मजदूरों की वापसी पर बोले सिंघवी- बसों से लाने में लगेंगे 3 साल, केंद्र सरकार की तैयारी नहीं

कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने आरोप लगाया है कि केंद्र ने मजदूरों की वापसी का फैसला बिना सोचे समझे लिया है. कांग्रेस नेता ने कहा कि केंद्र ने सबकुछ राज्यों के भरोसे छोड़ दिया है.

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मजदूरों को लेकर सरकार पर बरसी कांग्रेस (फोटो: PTI) मजदूरों को लेकर सरकार पर बरसी कांग्रेस (फोटो: PTI)

आनंद पटेल

  • नई दिल्ली,
  • 01 मई 2020,
  • अपडेटेड 2:15 PM IST

  • मजदूरों को लेकर केंद्र पर बरसे कांग्रेस नेता
  • बसों से आए मजदूर तो लगेंगे 3 साल: सिंघवी
लॉकडाउन की वजह से देश में लाखों की संख्या में मजदूर फंसे हुए हैं. मजदूर दिवस से ठीक पहले केंद्र सरकार की ओर से गाइडलाइन्स जारी करते हुए राज्यों को इस बात की इजाजत दी गई कि मजदूरों को वापस लाया जा सके. लेकिन, इस फैसले में हुई देरी पर कांग्रेस ने अब मोदी सरकार पर निशाना साधा है. पूर्व मंत्री अभिषेक मनु सिंघवी ने केंद्र के फैसले की तुलना ‘खोदा पहाड़, निकली चुहिया’ से की.

अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि आज मजदूर दिवस है, लेकिन लगता है कि सरकार ने मजदूरों को राहत पहुंचाने वाली हर योजना से हाथ खींच लिए हैं. 29 अप्रैल को प्रवासी मजदूरों को लेकर जो केंद्र सरकार ने ऑर्डर जारी किया, वह सिर्फ एक तुगलकी बयान लगता है.

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कांग्रेस नेता ने कहा कि 45 दिनों के बाद प्रवासी मजदूरों के लिए ऑर्डर आया, लेकिन उसमें सबकुछ राज्यों के लिए है उसमें केंद्र क्या करेगा कुछ भी नहीं, ये फैसला खोदा पहाड़ निकली चुहिया जैसा है.

सिंघवी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने इस फैसले को जारी करने से पहले कोई तैयारी नहीं की. मजदूरों के लिए ट्रेन की व्यवस्था की जानी चाहिए थीं, बसों से इतने लाखों लोगों को लाना संभव नहीं हो पाएगा.

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कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर मजदूरों को बसों से लाया गया, तो उन्हें घर पहुंचने में 3 साल लग जाएंगे. वहीं, केंद्र सरकार की ओर से राज्यों को कोई भी आर्थिक मदद नहीं दी जा रही है, ऐसे में आम लोगों तक राहत कैसे पहुंचेगी.

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गौरतलब है कि देश में इस वक्त लाखों मजदूर हैं जो अपने घर से काफी दूर हैं. अकेले बिहार और उत्तर प्रदेश के प्रवासी मजदूरों की संख्या 10 लाख से ऊपर है, ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि बसों के जरिए मजदूर किस तरह वापस आ पाएंगे.

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हालांकि, केंद्र की ओर से कुछ राज्यों को स्पेशल ट्रेन चलाने की इजाजत दी गई है. लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर ऐसा कोई फैसला नहीं लिया गया है.

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