15 KG के साथ 25KM पेट्रोलिंग... जानें- कैसे होते हैं C-60 कमांडो, जिन्होंने किया 26 नक्सलियों का सफाया

नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन चलाने के लिए ही 1992 में C-60 का गठन किया गया था. ये कमांडो फोर्स नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन चलाने में माहिर है. इनके जवान हर दिन 15 किलो वजन उठाकर पेट्रोलिंग करने जाते हैं.

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गढ़चिरौली के घने जंगलों में C-60 ने चलाया था ऑपरेशन. (प्रतीकात्मक तस्वीर) गढ़चिरौली के घने जंगलों में C-60 ने चलाया था ऑपरेशन. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 14 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 9:49 PM IST
  • गढ़चिरौली में मारे गए हैं 26 नक्सली
  • C-60 ने दिया है ऑपरेशन को अंजाम

महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में शनिवार को नक्सलियों के खिलाफ एक बड़ा ऑपरेशन चलाया गया. इस ऑपरेशन में 26 नक्सली मारे गए. मारे गए नक्सलियों में 50 लाख का इनामी मिलिंद तेलतुम्बड़े भी शामिल है. इस पूरे ऑपरेशन को महाराष्ट्र पुलिस की स्पेशल फोर्स C-60 ने अंजाम दिया. करीब 10 घंटे तक चले इस ऑपरेशन में 6 महिला नक्सली भी मारी गई हैं. 

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ये एनकाउंटर बई से 920 किलोमीटर दूर गढचिरौली के घने जंगलों में हुआ. नक्सिलयों के पास हथियारों का जखीरा मौजूद था. कुल 29 हथियार अब तक बरामद किए जा चुके है. इनके पास से 5 AK47, ग्रेनेड लॉन्चर लगी एक AK रायफल, 9 SLR, 1 इंसास, प्वॉइंट 303 की 3 गन, 12 बोर की 9 गन और एक पिस्टल शामिल है. 

जिस गढचिरौली इलाके में एनकाउटर हुआ वो आने जाने के लिहाज से दुरुह मान जाता है लेकिन सी 60 कमांडो दस्ता इलाके से अच्छी तरह से वाकिफ था. हालांकि इस ऑपरेशन में पुलिस के चार कमांडो घायल हो गए. ये पूरा ऑपरेशन सौम्या मुंडे की अगुवाई में हुआ. सौम्या मुंडे एडिश्नल एसपी हैं. वो आईआईटी से पास आउट हैं और बाद में IPS बने.

29 साल पहले हुआ था गठन

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C-60 को नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन के लिए ही तैयार किया गया था. इसका गठन 1992 में किया गया था. ये काम गढ़चिरौली के तत्कालीन एसपी केपी रघुवंशी ने किया था. इसमें पुलिस फोर्स के 60 जवान होते हैं. C-60 में शामिल पुलिसकर्मियों को गुरिल्ला युद्ध के लिए भी तैयार किया जाता है. इनकी ट्रेनंग हैदराबाद, बिहार और नागपुर में होती है. C-60 को पहले क्रेक कमांडो के नाम से जाना जाता था. 

हर सुबह पेट्रोलिंग, 15 किमी वजन उठाते हैं

बताया जाता है कि C-60 के कमांडोज हर सुबह पेट्रोलिंग के लिए निकलते हैं. ये पेट्रोलिंग 25-25 किमी की भी होती है और कभी-कभी 60 किमी की भी. इस दौरान कमांडोज अपने साथ करीब 15 किलो का वजन लेकर चलते हैं. इसमें उनके हथियार, पानी, खाना, जरूरी सामान, फर्स्ट एड समेत कई चीजें होती हैं. नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन में जवानों को डिहाइड्रेशन और पेट से जुड़ी दिक्कतें होने का भी खतरा बना रहता है. जंगली इलाकों में मलेरिया वाले मच्छरों और सांपों के काटने का भी डर बना रहता है.

 

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