भारत के सात करोड़ व्यापारियों की ओर से कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने (कैट) ने रविवार को ई-कॉमर्स कंपनियों को लॉकडाउन के दौरान गैर-जरूरी सामान को बेचने की अनुमति को वापस लेने के फैसले को सही करार दिया है.
कैट ने की थी पीएम से हस्तक्षेप की मांग
दरअसल जब से ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा दूसरे सामान भी बेचे जाने की खबरें आई थीं. तभी से कैट इस फैसले के विरोध में था, और पीएम मोदी खत लिखकर हस्तक्षेप की मांग की थी.
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कैट ने कहा की अधिसूचना वापस लेना यह दर्शाता है कि छोटे व्यापारी पीएम मोदी की प्राथमिकता पर हैं और व्यापारियों के खिलाफ कोई भी निर्णय लंबे समय तक नहीं चलेगा.
व्यापारियों में बढ़ा विश्वास
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भारतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने केंद्र सरकार के इस फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार का यह निर्णय भारत के पूरे व्यापारिक समुदाय के लिए बहुत लाभदायक है और इसने भारतीय व्यापारियों के विश्वास को और मजबूत किया है.
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के बावजूद कैट देशभर में आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई कर रहा है. हालांकि इस दौरान व्यापारियों को बहुत सारी बाधाओं का सामना करना पड़ा है.
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सरकार ने बदला फैसला
गौरतलब है कि लॉकडाउन के बीच ई-कॉमर्स कंपनियों को 20 अप्रैल से कई तरह की छूटें मिलने वाली थीं. कंपनियां दूसरे प्रोडक्ट्स भी बेचने की तैयारी में थी. लेकिन इस बीच रविवार को गृह मंत्रालय ने आदेश दिया है कि ई-कॉमर्स कंपनियों के जरिए लॉकडाउन के दौरान गैर-जरूरी सामानों की सप्लाई पर रोक जारी रहेगी.
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