ऐसी ही रही कोरोना की स्पीड तो जुलाई की शुरुआत में मुंबई से ज्यादा होंगे दिल्ली में केस

दिल्ली शहर की आबादी 1.68 करोड़ और मुंबई की 1.25 करोड़ है. मुंबई का आबादी घनत्व, हालांकि दिल्ली से बहुत अधिक है. मुंबई दुनिया का दूसरा सबसे घनी आबादी वाला शहर है जहां प्रति वर्ग किलोमीटर में 20,000 से अधिक लोग रहते हैं.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 09 जून 2020,
  • अपडेटेड 11:27 PM IST

  • दिल्ली की आबादी 1.68 करोड़ और मुंबई की 1.25 करोड़
  • मुंबई का आबादी घनत्व, हालांकि दिल्ली से बहुत अधिक है
कोविड-19 टेस्ट नहीं हो पाना या अस्पताल में इलाज के लिए बेड नहीं मिल पाना, ऐसी कई घटनाएं पिछले कुछ दिनों में मुंबई और दिल्ली से रिपोर्ट हुई हैं. ये दोनों महानगर ही देश में कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. ये घटनाएं उन हालात से मेल खाती हैं, जिनसे महामारी के सबसे खराब दौर में इटली और न्यूयॉर्क सिटी को गुजरना पड़ा था. लेकिन अहम सवाल ये है कि मुंबई और दिल्ली में से कौन से महानगर में चीजें नियंत्रण में आती दिख रही हैं?

दिल्ली शहर की आबादी 1.68 करोड़ और मुंबई की 1.25 करोड़ है. मुंबई का आबादी घनत्व, हालांकि दिल्ली से बहुत अधिक है. मुंबई दुनिया का दूसरा सबसे घनी आबादी वाला शहर है, जहां प्रति वर्ग किलोमीटर में 20,000 से अधिक लोग रहते हैं. 2011 की जनगणना के मुताबिक, शहर का 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सा मलिन बस्तियों (स्लम्स) में रहता है. ये किसी भी भारतीय शहर के लिए सबसे बड़ा स्लम का हिस्सा है.

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अधिकतर उपायों से, ऐसा प्रतीत होता है कि कोविड-19 महामारी को लेकर मुंबई की स्थिति दिल्ली की तुलना में अधिक खराब है. मुंबई में दिल्ली से 20,000 अधिक केस हैं. मुंबई की आबादी दिल्ली से कम होने के बावजूद यहां राजधानी की तुलना में दोगुनी मौतें हुई हैं.

मुंबई की तुलना में दिल्ली में केस की संख्या तेजी से बढ़ रही है

8 जून तक, मुंबई में 48,549 कोरोना वायरस केस रिपोर्ट हुए हैं. वहीं दिल्ली में इस तारीख तक 28,936 केस सामने आए हैं. ऐसे में मुंबई के लिए हर दस लाख आबादी पर 3,884 केस और दिल्ली के लिए 1,722 केस बैठते हैं. कोरोना वायरस से मुंबई में 1,636 लोगों की मौत हुई है. दिल्ली में मौत का आंकड़ा 812 है.

मुंबई में हर दस लाख आबादी पर 131 मौतें रिपोर्ट हुई हैं. वहीं दिल्ली में इतनी आबादी पर 48 मौतें दर्ज हैं. मुंबई के लिए केस मृत्यु दर 3.37 प्रतिशत और दिल्ली के लिए 2.81 प्रतिशत है. केस मृत्यु दर कुल केसों में मृत्यु में खत्म होने वाले केसों का हिस्सा होता है.

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हालांकि, मुंबई की तुलना में दिल्ली में केस की संख्या तेजी से बढ़ रही है. मुंबई में जहां मार्च के अंत से केसों की वृद्धि दर ने रफ्तार पकड़ी थी जो अब कुछ धीमी हो रही है. दिल्ली में हर 13 दिन में केसों की संख्या दोगुनी हो रही है, वहीं मुंबई में केस दोगुने होने में 23 दिन लग रहे हैं.

