महाराष्ट्र सरकार और बीएमसी को सुप्रीम कोर्ट से एक बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को महाराष्ट्र सरकार के उस फैसले से इनकार कर दिया है, जिसमें सरकार ने प्राइवेट लैब्स को आदेश जारी किया था कि कोरोना से संक्रमित मरीज या उनके परिजनों को सीधे पॉजिटिव रिपोर्ट न दें, बल्कि वो रिपोर्ट पहले बीएमसी को चेक करने के लिए दी जाएगी. इस फैसले पर शीर्ष कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार अपने इस फैसले की समीक्षा करे.
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कोर्ट के इस निर्देश पर बीजेपी के सीनियर नेता किरीट सोमैया ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने ठाकरे सरकार और बीएमसी की दादागिरी पर लगाम लगा दी है. 13 जून को प्राइवेट लैब्स से कहा गया कि वे कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट, संक्रमित मरीज या उनके परिवार को न दें. लोगों ने इसका विरोध किया था और बीजेपी भी इस कदम के खिलाफ थी. आज शीर्ष कोर्ट ने कहा कि प्राइवेट लैब्स को सीध कोरोना मरीज या उनके परिजनों को टेस्ट रिपोर्ट देनी होगी.
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बता दें कि बीजेपी नेता ने हाल ही में बीएमसी कमिश्नर इकबाल चहल को पत्र लिख मांग की थी कि इस सर्कुलर को वापस लिया जाए. बीएमसी प्रमुख ने शुक्रवार सुबह ही सुर्कुलर पर एक नोट जारी किया था, जिसमें कहा गया था ये फैसला मरीजों की भलाई के लिए लिया गया है.
नोट में कहा गया था कि मरीजों को अस्पताल में बेड नहीं मिल रहे थे और लक्षण वाले मरीजों को पैसा कमाने के बहाने से प्राइवेट हॉस्पिटल में एडमिट किया जा रहा था, इसे देखते हुए यह निर्णय लिया गया है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के जवाब के बाद अब तक बीएमसी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
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पंकज उपाध्याय