कोरोना की वजह से देशभर में लॉकडाउन दूसरे हफ्ते में प्रवेश कर गया है. इस बीच वित्त मंत्रालय एक और राहत पैकेज देने की तैयारी कर रही है. इस बार का राहत पैकेज इंडस्ट्री के लिए होगा और यह पहले के 1.7 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का होगा.
प्रधानमंत्री कार्यालय, वित्त मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय, आयकर विभाग के कई शीर्ष अफसर नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत के साथ उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के साथ तीन बार मिल चुके हैं और उनकी समसस्याओं, जरूरतों को समझने की कोशिश की है.
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गरीबों के लिए सरकार ने किया है 1.70 लाख करोड़ के पैकेज का ऐलान
गौरतलब है कि गत 26 मार्च को केंद्र सरकार ने कोरोना की वजह से देश भर में लॉकडाउन की स्थिति से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले गरीब, किसान, गरीब महिला, सीनियर सिटीजन सबको राहत देने के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 1.70 लाख करोड़ रुपये का पैकेज दिया था.
इंडस्ट्री के दिग्गजों ने की है मुलाकात
इंडस्ट्री जगत से आरसी भार्गव (मारुति सुजुकी इंडिया), पवन गोयनका(महिंद्रा ऐंड महिंद्रा), नरेश त्रेहान(मेदांता), आदित्य कल्याणी(भारत फोर्ज), बनमाली अग्रवाल (टाटा सन्स) जैसे दिग्गजों ने सरकारी अधिकारियों से मिलकर इस पैकेज के बारे में विचार—विमर्श किया है.
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क्या हुआ इस मीटिंग में
सूत्रों ने आजतक—इंडिया टुडे टीवी को बताया कि इन बैठकों में मौजूदा हालात और आगे का रास्ता क्या है, इस पर विचार हुआ. इंडस्ट्री जगत के लोगों ने सरकार से यह मांग की है कि अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए राहत पैकेज दिया जाए. कोरोना वायरस की वजह से देशभर में लॉकडाउन और दुनिया भर में स्लोडाउन की वजह से उद्योग जगत पर बहुत बुरा असर पड़ा है और ज्यादातर लोगों का यह मानना है कि इंडस्ट्री को पटरी पर लाने के लिए सरकार से ठोस सहायता की जरूरत है.
किस सेक्टर को क्या मिलेगा
ऑटोमोबाइल, एविएशन और रेस्टोरेंट इंडस्ट्री जैसे कई सेक्टर के प्रतिनिधियों ने सरकार को इस बारे में विस्तार से प्रस्ताव भेजे हैं. एविएशन सेक्टर 11,000 करोड़ रुपये के पैकेज की मांग कर रहा है, जबकि रेस्टोरेंट इंडस्ट्री की यह मांग है कि सरकार कर्मचारियों को बेरोजगारी से बचाने के लिए वेतन में सहयोग करे और करों में कटौती करे. इन मांगों को देखते हुए सरकार इस बार बड़े पैकेज देने पर विचार कर रही है.
सूत्रों ने बताया कि सरकार अभी इस पर मंथन कर रही है कि किस सेक्टर को सबसे ज्यादा संरक्षण की जरूरत है. वित्त मंत्रालय के कई वरिष्ठ अधिकारी यह मानते हैं कि छोटे कारोबारों और एमएसएमई को तत्काल संरक्षण की जरूरत है, क्योंकि लॉकडाउन से उन पर काफी बुरा असर हुआ है. अब अधिकारी इस पर विचार में लगे हैं कि पैकेज में किस इंडस्ट्री को कितना हिस्सा दिया जाए.
ऐश्वर्या पालीवाल