Gold Alert: 'डर का मतलब सोना खरीदना...' Gold को लेकर फिर आई बड़ी वार्निंग!

सोना को लेकर बड़ी चेतावनी आई है. एक्‍सपर्ट ने अभी गोल्‍ड खरीदने को असली खतरा बताया है. यह 2008 के आर्थिक मंदी और कोविड-19 जैसे संकट की याद दिला रहा है.

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सोने की तेजी को लेकर एक्‍सपर्ट की चेतावनी. (Photo: Representative) सोने की तेजी को लेकर एक्‍सपर्ट की चेतावनी. (Photo: Representative)

आजतक बिजनेस डेस्क

  • नई दिल्‍ली,
  • 23 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 7:51 PM IST

गोल्‍ड और सिल्‍वर ने इस साल जबरदस्‍त तेजी दिखाई है. सिल्‍वर 70 फीसदी ऊपर है और सोना 55% चढ़ा हुआ है. एक्‍सपर्ट ने इसे लेकर अब नई चेतावनी दे दी है. उनका कहना है कि इस तेजी से रिटेल इन्‍वेस्‍टर्स को ज्‍यादा खतरा है. इस चेतावनी के बीच, पिछले कुछ दिनों के दौरान सोना-चांदी के भाव में गिरावट देखी गई है.

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MCX पर चांदी का भाव 22000 रुपये कम हो चुका है, जबकि सोना भी करीब 9 हजार रुपये टूट चुका है. फिर भी अभी गिरावट की संभावना बनी हुई है, क्‍योंकि एशियाई मार्केट से लेकर अमेरिका-लंदन तक यानी ग्‍लोबल स्‍तर पर सोना-चांदी में लगातार गिरावट जारी है. 

ग्‍लोबल स्‍तर पर हाजिर सोना 0.53 प्रतिशत गिरकर 4,102.09 डॉलर प्रति औंस पर आ गया, जबकि दिसंबर डिलीवरी के लिए अमेरिकी सोना वायदा 0.4 प्रतिशत बढ़कर 4,124.10 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया है. हाजिर चांदी भी 48.82 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रही है. 

एक्‍सपर्ट ने क्‍या दी चेतवानी? 
Taxbuddy के संस्थापक सुजीत बांगर ने चेतावनी दी है कि केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने की खरीद में ऐतिहासिक उछाल (पिछले एक साल में 3,16,000 किलोग्राम से ज्‍यादा) मुनाफे से कम और वैश्विक रेड अलर्ट ज्‍यादा है. लिंक्डइन पर एक पोस्ट में बांगर ने सोने की कीमतों में 63% की उछाल को कोई तेजी नहीं, बल्कि एक चेतावनी बताया है. 

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'डर का मतलब सोना खरीदना'
उन्‍होंने कहा कि यह महज एक तेजी नहीं, बल्कि चेतावनी का संकेत है. यह 2008 के आर्थिक मंदी और कोविड-19 जैसे संकटों की याद दिला रहा है. उन्‍होंने कहा कि परंपरागत तौर से निवेशक अस्थिरता के दौरान अमेरिकी डॉलर और ट्रेजरी की ओर इशारा करते हैं, लेकिन बांगर का तर्क है कि अब स्थिति बदल गई है. डर का मतलब अब डॉलर की सुरक्षा नहीं, बल्कि सोना खरीदना है. 

उन्‍होंने कहा कि सोना डिफॉल्‍ट नहीं होता. यह करेंसी नहीं छापता और यह किसी नीतिगत एजेंडे का पालन भी नहीं करता. केंद्रीय बैंक खुद इस मामले में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं. 2000 के दशक में जो कभी टॉप सेलर थे, अब वे सबसे बड़ खरीदार हैं और चीन, भारत और रूस अपने भंडार बढ़ा रहे हैं. बांगर कहते हैं कि ब्रिक्‍स समूह में यह कोई बचाव नहीं है, यह एक रणनीति है. 

क्‍यों केंद्रीय बैंक इतना सोना खरीद रहे हैं? 
केंद्रीय बैंकों द्वारा सोना खरीदने का एक प्रमुख कारण, 2022 में पश्चिमी शक्तियों द्वारा रूस के केंद्रीय बैंक की संपत्तियों को जब्त कर लेना. उन्होंने लिखा कि इस झटके ने राष्ट्रों को याद दिलाया कि डॉलर के भंडार को हथियार बनाया जा सकता है. इसलिए वे विविधीकरण कर रहे हैं. 

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भारत और रूस ने बढ़ाया भंडार
पिछले एक साल में, भारत में कुल भंडार में सोने का हिस्सा 9.6% से बढ़कर 13.1% हो गया और रूस में 29.5% से बढ़कर 35.8% हो गया है. यहां तक ​​कि चांदी और प्लैटिनम भी औद्योगिक और ग्रीन टेक्‍नोलॉजी की मांग के कारण चिंता का विषय बने हुए हैं. बांगर ने आगे कहा कि राजनीतिक दबाव, खासकर ब्याज दरों में कटौती और नए टैरिफ के लिए ट्रंप के दबाव से सोने को और बढ़ावा मिल रहा है. 

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