3 सर्वे में खुलासे, भारतीयों की शॉपिंग ट्रेंड में बदलाव... खूब खरीदते हैं ये विदेशी सामान!

भारतीय ग्राहक मानते हैं कि विदेशी उत्पाद देसी उत्पादों के मुकाबले बेहतर हैं. 61 परसेंट से ज्यादा ग्राहक विदेशी प्रॉडक्ट्स की खरीदारी के लिए प्रमुख ऑनलाइन ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करते हैं.

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आदित्य के. राणा

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  • 27 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 6:37 AM IST

भारतीय कंज्यूमर मार्केट में हाल के दिनों में कई बदलाव देखने को मिले हैं. इनमें भारतीयों के शॉपिंग के ट्रेंड में आए बदलाव से लेकर घरेलू खपत तक बढ़ना शामिल है. सबसे पहले बात करते हैं नील्‍सन की रिपोर्ट की जिसके मुताबिक ऑनलाइन शॉपिंग में प्रोडक्‍ट की क्‍वालिटी से समझौता ना करने के लिए अब 41 फीसदी भारतीय ग्राहक प्रोडक्‍ट की ऑनलाइन पड़ताल करके उसे खरीदने के लिए स्‍टोर जाते हैं. इसी रिपोर्ट में ये भी जानकारी दी गई है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत अकेला देश है जहां कंज्यूमर प्रॉडक्ट्स की बिक्री में डबल डिजिट में तेजी दर्ज की गई है.

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FMCG, टेक और कंज्‍यूमर ड्यूरेबल प्रोडक्‍ट्स की बिक्री का ग्रोथ रेट तो 10 फीसदी से भी ज्‍यादा रहा है. नील्‍सन के रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को त्‍योहारों से बूस्‍टर डोज मिलती है. त्‍योहारों का FMCG की बिक्री में 20 फीसदी, टेक और ड्यूरेबल प्रोडक्‍ट्स की बिक्री में 60 फीसदी तक योगदान है. 

भारतीयों को पसंद हैं विदेशी सामान!
इस बीच अवलाय के एक सर्वे में दावा किया गया है कि भारतीय ग्राहक विदेशी उत्पादों की खरीदारी में सबसे आगे हैं. इस सर्वे में कहा गया है कि भारत में 67 फीसदी लोगों ने विदेशी सामान खरीदा है जबकि अमेरिका में ये आंकड़ा 37 परसेंटऔर ब्रिटेन में 27 फीसदी है. भारतीयों की विदेशी सामान खरीदने की वजह के बारे में इस सर्वे में जो जानकारी निकलकर सामने आई है उसके मुताबिक 76 फीसदी भारतीय ग्राहक मानते हैं कि विदेशी उत्पाद देसी उत्पादों के मुकाबले बेहतर हैं. 61 परसेंट से ज्यादा ग्राहक विदेशी प्रॉडक्ट्स की खरीदारी के लिए प्रमुख ऑनलाइन ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करते हैं. 4.8 फीसदी ग्राहक सोशल मीडिया के जरिए खरीदारी करते हैं. 

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अंतरराष्ट्रीय फैशन प्रॉडक्ट्स की डिमांड!
वैसे भारत सरकार के मेक इन इंडिया अभियान से देश के ई-कॉमर्स बाजार में भी जरदस्त उछाल आया है इसने एक साल में 40 हजार करोड़ डॉलर के लक्ष्य को पार कर लिया है. भारत में खरीदे जाने वाले विदेशी सामानों में अंतरराष्ट्रीय फैशन प्रोडक्ट्स की सबसे ज्यादा डिमांड है. इनके बाद मोबाइल फोन, टैबलेट, लैपटॉप जैसे इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स की काफी मांग है. सर्वे के मुताबिक 45 फीसदी भारतीय खरीदारों को विदेशी सामानों पर लगने वाली कस्टम ड्यूटी की जानकारी नहीं होती है.

जापान से ज्यादा होगी भारत में शॉपिंग
इसके बाद एक तीसरी रिपोर्ट UBS सिक्योरिटीज की आई है जिसके मुताबिक 2026 तक जापान को पीछे छोड़कर भारत दुनिया का तीसरा बड़ा कंज्यूमर मार्केट बन जाएगा. इसमें कहा गया है कि 10 साल में भारत में घरेलू खपत 7.2 फीसदी के CAGR से बढ़कर 2023 तक 2.1 ट्रिलियन पर पहुंच गई है. ये अनुमान लगाने के लिए UBS ने भारत और चीन की GDP की तुलना की है. वैसे तो 2023 तक भारत में चीन के मुकाबले महज 30 फीसदी खपत ही होती थी लेकिन भारत की मौजूदा GDP और चीन की उस वक्त की भारत के बराबर की GDP के आधार पर भारत की खपत ग्रोथ को चीन से ज्यादा तेज बताया गया है.  

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