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Israel-Iran War:...तो मचेगी भीषण तबाही! ईरान के खिलाफ इजरायल के साथ खुलकर जंग में कूदा अमेरिका तो क्या होगा?

ईरान से जंग के 48 घंटे बीतने के बाद इजरायली अधिकारियों ने अमेरिका से गुहार लगाई है कि ईरान के यूरेनियम संवर्धन संयंत्र (Uranium Enrichment Facility) को निशाना बनाने के लिए मदद करे. इस न्यूक्लियर प्लांट के अंडरग्राउंड होने की वजह से इजरायल इसे नष्ट करने में असक्षम है. 

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इजरायली पीएम नेतन्याहू, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई (फोटो साभार: AI)
इजरायली पीएम नेतन्याहू, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई (फोटो साभार: AI)

इजरायल और ईरान दोनों देश इस समय युद्ध के मुहाने पर खड़े हैं. दोनों ओर से ताबड़तोड़ मिसाइलें बरसाई जा रही हैं. दोनों मुल्कों के कई शहरों में तबाही मची है. इजरायल चुन-चुनकर ईरान के न्यूक्लियर और सैन्य ठिकानों के साथ-साथ अन्य प्रतिष्ठानों पर हमला कर रहा है. जवाब में ईरान ने इजरायल के रिहायशी ठिकानों को निशाना बनाया है. तेल अवीव और हाइफा जैसे इजरायली शहर मलबे में तब्दील हो गए हैं. इस बीच इजरायल ने अमेरिका से ईरान के खिलाफ जंग में साथ देने को कहा है.

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इजरायल ने औपचारिक रूप से अमेरिका से अनुरोध किया है कि ईरान के Fordo न्यूक्लियर प्लांट पर हमला करने के लिए वह साथ दे. लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फिलहाल ईरान के खिलाफ इजरायल की इस जंग में सीधे तौर पर शामिल होने से इनकार कर दिया है.

ईरान से जंग के 48 घंटे बीतने के बाद इजरायली अधिकारियों ने अमेरिका से गुहार लगाई है कि ईरान के यूरेनियम संवर्धन संयंत्र (Uranium Enrichment Facility) को निशाना बनाने के लिए मदद करे. इस न्यूक्लियर प्लांट के अंडरग्राउंड होने की वजह से इजरायल इसे नष्ट करने में असक्षम है. 

ईरान के Fordow न्यूक्लियर प्लांट की खासियत क्या है?

Fordow ईरान के प्रमुख न्यूक्लियर प्लांट में से एक है. यह प्लांट यूरेनियम को संवर्धित करने के लिए सेंट्रीफ्यूज (Centrifuges) का उपयोग करता है, जिससे यूरेनियम को उच्च शुद्धता के स्तर तक पहुंचाया जाता है. Fordow में लगभग 2000 सेंट्रीफ्यूज हैं, जिनमें से अधिकतर IR-6 मॉडल हैं. इनमें से करीब 350 सेंट्रीफ्यूज 60 फीसदी शुद्धता तक यूरेनियम संवर्धन करते हैं. 

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Fordow को विशेष रूप से इसकी भौगोलिक स्थिति और डिजाइन की वजह से रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसे हवाई हमलों से बचने के लिए बनाया गया है. यह न्यूक्लियर प्लांट ईरान के कोम (Qom) शहर के उत्तर-पूर्व में लगभग 32 किलोमीटर की दूरी पर है. यह प्लांट इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) के एक सैन्य अड्डे पर बनाया गया है. इसे पहाड़ के नीचे पूरी तरह से अंडरग्राउंड बनाया गया है. इसकी लोकेशन इसे हवाई हमलों से सुरक्षित बनाती है.

इजरायल के अनुरोध पर क्या है अमेरिका का रुख

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप फिलहाल ईरान के खिलाफ खुलकर मैदान में उतरने के मूड में नहीं है. ट्रंप प्रशासन बार-बार ईरान के खिलाफ इजरायल का सीधे तौर पर साथ देने से इनकार कर रहा है. अमेरिका का पूरा फोकस फिलहाल इस क्षेत्र में अमेरिकी संपत्तियों को सुरक्षित रखने पर है. 

अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि इजरायल फिलहाल अपने दम पर ईरान से लोहा ले. साथ ही उन्होंने ईरान को चेताया भी वह क्षेत्र में किसी भी अमेरिकी सैन्यकर्मी को नुकसान पहुंचाने से बचे.

व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ईरान पर इजरायल जो भी हमला करेगा, उसे रोका नहीं जाएगा. लेकिन हम चाहते हैं कि ईरान इस जंग से बचने के लिए बातचीत की टेबल पर आए.

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अगर अमेरिका, ईरान के खिलाफ इजरायल का साथ देगा तो क्या होगा?

अगर अमेरिका इस जंग में ईरान के खिलाफ इजरायल का खुलकर साथ दे देता है तो इसे मिडिल ईस्ट में तनाव बेतहाशा बढ़ेगा. पूरा मिडिल ईस्ट सीधे तौर पर युद्ध की आग में ना चाहते हुए भी झोका जाएगा. ईरान ने कसम खाई है कि इस जंग में जो भी देश इजरायल की मदद करेगा, तेहरान उस पर भी हमला करेगा. 

मिडिल ईस्ट में लगभग 40 हजार अमेरिकी सैनिक हैं. ऐसी स्थिति में उन पर मिसाइल या प्रॉक्सी हमले का खतरा बढ़ सकता है. इसके अलावा परशियन गल्फ और रेड सी में अमेरिकी सैन्यअड्डों, दूतावासों और नैसैनिक पोतों पर हमले का अंदेशा तुरंत बढ़ेगा. 

खतरा यहीं नहीं रुकेगा. ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं को रोकने के लिए राजनयिक समाधान की संभावनाएं लगभग-लगभग खत्म हो जाएगी. विश्लेषकों का कहना है कि ईरान पूरी तरह से परमाणु अप्रसार संधि से बाहर निकल सकता है और अपने परमाणु कार्यक्रमों को युद्धस्तर पर तेज कर सकता है, जिससे क्षेत्र में तनाव बढ़ेगा.

इसके परिणाम और भी खतरनाक हो सकते हैं. स्ट्रेट ऑफ होर्मुज पर इसका असर पड़ेगा. यह फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ता है. स्ट्रेट ऑफ होर्मुज दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों में से एक है, जहां से वैश्विक कच्चे तेल का 20 से 30 फीसदी निर्यात होता है. सऊदी अरब, ईरान, कुवैत, इराक और कतर जैसे देश अपने तेल और गैस निर्यात के लिए इसी स्ट्रेट ऑफ होर्मुज का इस्तेमाल करते हैं. अमेरिका के सीधे इस युद्ध में शामिल होने से यह समुद्री मार्ग भी वॉर जोन बन जाएगा, जिससे तेल की कीमतें बेतहाशा बढ़ेगी और वैश्विक बाजारों में उथल-पुथल मचेगी.

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