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'भारत के खिलाफ अमेरिका-पाकिस्तान का गेम...', शेख हसीना को फांसी की सजा पर क्या बोले एक्सपर्ट्स

बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को फांसी की सजा सुनाई है. यह सजा उन्हें मानवता के खिलाफ कथित अपराधों के मामले में दोषी पाए जाने पर हुई है. शेख हसीना इस सजा को अवैध बता रही है. एक्सपर्ट्स और पूर्व डिप्लोमैट्स भी इस सजा को गैर-कानूनी बता रहे हैं.

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 एक्सपर्ट्स का कहना है कि बांग्लादेश में अमेरिका और पाकिस्तान का खेल चल रहा है (File Photo: AFP)
एक्सपर्ट्स का कहना है कि बांग्लादेश में अमेरिका और पाकिस्तान का खेल चल रहा है (File Photo: AFP)

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने मानवता के खिलाफ अपराध मामले में दोषी पाया है. भारत में निर्वासित जीवन बिता रहीं शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई गई है. उनपर लगाए गए पांच में से दो मामलों में उन्हें फांसी की सजा और बाकी अन्य मामले में आजीवन कारावास की सजा हुई है. कोर्ट के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए शेख हसीना ने कहा कि यह फैसला एक फर्जी अदालत का है जो राजनीतिक रूप से प्रेरित है.

जुलाई-अगस्त 2024 में बांग्लादेश में हुए छात्र आंदोलन के दौरान हुई हिंसा और मौतों के लिए ICT ने शेख हसीना को जिम्मेदार ठहराया है. जस्टिस मोहम्मद गुलाम मुर्तजा मजूमदार की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय पीठ ने फैसला सुनाते समय कहा कि शेख हसीना ने ड्रोन और हेलिकॉप्टरों का इस्तेमाल करके मानवता के विरुद्ध अपराध किए.

अदालत ने कहा कि तत्कालीन पीएम ने खुद आंदोलन को कुचलने के लिए घातक हथियारों के इस्तेमाल के निर्देश जारी किए थे. अदालत ने कहा कि छात्र आंदोलन के दौरान 1,400 लोगों की मौत हुई और लगभग 24,000 लोग घायल हुए. इन हत्याओं के पीछे शेख हसीना को मास्टरमाइंड बताते हुए उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई है.

बांग्लादेश की ट्रिब्यूनल कोर्ट के फैसले पर क्या बोले एक्सपर्ट्स?

बांग्लादेश की अदालत के इस फैसले पर एक्सपर्ट्स नाराजगी जता रहे हैं और इसे अवैध करार दे रहे हैं. एक्सपर्ट्स और पूर्व डिप्लोमैट्स का कहना है कि कोर्ट ने यह फैसला राजनीतिक कारणों से जल्दबाजी में लिया है और शेख हसीना को अपना पक्ष रखने का मौका तक नहीं दिया.

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जाने-माने रक्षा विश्लेषक डॉ. ब्रह्म चेलानी ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर ट्रिब्यूनल कोर्ट को कंगारू कोर्ट बताते हुए लिखा है, 'बांग्लादेश की कंगारू कोर्ट: बेदखल की गई प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ आईसीटी का मौत की सजा सुनाना चौंकाने वाला नहीं है. अंतरिम सरकार और उसके सरपरस्तों ने अपने सबसे मजबूत राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को खत्म करने के लिए कानूनी प्रक्रिया को हथियार बना लिया है. यह फ़ैसला कोई न्यायिक नतीजा नहीं, बल्कि सोची-समझी राजनीतिक बदले की कार्रवाई है.'

उन्होंने आगे लिखा, 'बांग्लादेश को आजादी दिलाने वाली देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी हसीना की अवामी लीग को पहले ही बैन कर दिया गया है. पार्टी को बैन कर यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार ने फरवरी 2026 में होने वाले चुनाव को पहले ही अवैध करार दे दिया है. अब, राजनीतिक रूप से झुकाव रखने वाले जजों से भरे ट्रिब्यूनल के जरिए सुनाई गई मौत की सजा के जरिए वो हसीना के जनाधार को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं.' 

