कोरोना वायरस संकट के दौरान जहां देशभर में किराना दुकानें अनिवार्य सामान की आपूर्ति कर लोगों के लिए जीवनरेखा बनी रहीं, वहीं इससे प्रभावित हुए कारोबार के चलते आस-पड़ोस की परचून दुकानें भी इनोवेशन और डिजिटल प्रौद्योगिकी को अपनाने पर ध्यान दे रही हैं. कंसल्टेंसी कंपनी अर्न्स्ट ऐंड यंग (EY) के एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है.
कंपनी ने देश के पांच मेट्रो और सात छोटे शहरों (गैर-मेट्रो) में विभिन्न तरह के सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि वाले छोटे-बड़े किराना दुकानदारों के साक्षात्कार कर यह रिपोर्ट तैयार की है.
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क्या कहा गया रिपोर्ट में
ईवाई की नवीनतम रिपोर्ट ‘भारत की भावना: किराना दुकानें-देश की धमनी’ में कहा गया है कि सर्वेक्षण में शामिल 40 फीसदी किराना दुकानदारों ने ऑनलाइन डिलिवरी कंपनियों और आपूर्ति कंपनियों के साथ जुड़ने की इच्छा दिखाई.
उनका मानना है कि इससे उन्हें अपना कारोबार बढ़ाने के साथ-साथ ऐसे (कोविड-19 संकट) समय से पार पाने में भी मदद मिल सकती है. सर्वेक्षण के बारे में ईवाई इंडिया के पार्टनर शशांक श्वेत (ग्राहक अनुभव) ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा, ‘कोविड-19 महामारी के बीच किराना दुकानें स्थानीय नायक की तरह सामने आईं. उन्होंने एक बड़ी आबादी तक अनिवार्य वस्तुओं की आपूर्ति तय की. किराना दुकानों ने ग्राहकों की बदलती मांगों को पूरा करने की कोशिशों के साथ-साथ अपनी रोजना की आपूर्ति का भी प्रबंध किया.'
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तारीफ के काबिल बदलाव
उन्होंने कहा, ‘जिस तरह से इन किराना दुकानदारों ने इनोवेशन और डिजिटल तकनीक को अपनाया वह काबिले तारीफ है. फिर वह चाहें डिजिटल लेनदेन हो, परिचालन के तौर तरीकों को बदलना हो या कोविड-19 के असर को कम करने के लिए प्रौद्योगिकी को अपनाने में लगने वाला समय कम करना, सब प्रशंसनीय हैं.'
पड़ोस की दुकानों के प्रति भरोसा बढ़ा
सर्वेक्षण के अनुसार मेट्रो और गैर-मेट्रो शहरों दोनों ही जगह के 20 फीसदी किराना दुकानदारों ने डिलिवरी और अपनी आपूर्ति चेन में मदद के लिए डिजिटल एवं ऑनलाइन मंचों का उपयोग करना शुरू कर दिया है. इतना ही नहीं इस महामारी ने लोगों का भरोसा स्थानीय और मोहल्ले-पड़ोस की किराना दुकानों फिर से बढ़ाया है.
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