Jonestown Massacre: उसके एक इशारे पर 918 लोगों ने किया सुसाइड, ये है अमेरिका की सबसे खौफनाक कहानी

दक्षिण अमेरिका के गयाना में 18 नवंबर 1978 को धर्मगुरू जिम जोन्स के एक इशारे पर 918 लोगों ने सामूहिक आत्महत्या कर ली थी. मरने वालों में 234 बच्चे भी शामिल थे. अमेरिका के इतिहास की ये ऐसी घटना थी, जिससे पूरा देश हिल गया था. आखिर उस दिन धर्मगुरु ने लोगों को ऐसा आदेश क्यों दिया? लोगों ने उसका आदेश क्यों माना? यह जानने के लिए पढ़िए दिल दहला देने वाली यह रिपोर्ट…

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साइनाइड मिला जूस पीकर लोगों ने की आत्महत्या (फोटो- Getty Images) साइनाइड मिला जूस पीकर लोगों ने की आत्महत्या (फोटो- Getty Images)

तन्वी गुप्ता

  • नई दिल्ली,
  • 12 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 3:15 PM IST

जरा सोचिए क्या हो अगर कोई इंसान खुद को भगवान बताने लगे. साथ ही कहे कि अगर दुखों से मुक्ति चाहिए, तो आपको आत्महत्या करनी होगी. संभव है कि आप उसे पागल कहेंगे. मगर, अमेरिका में एक ऐसा मामला सामने आया, जिसके पूरे देश और दुनिया को हिलाकर रख दिया. 

खुद को भगवान बताने वाले धर्मगुरु ने जब अपने भक्तों को आत्महत्या करने के लिए कहा, तो उसके एक इशारे पर 918 लोगों ने जान दे दी. यह अमेरिका के इतिहास की सबसे दर्दनाक घटनाओं में से एक थी. इसकी खबर पूरी दुनिया में फैलते ही अमेरिका पूरी तरह से हिल गया. इसके बाद अमेरिका ने इस तरह के किसी भी धर्मगुरु को कभी वहां पनपने नहीं दिया. 

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पूरी दुनिया में नाम कमाने की थी हसरत
जेम्स वारेन जोन्स (James Warren Jones) को लोग जिम जोन्स के नाम से भी जानते थे. इंडियाना के क्रेटे शहर में 13 मई 1931 को उसका जन्म हुआ और वह बड़ा होकर पादरी बना. उसे कम लोग ही जानते थे. उसे हमेशा इसका मलाल रहता था. वह चाहता था कि पूरी दुनिया उसे जाने.

उसने फेमस होने के लिए 1955 में क्रेटे शहर में द पीपल्स टेंपल (The People's Temple) नाम से एक चर्च खोला. यहां वह कुछ लोगों को दुनिया भर का धार्मिक ज्ञान देता था. उसकी बातें लोगों पर प्रभाव डालती थीं. इस वजह से काफी लोग उससे जुड़ने लगे. साल 1979 में उसके आश्रम को लेकर मीडिया के जरिए कई गलत बातें सामने आने लगीं. कहा जाने लगा कि चर्च में गलत चीजें होती हैं. इस पर अमेरिकी सरकार ने पादरी जिम जोन्स का चर्च बंद करवाने का फैसला किया. जल्द ही जिम जोन्स के चर्च पर ताला लगवाकर उसे वहां से भगा दिया गया.

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परिवार के साथ जिम जोन्स (फोटो- Getty Images)

क्रेटे शहर छोड़कर आ गया गयाना देश
जिम जोन्स को इस बात को लेकर काफी गुस्सा था. मगर, सरकार के आगे उसकी कहां चलने वाली थी. वह चुपचाप देश छोड़कर गयाना (Guyana) देश चला गया. उसका फेमस होने का भूत अभी भी नहीं उतरा था. भाषण देने में माहिर जिम जोन्स ने अब गयाना में आश्रम खोला. 

