अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन युद्धग्रस्त गाजा पट्टी से लगभग 10 लाख फिलिस्तीनियों को लीबिया में स्थायी रूप से स्थानांतरित करने की योजना पर काम कर रहा है. एनबीसी न्यूज ने शुक्रवार को मामले से परिचित पांच सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी. रिपोर्ट के अनुसार, चर्चाओं की प्रत्यक्ष जानकारी रखने वाले दो व्यक्तियों और एक पूर्व अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि इस योजना पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है, तथा अमेरिका और लीबिया के नेतृत्व के बीच बातचीत पहले से ही चल रही है.
एनबीसी ने कहा कि फिलिस्तीनियों को फिर से बसाने के बदले में अमेरिकी सरकार लीबिया को अरबों डॉलर की धनराशि जारी करेगी, जिसे एक दशक से भी ज्यादा समय पहले रोक दिया गया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी तक कोई अंतिम समझौता नहीं हुआ है और इजरायल को प्रशासन की चर्चाओं के बारे में बताया गया है. हालांकि, अमेरिकी सरकार के प्रवक्ता ने एनबीसी न्यूज से कहा, 'ये रिपोर्टें झूठी हैं. ऐसी किसी योजना का कोई जमीनी आधार नहीं है और इस बारे में कोई चर्चा नहीं की गई. इन खबरों का कोई मतलब नहीं है.'
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लीबिया में दो प्रतिस्पर्धी प्रशासनों का शासन
नाटो समर्थित विद्रोह के बाद 2011 में लीबिया में अराजकता फैल गई थी, जिसमें लंबे समय से शासन कर रहे तानाशाह मुअम्मर गद्दाफी को सत्ता से हटा दिया गया और उनकी हत्या कर दी गई. देश विभाजित हो गया, और इसके पूर्वी और पश्चिमी हिस्से पर दो प्रतिद्वंद्वी मिलिशिया समूहों ने नियंत्रण कर लिया. लीबिया में वर्तमान में दो प्रतिस्पर्धी प्रशासनों का शासन है: अब्दुल हामिद दबीबेह के नेतृत्व वाली अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय एकता सरकार (Government of National Unity), और प्रतिनिधि सभा समर्थित राष्ट्रीय स्थिरता सरकार (Government of National Stability), जिसका नेतृत्व लीबियाई नेशनल आर्मी और उसके कमांडर खलीफा हफ्तार के वास्तविक शासन के तहत ओसामा हम्माद द्वारा किया जाता है. जीएनयू त्रिपोली में स्थित है और देश के पश्चिमी हिस्से को नियंत्रित करता है, जबकि जीएनएस पूर्वी और मध्य क्षेत्र में काम करता है. इस विभाजन ने लीबिया में सत्ता के दो केंद्र स्थापित कर दिए हैं, जिसमें दोनों सरकारें वैधता और देश पर नियंत्रण के लिए होड़ कर रही हैं.
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इजराइल ने गाजा और यमन में हमले बढ़ाए
इस बीच, इजरायल ने शुक्रवार को गाजा में दर्जनों हवाई हमले किए, जिसमें स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि 108 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे. इजरायली अधिकारियों ने इसे हमास पर बंधकों को रिहा करने के लिए दबाव बनाने के अभियान की शुरुआत बताया. इजराइल ने यमन में दो बंदरगाहों पर भी हमला किया, जिसके बारे में उसने कहा कि हूती उग्रवादी समूह द्वारा हथियारों को स्थानांतरित करने के लिए इनका इस्तेमाल किया जाता था.
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स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि कम से कम एक व्यक्ति की मौत हो गई और नौ घायल हो गए. इस बीच हमास के गाजा प्रमुख ने कहा कि समूह सभी बंधकों को इजरायल द्वारा जेल में बंद फिलिस्तीनियों की एक निश्चित संख्या के साथ बदलने के लिए तत्काल बातचीत करने के लिए तैयार है, जिससे इस क्षेत्र में युद्ध समाप्त हो जाएगा. इजरायल के साथ अप्रत्यक्ष वार्ता के लिए हमास वार्ता दल का नेतृत्व करने वाले खलील अल-हय्या ने टेलीविजन पर दिए भाषण में कहा कि समूह अंतरिम युद्धविराम समझौते से इनकार करता है.