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हर बार परमाणु हमले की धमकी लेकिन ऑपरेशन सिंदूर से हुई बोलती बंद... अब पाकिस्तान के पास बचे सिर्फ 3 रास्ते

भारत से लड़ाई के बाद पाकिस्तान अपनी पारंपरिक सैन्य क्षमता को बढ़ाने का फैसला कर सकता है और पूरी संभावना है कि वो ऐसा करेगा. चीन और तुर्की की मदद से वो अपने सैन्य निर्माण को आगे बढ़ा सकता है. पाकिस्तान अपनी मौजूदा परमाणु रणनीति को दोगुना करने का भी फैसला कर सकता है.

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Photo- Reuters)
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Photo- Reuters)

पाकिस्तान ने परमाणु बम की क्षमता हासिल करने के बाद से भारत के साथ हर तनाव में परमाणु हथियारों को लेकर तीखे तेवर दिखाए हैं. अपनी सरकार की तरफ से स्पॉन्सर आतंकवाद का जवाब भारत न दे, इसके सिए पाकिस्तान हमेशा परमाणु हथियारों की धमकी देता है. इस बार भी जब भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों पर आतंकवादी हमले के दोषियों को सजा देने की कसम खाई तो पाकिस्तान ने तुरंत अपने परमाणु हथियार निकाल लिए.

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पहलगाम हमले के जवाब में जब भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाए तो पाकिस्तान के रेल मंत्री ने पहली बार परमाणु की धमकी दी.

इसके बाद, पाकिस्तान ने 3 मई को अपनी 450 किलोमीटर की रेंज वाली, परमाणु-सक्षम, सतह से सतह पर मार करने वाली अब्दाली मिसाइल का परीक्षण किया. दो दिन बाद, पाकिस्तानी सेना ने फिर 120 किलोमीटर की रेंज वाली सतह से सतह पर मार करने वाली फतह मिसाइल का परीक्षण किया.

फिर 7 मई को भारत ने नौ आतंकवादी इंफ्रास्ट्रक्टर ठिकानों पर एयरस्ट्राइक किया जिसके बाद पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि परमाणु युद्ध का खतरा "स्पष्ट और मौजूद" है.

भारत ने पाकिस्तान की इन कोरी धमकियों को नजरअंदाज करते हुए पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर और पाकिस्तान में आतंकवादियों से जुड़े ठिकानों के खिलाफ "नपी-तुली और जिम्मेदाराना" कार्रवाई की.

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ऑपरेशन पूरा होने के कुछ ही मिनटों के भीतर, भारतीय रक्षा मंत्रालय ने 7 मई को सुबह 1.44 बजे एक प्रेस बयान जारी किया जिसमें कहा गया कि "किसी भी पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान को निशाना नहीं बनाया गया है".

भारत ने अपना टार्गेट चुनने में पाकिस्तानी स्टेट और आतंकी ढांचे के बीच अंतर किया. लेकिन पाकिस्तान ने इसे अपनी क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन माना और भारतीय सैन्य और नागरिक ठिकानों पर हमला किया. 

भारत ने पाकिस्तान के हवाई अड्डों और वायु रक्षा प्रणालियों के खिलाफ आनुपातिक रूप से जवाब दिया. इस दौरान, नियंत्रण रेखा (LoC) पर सीमा पार से भीषण गोलीबारी होती रही. मुठभेड़ के तीसरे दिन पाकिस्तान ने अमेरिका से युद्ध विराम का आह्वान किया. हम नहीं जानते कि जनरल असीम मुनीर और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो या राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से क्या बातचीत की लेकिन ये जरूर साफ था जो पहले लड़ने पर आमदा था, अब तनाव कम करने की बात करने लगा.

पाकिस्तान की परमाणु ब्लैकमेलिंग क्षमता हुई कम

इस पूरे तनाव के दौरान यह देखा गया कि पाकिस्तान की परमाणु ब्लैकमेलिंग की क्षमता धीरे-धीरे कम हुई है. 2016 में, पीओके में नियंत्रण रेखा के पार सर्जिकल स्ट्राइक किए गए थे. 2019 में, बालाकोट पर भारत के हवाई हमले अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार चले गए.

