एमटेक ऑटो की समाधान प्रक्रिया अब दोबारा शुरू हो सकेगी, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने रेजोल्यूशन प्रोफेशन (आरपी) और कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) को कर्ज से लदी कंपनी को खरीदने के लिए 21 दिनों के अंदर ताजा निविदा जारी करने और उसके दो हफ्तों के अंदर सौदा पूरा करने की अनुमति दी है. कर्जदाताओं के एमटेक ऑटो में 12,000 करोड़ रुपये से ज्यादा फंसे हुए हैं.
कर्जदाता जल्द से जल्द कंपनी के समाधान प्रक्रिया (बिक्री) को पूरा करना चाहते हैं, ताकि उनका और ज्यादा नुकसान न हो. एमटेक की समाधान प्रक्रिया को पिछले साल नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने मंजूरी दी थी. इसके बाद इकलौते बोलीदाता ब्रिटेन की कंपनी लिबर्टी हाउस का समाधान सफल नजर आ रहा था, लेकिन, यह प्रक्रिया आज तक पूरी नहीं हुई, क्योंकि लिबर्टी हाउस ने एमटेक के लिए भुगतान की प्रतिबद्धता को पूरा नहीं किया.
न्यूज एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, लिबर्टी हाउस के संजीव गुप्ता और तीन शीर्ष अधिकारियों को एक विशेष अदालत ने समाधान प्रक्रिया के उल्लंघन के लिए सम्मन भेजा है और उन्हें 11 जुलाई को अदालत में उपस्थित रहने को कहा है. इसके जबाव में लिबर्टी हाउस ने रेजोल्यूशन प्रोफेशनल और एमटेक ऑटो के पिछले मालिकों पर सूचना ज्ञापन में तथ्यों को गलत ढंग से प्रस्तुत करने का आरोप लगाया है.
रिजर्व बैंक ने जून 2017 में बड़े एनपीए वाले 12 कंपनियों की सूची जारी की थी. इसमें एमटेक 5वीं कंपनी थी जिसके एनपीए का समाधान हुआ है. इस पर बैंकों के 12,312 करोड़ रुपए बकाया हैं. तब की योजना के मुताबिक बैंक कर्ज पर 75% हेयर कट करेंगे. यानी बैंकों को 3,078 करोड़ रु. ही मिलेंगे. बाकी 9,234 करोड़ का कर्ज माफ करेंगे. कंपनी पर ऑपरेशनल क्रेडिटर्स के 224 करोड़ रु. बकाया हैं.
कार के पार्ट्स बनाने वाली गुड़गांव की एमटेक ऑटो ने स्टॉक एक्सचेंजों को बताया था कि आईडीबीआई की अगुवाई वाली बैंकों के समिति ने लिबर्टी हाउस के बिड को मंजूरी दे दी है.
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