उस समय अमेरिका और वियतनाम का युद्ध चल रहा था. गयाना को डर था कि कहीं वियतनाम के साथ-साथ अमेरिका उसे भी दुश्मन देश न समझ ले. इसलिए वहां की सरकार ने सोचा कि अगर कुछ अमेरिकी हमारे देश में रहेंगे, तो अमेरिका हम पर हमला नहीं करेगा. लिहाजा, गयाना सरकार ने जिम जोन्स को आश्रम बनाने के लिए 3800 एकड़ की जमीन दे दी. 

अब आश्रम नहीं, पूरा शहर बसा लिया 
इतनी जमीन मिलने के बाद जिम जोन्स ने 1956 में वहां जॉन्सटाउन नाम का एक पूरा शहर ही बसा लिया. पहले इसका नाम पीपल्स टेंपल एग्रीकल्चरल प्रोजेक्ट रखा गया था. बाद में नाम बदल दिया गया और यह बन गया जॉन्सटाउन. यहां करीब 1000 भक्त रहते थे. इनमें से ज्यादातर अमेरिका और अफ्रीका के ही लोग थे. मगर, उन्हें नहीं पता था कि आगे चलकर उनके साथ क्या होने वाला है.

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जिम जोन्स और उसकी पत्नी (फोटो- Getty Images)

लोगों को करने लगा टॉर्चर
जिम जोन्स थोड़ा सनकी था. उसका जो काम करने का मन करता, उसे ईश्वर का आदेश बताकर भक्तों पर थोप देता. उसने भक्तों से दिन में 10 से 11 घंटे आश्रम का काम करवाना शुरू कर दिया. आश्रम से किसी के भी बाहर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया. जो भी आश्रम छोड़कर जाता, उन्हें जिम जोन्स के खास गार्ड्स पकड़ लेते और खूब पीटते. इससे लोगों के दिलों में डर बैठ गया. कुछ लोग इसलिए भी नहीं भागते क्योंकि आश्रम में उनके साथ उनके छोटे बच्चे भी थे. बच्चों से मिलने पर भी जिम जोन्स ने पाबंदी लगा रखी थी. सिर्फ एक-दो घंटों के लिए वे अपने बच्चों से मिल सकते थे.

आश्रम से भागकर अमेरिका पहुंचे लोग
एक दिन जान जोखिम में डालकर कुछ लोग वहां से भागने में सफल हुए. उन्होंने अमेरिका के एक सांसद लियो रेयान को जिम जोन्स के अत्याचारों के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि जिम जोन्स अब सनकी अपराधी बन चुका है. इसलिए वहां फंसे लोगों को बचाना चाहिए. इसके बाद शुरू हुई जिम जोन्स की सबसे क्रूर कहानी. 

17 नवंबर, 1978 को सांसद लियो रेयान ने किया आश्रम का दौरा
सांसद लियो रेयान ने फैसला किया कि वह खुद उस आश्रम में जाएंगे और पता लगाएंगे कि आखिर जिम जोन्स ऐसा क्यों कर रहा है. 17 नवंबर 1978 में एक सांसद लियो रेयान जब टीम के साथ आश्रम पहुंचे, तो जिम जोन्स की पत्नी ने उनका स्वागत किया. उन्हें पूरा आश्रम घुमाया.

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फोटो सौ- Getty Images

हैरानी की बात ये थी कि उस दिन आश्रम में सब नॉर्मल दिखाई दे रहा था. लोगों के चेहरे देखकर लग रहा था जैसे यहां वे काफी खुश हैं. इसके बाद वे टीम के साथ वापस लौट गए. मगर, उनके दिल को तसल्ली नहीं हुई. उन्होंने सोचा कि क्यों न एक बार फिर आश्रम का दौरा किया जाए. 

इसलिए अगले दिन 18 नवम्बर 1978 को वह फिर से आश्रम आए. उस दिन भी उन्हें सब नॉर्मल लगा. जब वह वहां से वापस जाने लगे तो पीछे से कुछ लोगों ने चिल्लाकर कहा, “प्लीज हमें बचा लीजिए. हमारे ऊपर बहुत जुल्म हो रहा है.”

