मुंबई: नाबालिग बच्चे से मारपीट मामले में FIR रद्द करने वाली याचिका HC ने की खारिज

चेंबूर पुलिस ने इस मामले में सेशन कोर्ट में चार्जशीट दायर किया था. जिसके बाद इस दंपति ने हाई कोर्ट का रुख किया. दंपति की तरफ से विशाल कनाडे ने कोर्ट में दलील रखते हुए कहा कि शिकायतकर्ता का बयान सुनी-सुनाई बातें लगती हैं. इसलिए इसमें चार्जशीट दाखिल करने का कोई केस नहीं बनता. 

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बॉम्बे हाई कोर्ट ने FIR रद्द करने वाली याचिका की खारिज बॉम्बे हाई कोर्ट ने FIR रद्द करने वाली याचिका की खारिज

विद्या

  • मुंबई,
  • 12 जून 2021,
  • अपडेटेड 3:10 PM IST
  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने FIR रद्द करने वाली याचिका की खारिज
  • नाबालिग बच्चे के साथ मारपीट करने का आरोप

मुंबई में एक दंपति पर 10 साल की बच्ची की ट्रैफिकिंग का आरोप लगा है.  इस मामले में उसके खिलाफ एक FIR दर्ज की गई है. शनिवार को बॉम्बे हाई कोर्ट ने दंपति के खिलाफ दर्ज किए गए FIR को अमान्य घोषित करने से मना कर दिया है. आरोप है कि ऋषि प्रभा और रंजीत कुमार, घर के कामकाज के लिए इस बच्ची को बिहार के बांका जिले से लेकर आए हैं और इन दिनों बच्ची के साथ काफी मारपीट कर रहे थे. 

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हाउसिंग सोसायटी के एक कर्मचारी ने चेंबूर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी. कर्मचारी के मुताबिक दस साल की बच्ची ने उसे बताया कि घर  की चाबी खो जाने के बाद दंपति ने उसे काफी पीटा था. इस मामले में IPC की धारा 370 (ट्रैफिकिंग) और जेजे एक्ट के सेक्शन 75 (बाल क्रूरता) के तहत मामला दर्ज किया है. 

चेंबूर पुलिस ने इस मामले में सेशन कोर्ट में चार्जशीट दायर की थी. इसके बाद इस दंपति ने हाई कोर्ट का रुख किया. दंपति की तरफ से विशाल कनाडे ने कोर्ट में दलील रखते हुए कहा कि शिकायतकर्ता का बयान सुनी-सुनाई बातें लगती हैं. इसलिए इसमें चार्जशीट दाखिल करने का कोई केस नहीं बनता. 

इससे पहले नाबालिग बच्ची के मां-बाप ने एक एफिडेविट फाइल करते हुए कहा है कि वे लोग कृषि आधारित मजदूरी करते हैं. वो जहां काम करते हैं, वह रंजीत कुमार प्रसाद के भाई की जमीन है. उनलोगों का इनके परिवार के साथ पुराना रिश्ता है. उनके चार और बच्चे हैं. वो अपने बच्चों का खर्चा पानी नहीं उठा पा रहे थे. इसलिए उन्होंने खुद ही बच्ची को उनके साथ भेजने का निर्णय लिया है. जिससे कि उसका भी ठीक से भरण-पोषण हो सके. 

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विशाल कनाडे ने इस एफिडेविट का हवाला देते हुए कहा कि नाबालिग बच्ची के मां-बाप ने रंजीत कुमार दंपति से मुलाकात की है. उन्होंने माना है कि यह केस गलतफहमी की वजह से फाइल की गई है इसलिए इसे खारिज कर देना चाहिए.

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सरकारी वकील दीपक ठाकरे ने अभियोगपक्ष की तरफ से इस याचिका का विरोध करते हुए कहा है कि याचिकाकर्ता ने जिस तरह का अपराध किया है वो काफी गंभीर है और समाज पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान नाबालिग लड़की का पुराना बयान भी देखा जो 2018 में दर्ज किया गया था. उसमें बच्ची ने बताया था कि वह रंजीत कुमार के परिवार में घर का कामकाज देखती है. कामकाज में किसी तरह की दिक्कत होने पर अक्सर ही उसकी पिटाई भी होती रहती है.

नाबालिग ने यह भी कहा था कि वो अपने मां-बाप के पास वापस लौटना चाहती है. वो यहां नहीं रहना चाहती है. बेंच ने नोटिस किया कि यह बयान दस गवाहों के सामने दर्ज कराया गया था. इसके सीसीटीवी फुटेज भी मौजूद हैं. नाबालिग लड़की का बयान और गवाहों के बयान केस को आगे बढ़ाने के लिए काफी है. 
 

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