रूस ने अमेरिका से कहा है कि परमाणु परीक्षण को लेकर राष्ट्रपति ट्रंप ने जो बयान दिया था. उसे लेकर अमेरिका को स्पष्टीकरण देना चाहिए. रूस ने कहा कि यदि अमेरिका इस दिशा में कोई कदम उठाता है, तो उससे रूस समेत अन्य देशों की प्रतिक्रियाएं आनी भी शुरू हो जाएंगी.
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले हफ्ते अमेरिकी सेना को परमाणु हथियारों के परीक्षण की प्रक्रिया तुरंत दोबारा शुरू करने का आदेश दिया था. लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि इससे उनका मतलब परमाणु-सक्षम मिसाइलों के फ्लाइट-टेस्ट से है या फिर उन परीक्षणों से जिनमें परमाणु विस्फोट शामिल होते हैं क्योंकि ऐसा परीक्षण अमेरिका और रूस दोनों ने ही तीन दशकों से अधिक समय से नहीं किया है.
रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जाखारोवा ने पत्रकारों से कहा कि अगर इस बयान से ट्रंप का मतलब उन परीक्षणों से है, जिनमें परमाणु विस्फोट शामिल होते हैं तो इससे बेहद नकारात्मक स्थिति पैदा होगी. इसके जवाब में रूस समेत अन्य देशों की ओर से कदम उठाए जाएंगे.
अमेरिकी योजनाओं में किसी तरह स्पष्टता नहीं होने का हवाला देते हुए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बुधवार को शीर्ष अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे किसी संभावित अमेरिकी परीक्षण के जवाब में रूस द्वारा किए जा सकने वाले अपने परमाणु परीक्षणों के लिए प्रस्ताव तैयार करें.
सुरक्षा विश्लेषकों का कहना है कि किसी भी परमाणु हथियार संपन्न देश द्वारा परीक्षण दोबारा शुरू किया जाना मौजूदा भूराजनीतिक तनाव, विशेषकर यूक्रेन युद्ध के समय में बेहद अस्थिरता पैदा करने वाला कदम होगा और इससे संभव है कि अन्य देश भी ऐसा ही करने लगें.
रूस और अमेरिका के पास दुनिया में सबसे अधिक परमाणु हथियार हैं. दोनों के बीच बची हुई अंतिम संधि, जो रणनीतिक परमाणु वॉरहेड्स की संख्या को सीमित करती है. अगले तीन महीनों में समाप्त होने वाली है, जिससे पहले से चल रही हथियारों की होड़ और तेज हो सकती है.
पुतिन ने प्रस्ताव रखा है कि दोनों देश एक और वर्ष के लिए इस संधि की सीमाओं का पालन करते रहें, लेकिन ट्रंप ने इस प्रस्ताव पर अभी तक औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है.