पिछले सात दिनों में देखी गई वृद्धि दर ऐसे ही बनी रहती है, तो दिल्ली एक महीने से भी कम समय में कुल केसों की संख्या को लेकर मुंबई से आगे निकल सकती है. मुंबई के लिए हर दिन 3 प्रतिशत की रफ्तार से केस बढ़ रहे हैं. दिल्ली के लिए ये दर 5.24 प्रतिशत से अधिक है.

हर दस लाख की आबादी के अनुपात में मुंबई में दिल्ली की तुलना में अधिक टेस्टिंग हो रही है. इसका मतलब है कि मुंबई पॉजिटिव केसों की पहचान जल्दी करने की स्थिति में है. जल्दी पहचान गंभीर रूप से बीमार लोगों के अस्पताल में भर्ती होने के इंतजार को रोकने में बहुत अहम है.

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4 जून तक, मुंबई में हर दस लाख आबादी पर 17,266 लोगों का टेस्ट किया गया था, जबकि दिल्ली में 7 जून तक इतनी ही आबादी पर 15,000 लोगों का टेस्ट किया गया था. मुंबई में टेस्ट पॉजिटिविटी दर (पॉजिटिव निकलने वाले टेस्ट ) 20.4 प्रतिशत रही. वहीं दिल्ली के लिए ये दर 11.5 फीसदी है.

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हालांकि, पूर्ण संख्या (एब्सोल्यूट नंबर) में टेस्टिंग को लेकर मुंबई से दिल्ली आगे है. दिल्ली ने कुल 2,51,915 टेस्ट किए हैं. वहीं मुंबई के लिए ये आंकड़ा 2,15,829 है. अगर हर दिन के हिसाब से देखा जाए तो मुंबई के 3,748 टेस्ट की तुलना में, दिल्ली हर दिन 5,000 से अधिक टेस्ट कर रहा है.

दिल्ली के 8, 821 बेड्स में से आधे उपलब्ध हैं

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दो महानगरों में महामारी जहां असल में संकट बन जाती है, वो हैं- अस्पतालों के गेट्स और कॉरिडोर्स. दोनों शहरों में कोविड-19 केसों में सबसे ज्यादा हिस्सा बिना लक्षण वाले या हल्के लक्षणों वाले मरीजों का है. लेकिन दोनों शहर बेड्स को खाली कराने के लिए ऐसे मरीजों को अस्पतालों से डिस्चार्ज करने की कोशिश कर रहे हैं.

मुंबई में देखभाल के स्तर के आधार पर हेल्थ फैसिलिटी में उपलब्ध बेड की संख्या के बारे में स्थिति अधिक साफ है. दिल्ली ने हाल ही में इस डेटा का खुलासा करना शुरू किया है और दुर्भाग्य से देखभाल के स्तर के बारे में अधिक जानकारी नहीं दी गई है.

डेटा व्यापक नहीं हो सकता, इस राइडर के साथ मौजूदा आंकड़े बताते हैं कि मुंबई में बिस्तर और वेंटिलेटर की उपलब्धता ज्यादा बड़ी दिक्कत है. मुंबई में 9,100 बेड हैं, जिनमें से केवल 6 फीसदी ही उपलब्ध है. वहीं 442 वेंटिलेटर्स में से सिर्फ 15 फीसदी ही खाली हैं. दूसरी ओर, दिल्ली के 8,821 बेड्स में से आधे उपलब्ध हैं. वहीं दिल्ली के 518 वेंटिलेटर्स में से आधे से अधिक खाली हैं. ऐसी स्थिति में एक बुनियादी सवाल उठता है कि दिल्ली का अगर कहना है कि बेड्स उपलब्ध हैं, तो मरीजों को उन्हें ढूंढने में क्यों दिक्कत हो रही है?

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