'लैंड फॉर जॉब' घोटाले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव की मुश्किलें और बढ़ गई हैं. राष्ट्रपति ने पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है.
रिपोर्ट के मुताबिक यह मंजूरी दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197(1) (या बीएनएसएस, 2023 की धारा 218) के तहत दी गई है) के तहत है जो किसी पूर्व मंत्री पर कानूनी कार्रवाई शुरू करने के लिए एक आवश्यक प्रक्रिया है.
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की प्राथमिकी के आधार पर शुरू की थी, जिसमें आरोप है कि लालू यादव के रेल मंत्री रहने के दौरान (2004-2009) भारतीय रेलवे की ग्रुप-डी की नौकरियों के बदले जमीनें ली गईं. ये ज़मीनें या तो सीधे या परोक्ष रूप से यादव के परिवार के सदस्यों के नाम पर ली गई थीं.
ED ने जनवरी में दर्ज की थी शिकायत
CBI पहले ही इस मामले में तीन चार्जशीट और कई पूरक चार्जशीटें दायर कर चुकी है, जिनमें यह बताया गया है कि कैसे लोगों को नौकरियों के बदले ज़मीन देने के लिए मजबूर किया गया, या उन्हें रिश्वत स्वरूप लिया गया. इससे पहले 8 जनवरी 2024 को ED ने PMLA (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट), 2002 के तहत लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी, बेटियों मीसा भारती और हेमा यादव, और दो कंपनियों AK Infosystems Pvt. Ltd और AB Exports Pvt. Ltd के खिलाफ अभियोजन शिकायत दर्ज की थी.
राष्ट्रपति ने केस को दी मंजूरी
इसके अतिरिक्त, 6 अगस्त 2024 को लालू यादव, उनके बेटे तेजस्वी प्रसाद यादव, और अन्य के खिलाफ एक पूरक अभियोजन शिकायत भी नई दिल्ली स्थित विशेष PMLA अदालत में दाखिल की गई थी. अदालत इन आरोपों को पहले ही संज्ञान में ले चुकी है. अब राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद, पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के खिलाफ मुकदमे का रास्ता साफ हो गया है. यह घोटाला देश के सबसे बड़े भ्रष्टाचार मामलों में से एक माना जा रहा है.
मुनीष पांडे