कोई बैंक कारोबार में विफलता की वजह से अगर बंद होता है तो उसमें धन जमा रखने वाले जमाकर्ताओं को बीमा सुरक्षा के तहत सिर्फ 1 लाख रुपये ही मिलेंगे. यह जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक की कंपनी डिपॉजिट इंश्योरेंस ऐंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (डीआईसीजीसी) ने दी है.
दरअसल, बीते दिनों वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि जमाकर्ताओं की बैंकों में जमा राशि पर मिलने वाले इंश्योरेंस को वर्तमान में 1 लाख रुपये की लिमिट से ऊपर किया जाएगा. इसके बाद सूचना के अधिकार (RTI) कानून के तहत पूछे गए सवाल के जवाब में डीआईसीजीसी ने कहा कि यह सीमा बचत, मियादी, चालू और आवर्ती हर प्रकार की जमा के लिए है.
क्या कहा डीआईसीजीसी ने ?
डीआईसीजीसी के मुताबिक, ‘डीआईसीजीसी कानून की धारा 16 (1) के तहत अगर बैंक विफल होता है या उसे बंद करना पड़ता है, तो डीआईसीजीसी प्रत्येक जमाकर्ता को बीमा कवर के रूप में 1 लाख रुपये तक देने के लिए जवाबदेह है. इसमें विभिन्न शाखाओं में जमा मूल राशि और ब्याज दोनों शामिल हैं.’
वहीं आरटीआई के एक अन्य सवाल में यह पूछा गया कि क्या पीएमसी बैंक धोखाधड़ी को देखते हुए 1 लाख रुपये की लिमिट को बढ़ाने का प्रस्ताव है. इस सवाल के जवाब में डीआईसीजीसी ने कहा, ‘कॉरपोरेशन के पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है.’ बता दें कि डीआईसीजीसी कानून के तहत सभी पात्र सहकारी बैंक भी आते हैं.
क्या कहा था निर्मला सीतारमण ने?
बीते अक्टूबर में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इंश्योरेंस लिमिट बढ़ाने के संकेत दिए थे. उन्होंने बताया था कि ''बैंक जमा एवं ऋण गारंटी निगम अधिनियम'' योजना के तहत जमाकर्ताओं की बैंकों में जमा राशि पर मिलने वाले इंश्योरेंस को वर्तमान में 1 लाख रुपये की सीमा से ऊपर किया जाएगा. इसके लिए संसद के शीतकालीन सत्र में संशोधन विधेयक रखा जा सकता है. हालांकि वित्त मंत्री ने यह नहीं बताया कि बैंक जमा पर बीमा सुरक्षा की नई सीमा कितनी होगी.
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