युवाओं में बॉडी-बिल्डिंग का क्रेज बहुत ज्यादा है जिसके लिए वे स्टेरॉयड डोज लेते हैं. अब यही स्टेरॉयड उनके लिए खतरनाक साबित हो सकता है क्योंकि इसमें भी मिलावट की बातें सामने आ रही हैं. यूपी के ग्रेटर नोएडा में पुलिस और औषधि विभाग की रेड में ऐसी फैक्ट्री का पता चला जहां धड़ल्ले से नकली प्रोटीन बनाया जा रहा था.
औषधि विभाग और बादलपुर कोतवाली पुलिस की टीम ने क्षेत्र के बिसनुली गांव में नकली स्टेरॉयड दवा बनाने की फैक्टरी का भंडाफोड़ किया है. यहां से करीब तीन करोड़ रुपये की नकली प्रोटीन बरामद की गई है. करीब डेढ़ करोड़ रुपये का स्टेरॉयड व 50 लाख रुपये का अन्य सामान बरामद किया गया है. मौके से पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है जबकि दो लोग फरार हो गए.
नकली स्टेरॉयड दवा बनाने का धंधा
युवाओं में बॉडी-बिल्डिंग का काफी जुनून है, युवाओं के इस जुनून का फायदा उठाने चेन्नई के टीआईएल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से बॉयोटेक इंजीनियरिंग डिग्री करने वाले मास्टर माइंड अनुज ने प्रवीण और सोमवीर के साथ मिलकर नकली स्टेरॉयड दवा बनाने की फैक्टरी शुरू की की. थाना बादलपुर के बिसनुली गांव में 6 महीने पहले स्थापित नकली स्टेरॉयड दवा बनाने का धंधा शुरू कर दिया.
औषधि विभाग ने बादलपुर कोतवाली पुलिस के साथ मिल कर छापा मारा जिसमें तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया. कंपनी दो कमरों में चल रही थी. यहां से करीब डेढ़ करोड़ रुपये के इंजेक्शन और दवाएं मिली. इसके अलावा स्टेरॉयड बनाने की मशीन और कार भी बरामद की गई. कंपनी से बरामद स्टेरॉयड इम्पोर्टेड है. इसकी पैकिंग पर उत्पादन रूस और बर्लिन लिखा है.
ड्रग इंस्पेक्टर वैभव बब्बर ने बताया कि रूस और बर्लिन के नाम से यहां पर उत्पादन नहीं हो सकता. यहां अवैध रूप से यह कंपनी चल रही थी. स्टेरॉयड की गुणवत्ता की जांच के लिए सैंपल लेकर लैब में भेजा गया है. कंपनी में तैयार हो रहा स्टेरॉयड हरियाणा भेजा जा रहा था. विभाग की टीम अभी तक बेचे गए माल का पता लगाने में जुटी है. गौतमबुद्ध नगर और आसपास के क्षेत्र में भी स्टेरॉयड को बेचने का पता लगाया जा रहा है. विभाग इसकी कीमत की भी जानकारी जुटा रहा है.
मशीन और उपकरण भी बरामद किए
एडीसीपी (क्राइम) इलामारन ने बताया कि मौके से मुख्य आरोपी अनुज कुमार निवासी वाराणसी, बचन कुमार निवासी खानपुर बुलंदशहर और प्रीतम निवासी अमोगपुर चंदौली को गिरफ्तार किया था. इनके पास से सवा करोड़ रुपये की स्टेरॉयड, एक गाड़ी, स्कूटी, मशीन और उपकरण भी बरामद किए गए थे. गिरोह के दो बदमाश अभी फरार हैं. इनकी पहचान हरियाणा के रेवाड़ी निवासी प्रवीण धनकड़ व सोमवीर के रूप में हुई है.
एडीसीपी ने बताया की गैंग का मास्टरमाइंड अनुज ने चेन्नई के टीआईएल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से बायोटेक इंजीनियरिंग की थी. वर्ष 2013 में उसने नौकरी शुरू की. वह हैदराबाद, गोवा और मुंबई की कई कंपनियों में नौकरी कर चुका है. यहां उसे स्टेरॉयड और प्रोटीन बनाने का काम अनुभव हो गया था. जल्द अमीर बनने के सपने को पूरा करने के लिए उसने यह कंपनी शुरू की. इसके बाद तीन लाख रुपये हर महीने कमाने लगा. करीब छह माह पूर्व अनुज ने यह कंपनी शुरू की थी.
भूपेन्द्र चौधरी