राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े मजदूर संगठन भारतीय मजदूर संघ (BMS) ने मांग की है कि बीड़ी के बंडल पर सेहत संबंधी खतरे की सचित्र चेतावनी प्रकाशित करने की अनिवार्यता खत्म की जाए. संगठन ने इसके लिए श्रम मंत्री संतोष गंगवार से हस्तक्षेप करने की मांग की है.
क्या है बीएमएस का तर्क
बीएमएस का कहना है कि सितंबर से लागू किए जाने वाले इस निर्णय से बीड़ी उद्योग में कार्यरत 80 लाख मजदूरों और तेंदू पत्ता चुनने वाले एक करोड़ व्यक्तियों की आजीविका पर असर पड़ेगा.
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क्या है मसला
गौरतलब है कि अभी सिगरेट, कई तंबाकू उत्पादों आदि पर कैंसर की आशंका वाली सचित्र चेतावनी जारी की जाती है. अब बीड़ी के लिए भी इसे अनिवार्य किया जा रहा है.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने गत 13 अप्रैल को एक अधिसूचना जारी कर 25 बीड़ी वाले बंडल के 85 प्रतिशत हिस्से पर सचित्र चेतावनी छापना अनिवार्य कर दिया है. नियमों में बदलाव के साथ इस अधिसूचना में पैकेज की परिभाषा भी संशोधित की गयी है. पैकेज में रैपर, बॉक्स, कागज या टिन की पेटी या कार्टन को शामिल किया गया है. इसे इस साल 1 सितंबर से करना अनिवार्य है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, बीएमएस स्वास्थ्य मंत्रालय से भी इस निर्णय को वापस लेने और 2009 का आदेश बहाल करने की अपील कर चुका है. संगठन ने सोमवार को कहा कि उसका एक प्रतिनिधिमंडल संतोष गंगवार से मिला है और इस मामले में हस्तक्षेप करने की उनसे अपील की. बीएमएस ने इस बाबत जारी सरकारी अधिसूचना वापस लिए जाने की मांग की है.
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श्रम मंत्री से मिला आश्वासन!
संगठन के अनुसार, श्रम मंत्री ने यह वादा किया है कि वह इस मसले को स्वास्थ्य मंत्रालय के सामने उठाएंगे. गंगवार ने यह आश्वासन भी दिया कोरोना और लॉकडाउन से प्रभावित बीड़ी कामगारों के लिए रोजगार के अवसर तलाशने के लिए अलग से एक बैठक की जाएगी.
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