कोरोना संकट के बीच इन दिनों देशभर में राशनकार्ड पोर्टेबिलिटी की चर्चा हो रही है. देश के 15 से ज्यादा राज्यों ने राशनकार्ड पोर्टेबिलिटी को मंजूरी दे दी है. लेकिन सवाल है कि ये क्या है और इसका फायदा आम लोगों को कैसे मिलेगा. आइए, इसके बारे में विस्तार से जानते हैं..
क्या है राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी?
जिस तरह मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (MNP) करते हैं, वैसे ही अब राशन कार्ड को भी पोर्ट कराया जा सकेगा. मोबाइल पोर्ट में आपका नंबर नहीं बदलता है और आप देशभर में इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. इसी तरह, राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी में आपका राशन कार्ड नहीं बदलेगा. मतलब ये कि एक राज्य से दूसरे राज्य में जाते हैं तो अपने राशन कार्ड का इस्तेमाल करके दूसरे राज्य से भी सरकारी राशन खरीद सकते हैं.
उदाहरण से समझिए
मान लीजिए कि सुधीर कुमार बिहार का निवासी है और उसका राशन कार्ड भी बिहार का है. वह इस राशन कार्ड के जरिए उत्तर प्रदेश या दिल्ली में भी उचित मूल्य पर सरकारी राशन खरीद सकेगा. मतलब कि किसी भी तरह की सीमा या नियमों का बंधन नहीं होगा. वह देश के किसी भी राज्य में राशन खरीद सकता है. अहम बात ये है कि इसके लिए किसी नए राशन कार्ड की जरूरत नहीं होगी. मतलब ये कि आपके पुराने राशन कार्ड ही इसके लिए मान्य होंगे.
किन राज्यों में है लागू?
बता दें कि उत्तर प्रदेश और बिहार समेत देश के 17 राज्यों ने राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी को लागू कर दिया है. इसे लागू करने वालों में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, गोवा, झारखंड और त्रिपुरा जैसे राज्य भी शामिल हैं. ये देशभर में 1 जून से लागू हो जाएगा.
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सरकार ने इसे 'एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड' का नाम दिया है. इस योजना से सरकार को उम्मीद है कि भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी और फर्जी राशन कार्ड नहीं बन पाएगा. सरकारी आंकड़ों के अनुसार लगभग 75 करोड़ लाभार्थियों को इसके दायरे में लिया गया है जबकि लक्ष्य 81.35 करोड़ का था.
दीपक कुमार