देश मे कोरोना वायरस के संदिग्धों की संख्या बढ़ने के साथ टेस्टिंग सेंटर्स अधिक होने की जरूरत जताई जा रही है. अभी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की ओर से संचालित लैब्स में ही COVID-19 टेस्टिंग हो रही है. प्राइवेट लैब्स को टेस्टिंग के लिए इजाज़त देने में क्यों देर हो रही है, इस संबंध में इंडिया टुडे ने स्वास्थ्य मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी लव अग्रवाल से बात की.
लव अग्रवाल ने कहा, “हमने पहले ही प्राइवेट लैब्स के साथ मिलकर काम करना शुरू कर दिया है. हमने उनसे आग्रह किया है कि सरकार की ओर से जो प्रोटोकॉल्स तय किए गए हैं, उनके मुताबिक व्यवस्था होते ही वो टेस्टिंग शुरू कर सकते हैं.”
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मंत्रालय ने बताया कि टेस्टिंग के लिए प्रोब्स (टेस्टिंग के लिए आवश्यक कैमिकल) के आदेश दिए जा चुके हैं. लव अग्रवाल ने कहा, ‘प्रोब्स का एक सेट डिलिवर कर दिया गया है और हम वक्त से ही इन्हें जर्मनी से मंगा लेंगे. ये भारत में प्राइवेट लैब्स के टेस्टिंग को तैयार रखने के लिए है.’
ICMR से जुड़े सूत्रों ने खुलासा किया कि करीब 100,000 (प्राइमर्स) स्टॉक में हैं और अन्य (प्रोब्स) का जर्मनी से मंगाने के ऑर्डर दिए जा चुके हैं. इन दोनों कैमिकल्स का इस्तेमाल COVID-19 टेस्टिंग के लिए होता है.
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सूत्रों ने बताया, “कुछ लैब गलत नेगेटिव या गलत पॉजिटिव कर सकते हैं. इसलिए उन्हीं लैब की पहचान की गई है जो NABL (National Accreditation Board for Testing and Calibration Laboratories) से मान्यता प्राप्त हैं. मंत्रालय ने बताया कि सिर्फ 51 लैब ही NABL से मान्यता प्राप्त हैं.”
सूत्रों ने बताया कि कुछ प्राइवेट लैब्स को मंज़ूरी देने में देरी हो रही है. कुछ लैब्स को वायरस की टेस्टिंग के लिए सरकार से मंजूरी का इंतज़ार है.
मिलन शर्मा