7 लाख लोग कतार में... कब मिलेगी कार? केवल इस वजह से लंबा इंतजार

सेमीकंडक्टर (Semiconductor) संकट के असर से कार कंपनियों और खरीदारों को बड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है. कार कंपनियों के पास कारों के बेहद खास इलेक्ट्रॉनिक पुर्जे सेमीकंडक्टर चिप (Microchip Shortage) की भारी किल्लत है.

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चिप ने बिगाड़ा खेल चिप ने बिगाड़ा खेल

aajtak.in

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  • 16 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 5:30 PM IST
  • कई गाड़ियों के लिए वेटिंग पीरियड एक साल
  • मारुति सुजुकी को करनी है ढाई लाख कारें डिलीवर

सेमीकंडक्टर (Semiconductor) संकट के असर से कार कंपनियों और खरीदारों को बड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है. कार कंपनियों के पास कारों के बेहद खास इलेक्ट्रॉनिक पुर्जे सेमीकंडक्टर चिप (Microchip Shortage) की भारी किल्लत है. चिप की कमी से कार कंपनियां पूरी क्षमता के साथ कारों का उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं, जिससे देश में 7 लाख से ज्यादा कार खरीदार अपनी कार के घर आने का इंतजार कर रहे हैं. 

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ऐसे में कोरोना के बाद हुई तेज आर्थिक रिकवरी का फायदा भी कार कंपनियों को नहीं मिल पा रहा है. नए मॉडल्स की लॉन्चिंग के बावजूद कार कंपनियां समय पर ग्राहकों को कारों की डिलीवरी नहीं कर पा रही हैं. 

कई गाड़ियों के लिए एक साल का लंबा इंतजार 

चिप संकट की वजह से कुछ कारों का वेटिंग पीरियड तो 1 साल लंबा हो गया है. इस लिस्ट में शामिल कारों के नाम हैं- महिंद्रा XUV 7OO, मारुति के CNG वेरिएंट्स, हुंडई क्रेटा, किआ सेल्टॉस, MG एस्टर, टाटा पंच, मर्सिडीज जीएलएस, और ऑडी ईट्रॉन इलेक्ट्रिक.  
वहीं महीनों की वेटिंग वाली कारों की लिस्ट तो बेहद लंबी है. इस बढ़ते वेटिंग पीरियड के असर से कार कंपनियों पर बुकिंग का जबरदस्त बोझ है.

केवल मारुति सुजुकी ( Maruti Suzuki) को ढाई लाख से ज्यादा कारों की डिलीवरी करनी है. जबकि हुंडई, टाटा मोटर्स और महिंद्रा को 1 लाख से ज्यादा, किआ मोटर्स को 75 हजार से ज्यादा, MG मोटर्स को 46 हजार से ज्यादा, फॉक्सवैगन, स्कोडा, टोयोटा, निसान, रेनॉ, ऑडी सभी को मिलाकर 75 हजार से ज्यादा और मर्सिडीज इंडिया को 2800 से ज्यादा कारों की डिलीवरी करनी है. 

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यही नहीं, आने वाले दिनों में ये लिस्ट और भी बढ़ सकती है क्योंकि 2022 की पहली छमाही तक हालात सामान्य होने का अनुमान नहीं है. इनमें भी इलेक्ट्रिक कारों के लिए वेटिंग पीरियड सबसे ज्यादा है, क्योंकि इनमें कई चिप की जरूरत होती है. ऐसे में कंपनियां  उत्पादन बढ़ाने और चिप की सप्लाई बढ़ाने की पूरी कोशिश कर रही हैं. 

 

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