आरकाॅम की दिवालिया प्रक्रिया शुरू, NCLT ने अपने हाथ में लिया बोर्ड

नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) ने गुरुवार को अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस को इनसॉल्वेंसी के लिए भेजने की याचिका स्वीकार कर ली. एनसीएलटी  ने इसके बोर्ड को भंग कर दिया है और इस पर अपना अधिकार कर लिया है.

Advertisement
अनिल अंबानी समूह ने किया था दिवालिया के लिए आवेदन अनिल अंबानी समूह ने किया था दिवालिया के लिए आवेदन

दिनेश अग्रहरि

  • नई दिल्ली,
  • 10 मई 2019,
  • अपडेटेड 2:58 PM IST

अनिल धीरूभाई अंबानी समूह की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) की दिवालिया प्रक्रिया आखिरकार घोषित हो गई है. नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) ने इसके बोर्ड को भंग कर दिया है और इस पर अपना अधिकार कर लिया है. कंपनी के ऊपर 50,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज है.

एनसीएलटी ने गुरुवार को अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस को इनसॉल्वेंसी के लिए भेजने की बात स्वीकार कर ली. आरकॉम ने अपना बचाव करते हुए कहा था कि दिवालिया प्रक्रिया में 357 दिनों की छूट दी जाए, क्योंकि मुकदमेबाजी में इतने दिन खर्च हो गए हैं.

Advertisement

एनसीएलटी ने इस बात को स्वीकार कर लिया और कंपनी के बोर्ड को अपने हाथ में लेते हुए इसके लिए एक नया रेजोल्युशन प्रोफेशनल नियुक्त कर दिया. एनसीएलटी ने एसबीआई के नेतृत्व वाले 31 बैंकों के कंसोर्शियम को इस बात की भी इजाजत दी कि वह कर्ज देने वालों की एक कमिटी बनाए. वीपी सिंह और आर दुरईसामी की बेंच ने यह निर्णय लिया.

गौरतलब है कि टेलीकॉम सेक्टर में गलाकाट टैरिफ वार शुरू होने के बाद आरकॉम को भारी घाटा होने लगा. यह प्रतिस्पर्धा खुद उनके बड़े भाई मुकेश ने जियो के माध्यम से शुरू की थी, जब उन्होंने फ्री कॉल्स और बेहद सस्ता डेटा देना शुरू किया. कर्ज में फंसी आरकॉम को करीब 3 साल पहले अपना कामकाज बंद करना पड़ा था.

कंपनी ने रिलायंस जियो को स्पेक्ट्रम बेचकर दिवाला प्रक्रिया से बचने का प्रयास किया, लेकिन लंबी कानूनी प्रक्रिया के अलावा सरकार की ओर से मंजूरियों में देरी से इसमें अड़चनें आईं. वहीं आरकॉम सार्वजनिक रूप से रियल एस्टेट और स्पेक्ट्रम एसेट्स के मौद्रीकरण के जरिये बैंकों का पैसा लौटाने के सार्वजनिक तौर पर किए गए वादे को भी पूरा नहीं कर पाई.

Advertisement

इसके पहले अनिल अंबानी एक कर्ज संकट में फंसे थे जिसमें दूरसंचार उपकरण बनाने वाली कंपनी एरिक्सन को 550 करोड़ रुपये के बकाया का भुगतान न करने की वजह से उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही थी. मार्च महीने में रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) ने स्वीडन की दूरसंचार उपकरण बनाने वाली कंपनी एरिक्सन को 550 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया. लेकिन अनिल अंबानी ने ये पैसे अपने बड़े भाई मुकेश अंबानी से लेकर चुकाए.

अगर कंपनी ऐसा करने में विफल रहती तो आरकॉम के चेयरमैन अनिल अंबानी को 3 महीने जेल की सजा काटनी पड़ सकती थी. ऐसे में मदद के लिए बड़े भाई मुकेश अंबानी सामने आए. करीब तीन साल पहले अनिल अंबानी समूह की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) ने अपने कर्ज की वापसी में डिफाल्ट करना शुरू किया.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement