कोरोना की वजह से मार्च में मैन्युफैक्चरिंग सुस्त, 4 महीने की सबसे धीमी रफ्तार

आईएचएस मार्किट सर्वे के मुताबिक कोरोना वायरस महामारी से दुनिया भर में आर्थिक गतिविधियां धीमी पड़ी हैं, जिसका असर भारत में भी दिखा. मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियां मार्च 2020 में कमजोर पड़ गई हैं और इसकी रफ्तार पिछले चार महीनों में सबसे धीमी रही. हालांकि इसमें बढ़त दिख रही है. एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है.

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 कोरोना की वजह से घट गई मैन्युफैक्चरिंग की स्पीड कोरोना की वजह से घट गई मैन्युफैक्चरिंग की स्पीड

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 02 अप्रैल 2020,
  • अपडेटेड 2:15 PM IST

  • कोरोना की वजह से घट गई मैन्युफैक्चरिंग की स्पीड
  • दुनिया के ज्यादातर देशों में मैन्युफैक्चरिंग पर असर
  • भारत में भी मार्च में विनिर्माण की गति सुस्त हुई
  • मार्च में पिछले चार महीने की सबसे कम बढ़त देखी गई

कोरोना के प्रकोप के बीच देश में मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियां मार्च 2020 में कमजोर पड़ गईं हैं और इसकी रफ्तार पिछले चार महीनों में सबसे धीमी रही. हालांकि इसमें बढ़त दिख रही है. एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है.

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आईएचएस मार्किट सर्वे के मुताबिक कोरोना वायरस महामारी से दुनिया भर में आर्थिक गतिविधियां धीमी पड़ी हैं, जिसका असर भारत में भी दिखा. आईएचएस मार्किट भारत मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई मार्च में गिरकर 51.8 हो गया, जो फरवरी में 54.5 था. इस तरह यह नवंबर 2019 के बाद से सबसे कम सुधार को दर्शाता है.

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हालांकि, यह लगातार 32वां महीना है, जब मैन्युफैक्चरिंग (विनिर्माण) पीएमआई 50 ​​अंकों के निशान से ऊपर बना हुआ है. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सूचकांक में 50 से अधिक अंक विनिर्माण गतिविधियों में बढ़ोतरी को दर्शाता है, जबकि इससे कम संकुचन यानी गिरावट को दर्शाता है.

क्या है सर्वे की रिपोर्ट

सर्वे के अनुसार 12 महीने के कारोबारी दृष्टिकोण के लिहाज से मार्च में धारणा कमजोर हुई. कुछ लोगों ने कहा कि कोरोना वायरस और इसके चलते मांग पर नकारात्मक प्रभाव लंबे समय तक बने रहने की आशंका है.

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फरवरी में भी आई थी सुस्ती

कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ने के कारण फरवरी में भी भारत की औद्योगिक गतिविधियों की ग्रोथ रेट कम थी. आईएचएस मार्किट इंडिया के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) फरवरी 2020 में 54.5 पर रहा.

जनवरी में हुई थी अच्छी बढ़त

यह आंकड़ा जनवरी के 55.3 अंक के मुकाबले नीचे है. जनवरी में यह पिछले आठ साल के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया था. जनवरी में कहा गया था कि मांग में सुधार का असर दिख रहा है. आर्थिक विकास दर में सुस्ती, निवेश और मांग के मोर्चे पर मौजूदा चुनौतियों के बीच मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी में सकारात्मक संकेत देखने को मिले थे.

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