न्यूयॉर्क टाइम्स में छपे 400 पेज के दस्तावेज में हालांकि यह साफ नहीं है कि राष्ट्रपति जिनपिंग ने सीधे तौर पर हिरासत केंद्र बनाए जाने का आदेश दिया. दस्तावेज में यह जरूर बताया गया है कि शिनजियांग में बड़े स्तर पर अंधविश्वास पसरा है जिसे खत्म करने की मांग की गई है.
Leaked documents reveal details of China's clampdown on Uighurs, other Muslims in Xinjiang
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— ANI Digital (@ani_digital) November 17, 2019
यह गौर करना जरूरी है कि संयुक्त राष्ट्र के एक्सपर्ट और एक्टिविस्ट पहले ही कह चुके हैं कि मुस्लिम बहुल शिनजियांग में कम से कम 10 लाख उइगुर और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यकों को हिरासत में रखा गया है. चीन के इस कदम की अमेरिका और कई देश आलोचना भी कर चुके हैं.
न्यूयॉर्क टाइम्स में छपे दस्तावेज में राष्ट्रपति जिनपिंग के बयान का हवाला देते हुए लिखा गया है कि 'हाल के वर्षों में शिनजियांग ने बड़ी तेजी से विकास किया है और लोगों का जीवन स्तर भी तेजी से सुधरा है. इसके बावजूद वहां जातिगत अलगाववाद और आतंकी हिंसा में बढ़ोतरी देखी गई है. इसका मतलब ये हुआ कि आर्थिक विकास से व्यवस्था और सुरक्षा अपने आप कायम नहीं हो जाती.'
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, मीडिया में लीक दस्तावेजों में चीन के दोहरे रवैये की ओर इशारा किया गया है कि एक तरफ 2014 में जानलेवा चाकू हमले के बाद मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ तेजी से कार्रवाई तो शुरू की गई लेकिन दूसरी तरफ चीन पाकिस्तानी आतंकी मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने में 4 बार अड़ंगा लगाता रहा. मसूद अजहर जैश-ए-मोहम्मद का सरगना है जिस पर पुलवामा हमले का आरोप है. बाद में अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ने के बाद चीन ने अपना स्टैंड बदला और अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने वाले संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव पर उसने हामी भरी.