बजाज ऑटो के मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) राजीव बजाज ने भारत में लॉकडाउन को ड्रैकोनियन यानी निर्दयी तरीके से लागू बताया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी से संवाद में उन्होंने कहा कि इतने सख्ती की जरूरत नहीं थी.
कोरोना संकट के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार एक्सपर्ट्स से बात कर रहे हैं. इसी कड़ी में राहुल गांधी ने गुरुवार को बजाज ऑटो के मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव बजाज से बात की.
इस दौरान राजीव बजाज ने कहा कि लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था को बहुत गहरी चोट पहुंची है और लोगों में इसको लेकर काफी डर बना हुआ है.
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राजीव बजाज ने कहा, 'हमारे जापान, यूरोप, अमेरिका, सिंगापुर जैसे कई देशों में दोस्त हैं. इसके अलावा दुनिया के कई देशों में बात होती है. भारत में एक तरह का ड्रैकोनियन लॉकडाउन हुआ. ऐसा लॉकडाउन कहीं पर भी नहीं हुआ है. दुनिया के कई देशों में हमेशा लोगों को बाहर निकलने की अनुमति थी, लेकिन हमारे यहां स्थिति अलग रही.'
कहां रह गई चूक
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि भारत में कुछ लोग ऐसे हैं जो इससे निपट सकते हैं, लेकिन करोड़ों मजदूर हैं जिन्हें मुश्किल झेलनी पड़ी. भारत के लॉकडाउन में कहां चूक रह गई. इसके जवाब में राजीव बजाज ने कहा, ' कोरोना से निपटने के लिए सबक के रूप में भारत ने पूरब के देशों की तरफ नहीं बल्कि पश्चिम की ओर देखा. हमने इटली, फ्रांस, ब्रिटेन, अमेरिका की तरह देखा, जबकि हमें पूर्वी देशों की तरफ देखना चाहिए था. पूर्वी देशों में इसके खिलाफ बेहतर काम हुआ है. तापमान, भौगोलिक विशेषता, मेडिकल समेत तमाम विशेषताओं की वजह से पूरब के देश हमारे लिए अनुसरण करने वाले हो सकते थे.'
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उन्होंने कहा, 'आम आदमी के नजरिए से लॉकडाउन काफी कठिन है, क्योंकि भारत जैसा लॉकडाउन कहीं पर भी नहीं हुआ. आज हर कोई बीच का रास्ता निकालना चाहता है, भारत ने सिर्फ पश्चिम को नहीं देखा, बल्कि उससे आगे निकल गया. और कठिन लॉकडाउन लागू किया. कमजोर लॉकडाउन से वायरस रहता है और सख्त लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था बिगड़ गई.' .
राजीव बजाज ने कहा, 'मैंने कई एक्सपर्ट से बात की है, लॉकडाउन की शुरुआत में मेरी बात हुई थी कि जैसे ही लॉकडाउन लागू होता है तो बीमारी का तरीका बदल जाता है. उसे बदल पाना मुश्किल है, इसमें वक्त और कोशिशें ज्यादा है. दुनिया में पहले भी टीबी, डायरिया जैसी बीमारियां रही हैं. इस बीमारी ने अमीरों और विकसित देशों को ज्यादा चोट पहुंचाई है. जब अमीर बीमार होते हैं, तो हेडलाइन बनती है. अफ्रीका में हर दिन 8000 बच्चे भूख से मरते हैं, लेकिन हेडलाइन नहीं बनती है. इस बीमारी से विकसित देश, अमीर लोग और समृद्ध लोग प्रभावित हैं इसलिए कोरोना पर शोर ज्यादा है.'
राजीव बजाज ने कहा कि आज दुनिया में सरकारें आम लोगों को सीधे मदद दे रही हैं. इकोनॉमी को राहत पैकेज दिया गया. लेकिन भारत में सिर्फ सपोर्ट की बात की गई. सरकार की ओर से आम लोगों को सीधे हाथ में पैसा नहीं दिया गया.
राहुल गांधी ने कहा, 'मेरे हिसाब से लॉकडाउन फेल है और अब केस बढ़ रहे हैं. अब केंद्र सरकार पीछे हट रही है और कह रही है राज्य संभाल लें. भारत ने दो महीने का पॉज बटन दबाया और अब वो कदम उठा रहा है जो पहले दिन लेना था. जबतक ऊपर से नीचे तक फैसला होगा तो ऐसा ही होगा, नीचे से ऊपर फैसला होना चाहिए.'
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