102 साल और दो बड़े डॉक्टर, जिन्होंने जब ये कहा कि हमें महामारी में सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और क्वारनटीन का फॉर्मूला अपनाना चाहिए तो सरकार और प्रशासन ने उनकी नहीं सुनी. पहला डॉक्टर था साल 1918 में जब अमेरिका में स्पैनिश फ्लू फैला था. दूसरी कहानी है उस डॉक्टर की जो आज कोरोना वायरस से संघर्ष कर रहा है. दोनों ही डॉक्टरों की बात शुरुआत में नहीं सुनी गई. आइए जानते हैं कि कौन हैं ये दोनों डॉक्टर...
बात है 1919 की जब वॉशिंगटन के हेल्थ कमिश्नर ने सरकार से कहा कि पूरे देश में स्पैनिश फ्लू तीसरी बार फैल रहा है. हम दो बार इसकी वजह से परेशान हो चुके हैं. अब हमें मास्क पहनना और सोशल डिस्टेंसिंग का फॉर्मूला अपनाना चाहिए. आम सभाएं नहीं होनी चाहिए. लोगों को दूर-दूर बैठना चाहिए. लेकिन उनकी ये बात मानी नहीं गई और नौकरी से निकाल दिया गया. (फोटो में दिख रहा है कि एक नर्स मास्क लगाकर वॉशिगंटन में एक फ्लू मरीज को देख रही है.)
उस समय सोशल डिस्टेंसिंग की बात करना गुनाह हो गया था. हालात खराब होने लगे तो इस डॉक्टर को एक मौका दिया गया. 1919 का अंत हो रहा था. कनसास में स्पैनिश फ्लू शुरुआती दौर में था. तब वहां सोशल डिस्टेंसिंग का फॉर्मूला अपनाया गया. इसका फायदा भी हुआ. कम लोग बीमार हुए. कम लोग मारे गए. (फोटोः कनसास में अपनाया गया सोशल डिस्टेंसिंग का फॉर्मूला)
अमेरिका को ये फॉर्मूला देने वाले डॉक्टर थे थॉमस डायर टटल. ठीक 102 साल के बाद जब अमेरिका में कोरोना वायरस के मामले जनवरी 2020 में सामने आए. तब डॉ. एंथोनी फॉसी ने भी सोशल डिस्टेंसिग, मास्क और क्वारनटीन का फॉर्मूला अपनाने की बात कही. लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नहीं माने. नतीजा आज सबके सामने हैं. (फोटोः फोर्ब्स)
डॉ. एंथोनी फॉसी की बात अमेरिकी सरकार मान लेती तो आज ये हालात नहीं होते. कोरोना वायरस की वजह से अमेरिका में आज 10.70 लाख से ज्यादा लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं. जबकि, 63 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. लेकिन, जब डॉ. फॉसी ने ये बातें कहीं थीं तो ट्रंप ने सबके सामने उनकी बात को दरकिनार कर दिया था. फरवरी अंत तक ट्रंप ये मानकर बैठे थे कि कोरोना से उनके देश को कुछ नहीं होगा. (फोटोः रॉयटर्स)
डॉ. थॉमस डायर टटल और डॉ. एंथोनी फॉसी की शक्लें और कद-काठी ही मिलती-जुलती नहीं है, बल्कि उनका मेडिकल ज्ञान और साफ-स्पष्ट बात कहने का तरीका भी समान है. दोनों ही डॉक्टरों ने आइवी लीग मेडिकल स्कूल से मेडिकल की पढ़ाई की है. (फोटोः रॉयटर्स)
डॉ. टटल अमेरिका के पब्लिक हेल्थ सर्विस में कमीशन्ड अधिकारी थे. डॉ. एंथोनी फॉसी भी. दोनों के पास दुनियाभर में फैली महामारियों से लड़ने और उसे हराने का अनुभव था. डॉ. टटल ने स्पैनिश फ्लू, इनफ्लूएंजा और स्मॉल पॉक्स से संघर्ष किया तो डॉ. एंथोनी फॉसी ने HIV/AIDS, सार्स, मर्स से लड़ाई की और अब कोरोना वायरस से लड़ रहे हैं. (फोटोः रॉयटर्स)
अब बात करते हैं 2009 की जब एक रिसर्चर्स के समूह ने स्पैनिश फ्लू पर अध्ययन करने के बाद महामारियों को नियंत्रित करने के लिए एक शोध पत्र लिखा. इसमें डॉ. थॉमस टटल के सोशल डिस्टेंसिंग फॉर्मूला को सही तरीका बताया गया था. जिसे आज कोरोना वायरस के संक्रमण के दौरान लागू किया गया है. रिसर्चर्स के इस समूह में डॉ. एंथोनी फॉसी भी थे. (फोटोः रॉयटर्स)
अगर हम तुलना करते हैं दोनों महामारियों की तो उस समय स्पैनिश फ्लू सिएटल, स्पोकेन, वॉशिगंटन में ज्यादा फैला था. जैसे आज कोरोना वायरस पूरे देश में फैला हुआ है. तब न्यूयॉर्क, सेंट लुईस और लॉस एजेंल्स में स्पैनिश फ्लू से ज्यादा मौतें हुई थीं. अब कोरोना वायरस से इन्ही राज्यों में ज्यादा मौतें हुई हैं. (फोटोः रॉयटर्स)
कोरोना की वजह से डॉ. फॉसी की नौकरी तो नहीं गई लेकिन ट्रंप ने ट्वीट कर उन्हें बर्खास्त करने की मांग कई बार की. डॉ. फॉसी ने कहा कि मैंने ट्रंप से फरवरी के शुरुआत में शटडाउन की बात कही थी. लेकिन मेरी सलाह को अनदेखा कर दिया गया. डॉ. फॉसी ने अमेरिका को एड्स, एंथ्रेक्स, स्वाइन फ्लू, इबोला में बचाया है. (फोटोः रॉयटर्स)
अमेरिका और दुनियभर की जनता 102 साल पहले डॉ. थॉमस डायर टटल की तरफ उसी आशा भरी नजर से देखती थी, जैसे आज लोग कोरोना काल में डॉ. एंथोनी फॉसी की तरफ देख रहे हैं. दोनों ही डॉक्टर 24 घंटे में 20-20 घंटे काम करते थे. (फोटोः रॉयटर्स)