सांसद समेत 5 लोगों को की हो गई हत्या 
सांसद को अब सारी बात समझ आ गई. तभी जिम जोन्स के गार्ड्स ने सांसद पर चाकू से हमला कर दिया. किसी तरह टीम की मदद से वह जान बचाकर आश्रम से भाग निकले. जिम जोन्स को अब पता लग गया था कि अगर वे लोग अमेरिका पहुंच गए, तो उसका मारा जाना तय है. 

इसलिए उसने गार्ड्स को आदेश दिया कि सांसद को मार डालो. सांसद हेलीकॉप्टर से बैठकर अमेरिका के लिए निकलने वाले थे. मगर, सासंद के साथ ही उनकी टीम के चार लोगों को जिम जोन्स के गार्ड्स ने हत्या कर दी. अब जिम को अंदेशा हो गया था कि उसका भी मरना तय है.

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आश्रम में लोगों को कहा- सभी को मरना होगा
उसे पता था कि सांसद के मरने की खबर जैसे ही अमेरिका पहुंचेगी. अमेरिकी सेना उसके आश्रम पर हमला कर देगी. जिम ने तुरंत माइक उठाया और आश्रम में मौजूद सभी लोगों को बुलाकर भाषण देना शुरू किया. उसने लोगों से कहा कि कुछ ही समय में अमेरिकी सेना आश्रम पर हमला कर देगी और हम सब मारे जाएंगे.

अमेरिकी सैनिकों के हाथों मरने से अच्छा है कि हम सब खुद ही अपनी जान ले लें. उसने कहा कि अगर हम सैनिकों के हाथों मारे जाते हैं, तो हमें कोई याद नहीं रखेगा. मगर, हम खुद अपनी देंगे, तो इतिहास हमें याद रखेगा. उसने आदेश दिया कि आश्रम में मौजूद सभी लोग आत्महत्या कर लें.

फोटो- Getty Images

अंगूर के जूस में मिलाया सायनाइड
उस समय आश्रम में जिम जोन्स के कुल 908 फॉलोअर्स मौजूद थे और बाकी उसके परिवार वाले थे. सभी के लिए बड़े-बड़े बर्तनों में अंगूर का जूस बनाया गया. फिर उसमें सायनाइड (जहर) मिला दिया गया. छोटे बच्चे जो इसे पी नहीं सकते थे, उन्हें इंजेक्शन के जरिए ये जहर दिया गया. कहा जाता है कि उस समय आश्रम में 234 बच्चे थे. वो सारे के सारे मारे गए. 

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फोटो- AFP

फिर बुजुर्गों को जहर वाला जूस दिया गया. इसके बाद औरतों को और आखिर में पुरुषों को यह जहर वाला जूस दिया गया. जिन लोगों ने जहर पीने से मना किया, उन्हें जबरन इंजेक्शन से जहर दिया गया. आश्रम के पास एक महिला अपने 4 बच्चों के साथ रहती थी. उसे भी फोन करके सूचित किया गया कि उन्हें भी आत्महत्या करनी होगी. महिला ने आदेश माना और बच्चों समेत जहर खाकर आत्महत्या कर ली.

फोटो- Getty Images

साथी से कहा- मेरे सिर पर गोली मारो
जब बात आई जिम जोन्स के मरने की, उसने अपने साथी से कहा कि वह जहर खाकर नहीं मरना चाहता. इसलिए उसने अपने साथी को आदेश दिया कि उसके सिर पर गोली मार दो. साथी ने उसके सिर पर गोली मार दी. इस तरह 18 नवंबर 1978 के दिन कुल 918 लोगों ने अपनी जान दे दी. एक सनकी के दुनियाभर में नाम कमाने की हसरत अमेरिका के इतिहास में दर्दनाक कहानी के रूप में दर्ज हो गई.

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