अदालत ने नहीं दिए सबूत, डिप्लोमैट ने उठाए सवाल

बांग्लादेश में पूर्व उच्चायुक्त वीना सीकरी ने भी ट्रिब्यूनल के फैसले को अवैध करार दिया है. उन्होंने भी आईसीटी को कंगारू कोर्ट करार देते हुए कहा कि फैसला जल्दबाजी में दिया गया है.

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आजतक से बातचीत में उन्होंने फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा, 'कोर्ट ने कहा कि आंदोलन के दौरान 1,400 लोग मारे गए... ये आंकड़े कहां से लिए गए? कोर्ट ने बताया कि मारे गए 1,400 लोग कौन हैं? कोर्ट ने बताया कि आंदोलन के दौरान जेल में डाले गए लोग कौन हैं? कोई सबूत नहीं दिया गया.'

उन्होंने आगे कहा, 'ये जल्दबाजी में दिया गया फैसला है. बांग्लादेश के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ.' 

'जिस आरोप में हसीना दोषी, वही काम कर रहे यूनुस'

शेख हसीना को सजा सुनाए जाने से पहले ढाका में पिछले कई दिनों से हिंसा की खबरें हैं. उनके समर्थक जगह-जगह क्रूड बमों से हमले कर रहे हैं. हालांकि, इन हमलों में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है. इस तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए यूनुस की सरकार ने फैसले वाले दिन यानी सोमवार को ढाका में भारी संख्या में सैन्यबलों की तैनाती की है.

सुरक्षाकर्मियों को यूनुस की सरकार ने 'फायर टू किल' के आदेश दिए हैं यानी हिंसा फैलाने वालों और आगजनी करने वालों को देखते ही गोली मारने के आदेश हैं.

यूनुस के इस आदेश का हवाला देते हुए वीना सीकरी कहती हैं, 'यूनुस सरकार ने अभी आदेश दिया है कि जो भी अव्यवस्था फैलाए, उसे देखते ही गोली मारो... अब शेख हसीना को Orders to Kill के मामले में ही सजा दी गई है. जिस आरोप में हसीना को सजा दी गई, वही आदेश तो यूनुस भी दे रहे हैं. ये तो गैर-कानूनी फैसला है.'

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'बांग्लादेश में अमेरिका और पाकिस्तान कर रहे खेल'

रिटायर्ड मेजर जनरल रक्षा विशेषज्ञ संजय मेस्टन ने कहा कि बांग्लादेश में लोकतंत्र की हत्या हो चुकी है. आजतक से बातचीत में उन्होंने कहा, 'बांग्लादेश में यह खेल अमेरिका और पाकिस्तान की तरफ खेला जा रहा है. दोनों देश चाहते हैं कि बांग्लादेश पाकिस्तान का एक अलग प्रांत बन जाए. वो बांग्लादेश को भारत के खिलाफ कट्टर इस्लामिक देश के रूप में तैयार करना चाहते हैं.'

भारत के पूर्व राजदूत अशोक सज्जनहार कहते हैं कि उन्हें ट्रिब्यूनल के फैसले से कोई हैरानी नहीं है क्योंकि इसके सभी सदस्य यूनुस सरकार के सरपरस्त हैं.

आजतक से बात करते हुए उन्होंने कहा, 'बिल्कुल एक्सपेक्टेड फैसला है, हसीना और उनके बेटे ने पहले ही कह दिया था कि इसी तरह का फैसला आएगा. ट्रिब्यूनल के सभी मेंबर्स यूनुस की सरकार ने चुने थे. कोर्ट के जज वही करेंगे जो यूनुस चाहते हैं. जहां तक सबूतों की बात है तो शेख हसीना ने भी कई बार मरने वालों पर दुख जताया है. लेकिन अब तक कोई भी सबूत पेश नहीं किया गया कि उनकी तरफ से मारने के ऑर्डर दिए गए थे.'

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