कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय और स्टॉक एक्सचेंजों से हासिल जानकारी से यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि कैफे कॉफी डे (CCD) का संचालन करने वाली कंपनी और उसके प्रमोटर वी.जी. सिद्धार्थ के ऊपर 11,000 करोड़ रुपये से ज्यादा कर्ज बोझ हो गया था. शायद इस वजह से ही सिद्धार्थ बहुत दबाव में थे, जैसा कि उनके लेटर से भी संकेत मिलता है. यह अभी तक एक रहस्य ही है कि इतने बड़े कर्ज का कंपनी और उसके प्रमोटर्स ने कहां इस्तेमाल किया.
पूर्व विदेश मंत्री एसएम कृष्णा के दामाद और कैफे कॉफी डे के मालिक वीजी सिद्धार्थ सोमवार शाम से गायब हो गए थे. बाद में बुधवार सुबह उनका शव मंगलुरु के पास नेत्रावती नदी में मिला था.
प्राप्त जानकारी के अनुसार लिस्टेड कंपनी कॉफी डे एंटरप्राइजेज (CDEL) के ऊपर 31 मार्च, 2019 तक कुल 6,547 करोड़ रुपये कर्ज था. इसी प्रकार सिद्धार्थ और प्रमोटर समूह की 4 प्राइवेट होल्डिंग कंपनियों के बारे में हासिल आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2018-19 में उनके ऊपर करीब 3,522 करोड़ रुपये का बकाया था.
इसके अलावा सिद्धार्थ ने CDEL के दो अन्य निदेशकों ने करीब 1,028 करोड़ रुपये के लोन की पर्सनल गारंटी दी थी. CDEL की 2017-18 की सालाना रिपोर्ट के अनुसार, यह लोन कॉफी डे एंटरप्राइजेज को मिला था. कॉफी डे एंटरप्राइजेज की चार प्रमोटर कंपनियों ने कई कर्जदाताओं के पास साल 2014 के बाद 3,522 करोड़ रुपये के शेयर गिरवी रखकर लोन लिए हैं.
यह अभी साफ नहीं है कि प्राइवेट होल्डिंग कंपनियों का कितना गिरवी शेयर सीडीईएल के लोन के लिए था. इस प्रकार सिद्धार्थ और उनकी कंपनियों पर कुल 11,097 करोड़ रुपये का कर्ज हो गया था, जिसको संभालना मुश्किल हो रहा था और शायद इस दबाव में ही कॉफी किंग सिद्धार्थ ने नदी में कूद जाने जैसा हताशा भरा कदम उठाया.
संभालना क्यों हुआ मुश्किल
असल में शेयरों की कीमत में जब गिरावट होने लगती है कि तो प्रमोटर को इस खाई को भरने के लिए और शेयर गिरवी रखने पड़ते हैं, नहीं तो कर्जदाता शेयरों की बिक्री करने लगते हैं. सिद्धार्थ को जो अंतिम लेटर वायरल हुआ है उसमें भी उन्होंने इस बात का संकेत किया है कि कंपनी के कर्ज बोझ को संभालना मुश्किल हो रहा था और इसके साथ ही इनकम टैक्स अधिकारी भी उन्हें परेशान कर रहे थे, जिसकी वजह से वह एक 'विफल उद्यमी बन गए.'
गौरतलब है कि 30 जून, 2019 तक के आंकड़ों के मुताबिक सिद्धार्थ और उनके प्रमोटर समूह की ईकाइयों की कॉफी डे एंटरप्राइजेज में 53.93 फीसदी हिस्सेदारी थी, लेकिन इसका 75.70 फीसदी हिस्सा गिरवी रखा गया था.
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