गाजियाबाद में धीरे-धीरे खुल रही है इंडस्ट्री, एसोसिएशन ने बताई ये तकलीफ

सरकार द्वारा प्रवासी मजदूरों को रेल सेवा शुरू कर वापस भेजे जाने को लेकर एसोसिएशन का कहना है कि पिछले एक महीने से हम उन्हें पैसा दे रहे हैं लेकिन अब काम शुरू होने पर उन्हें वापस भेजा जा रहा है. इससे हमारी परेशानी बढ़ेगी. हमारे पास मजदूरों की कमी हो जाएगी.

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इंडस्ट्री में शुरू हो रहा काम (फोटो-आजतक) इंडस्ट्री में शुरू हो रहा काम (फोटो-आजतक)

तनसीम हैदर

  • गाजियाबाद,
  • 08 मई 2020,
  • अपडेटेड 7:55 PM IST

  • मजदूरों के दूसरे बीमे का बोझ इंडस्ट्री पर डालना उचित नहीं
  • जांच करवाने का काम भी सरकार की तरफ से हो

लॉकडाउन तीन में मिलने वाली रियायतों के बाद गाजियाबाद में लंबे समय से बंद चल रही इंडस्ट्री अब खुलने लगी है. इंडस्ट्री एसोसिएशन के अनुसार यहां तकरीबन 21,000 छोटे-मोटे इंडस्ट्री हैं जो डेढ़ महीने से बंद है. लेकिन ढील देने के बाद बीते तीन दिनों में लगभग 7,000 अलग-अलग इंडस्ट्री में काम शुरू हो चुका है. हालांकि कोरोना के बढ़ते खतरे के बीच कई नियम और शर्तों का पालन इन इंडस्ट्रीज को करना होगा. इन इंडस्ट्रीज के लिए तय किये गए कई नियम और शर्ते ऐसी हैं जिनका विरोध भी गाजियाबाद इंडस्ट्री एसोसिएशन द्वारा किया गया है. एसोसिएशन ने इंडस्ट्रीज के लिए कुछ शर्तों में छूट देने की मांग की है.

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गाजियाबाद इंडस्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष अरुण शर्मा के मुताबिक लॉकडाउन-3 में मिली छूटों के बाद काम-काज शुरू करने के लिए गाजियाबाद प्रशासन के पोर्टल पर अप्लाई करना पड़ रहा था. लेकिन अब यूपी सरकार द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि महज ईमेल के जरिये गाजियाबाद प्रशासन को इंडस्ट्री खोलने की सूचना देनी होगी. इस फैसले से संचालकों को काफी आसानी हुई है.

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7000 से ज्यादा इंडस्ट्रीजअब तक खुल गईं हैं. वही गृह मंत्रालय द्वारा कुछ सख्त नियम तय किये गये हैं, जिसमें सैनिटाइजेशन, मास्क, ग्लब्स, सोशल डिस्टेंसिंग की व्यवस्था, 33 प्रतिशत स्टाफ के साथ काम, मजदूरों का बीमा, 5 मजदूरों का कोरोना टेस्ट कराने जैसी शर्तें शामिल हैं. इनमें से कई शर्तो का पालन इंडस्ट्रीज द्वारा किया जा रहा है. वहीं मजदूरों के बीमा करने और 5 मजदूरों के चेकअप जैसी शर्तो पर एसोसिएशन ने असहमति जताई है.

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एसोसिएशन अध्यक्ष के अनुसार मजदूरों का ईएसआई के जरिये हेल्थ बीमा पहले ही कराया जा चुका है. तो अब मजदूरों के दूसरे बीमे का बोझ इंडस्ट्री पर डालना उचित नहीं है. जहां तक मजदूरों के चेकअप कराने की बात है तो वह प्रशासन को कराना चाहिए. क्योंकि सभी संक्रमित और संदिग्ध मरीजों का इलाज और चेकअप सरकार खुद ही करा रही है. ऐसे में इंडस्ट्री के मजदूरों का भी रेंडमली चेकअप प्रशासन को ही कराना चाहिए. नहीं तो सभी उद्योगपतियों पर 20- 25 हजार रुपये का बोझ पड़ेगा. लंबे समय से इंडस्ट्री बंद होने के बावजूद सभी मजदूरों को अप्रैल तक के पैसे भी दिए गए हैं.

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वहीं सरकार द्वारा प्रवासी मजदूरों को रेल सेवा शुरू कर वापस भेजे जाने को लेकर एसोसिएशन का कहना है कि पिछले एक महीने से हम उन्हें पैसा दे रहे हैं लेकिन अब काम शुरू होने पर उन्हें वापस भेजा जा रहा है. इससे हमारी परेशानी बढ़ेगी.

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