गायत्री प्रजापति पर रेप का आरोप लगाने वाली महिला बयान से पलटी, बताया पिता समान

उत्तर प्रदेश के पूर्व खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति पर रेप का आरोप लगाने वाली महिला अब अपने बयान से पलट गई है. महिला का कहना है कि गायत्री प्रजापति उनके पिता के समान हैं. उसने प्रजापति को बरी करने की मांग की है.

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गायत्री प्रसाद प्रजापति (फाइल फोटो) गायत्री प्रसाद प्रजापति (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 1:18 PM IST

उत्तर प्रदेश के पूर्व खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति पर रेप का आरोप लगाने वाली महिला अब अपने बयान से पलट गई है. साल 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले गायत्री प्रसाद प्रजापति पर रेप का आरोप लगाने वाली महिला का अब कहना है कि गायत्री प्रजापति उनके पिता के समान हैं. साथ ही अब महिला ने प्रजापति को बरी करने की मांग की है.

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महिला ने यूपी की अखिलेश यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति को अपने पिता के समान बताते हुए कहा है कि हमीरपुर निवासी राम सिंह ने उसे अपने झूठे प्यार के जाल में फंसाया. इसके बाद दबाव बनाकर गायत्री प्रजापति से बदला लेने और रकम ऐंठने के लिए उसे चारे के रूप में इस्तेमाल किया था. तमाम सबूत दिखाते हुए महिला ने बताया कि राम सिंह के दबाव में उसने और उसकी बेटी ने गायत्री प्रजापति समेत सात लोगों पर दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया था.

महिला लगभग 3 सालों तक राम सिंह के साथ उसकी पत्नी के रूप में रह रही थी. करवा चौथ के वीडियो और फोटो दिखाते हुए उसने बताया कि राम सिंह को वह देवता मानने लगी थी लेकिन उसे नहीं पता था कि उसके झूठे प्यार के नाटक के पीछे वह इतना बड़ा षड्यंत्र रच रहा था. पीड़ित महिला ने अब कोर्ट से गायत्री प्रजापति को बाइज्जत बरी करने की गुहार भी लगाई है.

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क्या था मामला?

2017 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले एक महिला ने आरोप लगाया था कि साल 2014 में गायत्री प्रजापति ने नौकरी और प्लॉट दिलाने के बहाने उसे लखनऊ स्थित गौतमपल्ली आवास पर बुलाया. वहां चाय में नशीला पदार्थ मिलाकर पिलाया गया. इसके बाद वह अपना सुधबुध खो बैठी. बेहोशी की हालत में मंत्री और उसके सहयोगी ने उसका रेप किया था. इसका अश्लील वीडियो बनाते हुए तस्वीरें भी ली गई थीं.

पीड़िता का यह भी आरोप है कि अश्लील वीडियो और तस्वीरों के जरिए गायत्री प्रसाद प्रजापति और उनके सहयोगी साल 2016 तक उसे और उसकी बेटी को हवस का शिकार बनाते रहे. इससे तंग आकर उसने 7 अक्टूबर 2016 को थाने में तहरीर दी, लेकिन उस पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की थी. इसके बाद पीड़िता सूबे के आलाधिकारियों से भी मिली थी.

पुलिस से जब पीड़िता को इंसाफ नहीं मिला, तो उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. लेकिन वहां उसकी याचिका को खारिज कर दिया गया. इसके बाद भी पीड़िता ने हार नहीं मानी. वह सुप्रीम कोर्ट के दर पर पहुंची. सुप्रीम कोर्ट ने गायत्री प्रसाद प्रजापति को जोरदार झटका देते हुए पुलिस को निर्देश दिया कि इस मामले में केस दर्ज करके तेजी से जांच की जाए.

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वहीं यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में इस मामले को लेकर समाजवादी पार्टी की काफी किरकिरी हुई और विपक्ष ने इस मुद्दे को पूरी तरह से भुनाने में कामयाबी हासिल की.

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