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और इस बार, भारतीय मिसाइल हमले और ड्रोन हमले पीओके, पंजाब में और आगे बढ़ गए. ऐसा करके, भारत ने उस लाइन को तोड़ दिया है जिसे पाकिस्तान ने कभी परमाणु इस्तेमाल के लिए अपनी रेड लाइन के रूप में निर्धारित किया था.

इसी के साथ ही भारत ने अपनी सैन्य कार्रवाई भारी सटीकता और माप के साथ की. भारत ने यह ध्यान में रखा कि आतंकी ठिकानों पर हमला करते समय आसपास कम नुकसान हो. भारत ने पाकिस्तान के सैन्य स्थलों को निशाना बनाते समय भी काफी संयम बरती. ऐसा इसलिए संभव हो सका क्योंकि भारत के पास सही सैन्य उपकरण मौजूद थे.

इसके अलावा, परमाणु हथियारों को लेकर भारत का घोषित सिद्धांत है कि किसी भी तनाव के समय पहले उसकी तरफ से इन हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. इससे भारत के पास यह क्षमता आ गई है कि अगर कोई उसके खिलाफ ऐसा युद्ध करता है तो वो प्रतिक्रिया दे सके. नो फर्स्ट यूज की नीति ने पाकिस्तान के परमाणु रणनीति को भी नकारने की कोशिश की है. अगर भारत ने परमाणु हथियारों के मामले में यूज फर्स्ट की रणनीति अपनाई होती तो इससे संघर्ष में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की संभावना बढ़ जाती. 

कुल मिलाकर, पाकिस्तान की तरफ से मिल रही परमाणु धमकियों की स्थिति में भी भारत ने पारंपरिक प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि भविष्य में आतंकवाद की हर कार्रवाई को युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा. ऐसा करके भारत ने पाकिस्तान को सोचने पर मजबूर कर दिया है. पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए परमाणु हथियार की धमकी को ढाल के रूप में इस्तेमाल करता आया था लेकिन अब वो समझा गया है कि इस तरह की धमकी काम नहीं आने वाली है.

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अब क्या करेगा पाकिस्तान?

पाकिस्तान के पास अब तीन विकल्प बचते हैं-

पहला- वो अपनी पारंपरिक सैन्य क्षमता को बढ़ाने का फैसला कर सकता है और पूरी संभावना है कि वो ऐसा करेगा. चीन और तुर्की की मदद से वो अपने सैन्य निर्माण को आगे बढ़ा सकता है. कमजोर अर्थव्यवस्था, महंगाई और बेरोजगारी का सामना कर रहे पाकिस्तान के लोगों पर इससे और दबाव बढ़ेगा. हालांकि, पाकिस्तान की सेना के लिए भारत को खतरा बताकर रक्षा खर्च बढ़ाने के लिए देश को एकजुट करना मुश्किल नहीं होगा.

दूसरा- पाकिस्तान अपनी मौजूदा परमाणु रणनीति को दोगुना करने का फैसला कर सकता है. अगर पाकिस्तान ऐसा करता है तो यह बहुत रिस्की होने वाला है.

तीसरा- भारत के साथ शांति की दिशा में आगे बढ़ना तीसरा रास्ता भी हो सकता है, लेकिन यह रास्ता शायद तब तक नहीं अपनाया जाएगा जब तक पाकिस्तान अपने यहां पूरे तरीके से बदलाव नहीं करता. यह तभी संभव हो सकता है जब देश में सत्ता संरचना में बदलाव हो, जिसमें सेना लगातार भारत को खतरे के रूप में पेश करके सर्वोपरि बने रहने की अपनी जिद को छोड़ दे.

विकल्प पाकिस्तान के पास है. इस बीच, भारत को अपने परमाणु संपन्न, आतंकी संगठन वाले पड़ोसी के खिलाफ खुद को सुरक्षित रखने के लिए सभी स्तरों पर प्रतिक्रिया की तैयारी करनी होगी. हालांकि, अगर लंबे समय के लिए सोचना है तो भारत को इस बात पर फोकस करना होगा कि पाकिस्तान को बदलने के लिए कैसे प्रोत्साहित किया जाए. पिछले ऐसे प्रयास विफल रहे हैं. लेकिन यह देखते हुए कि पाकिस्तान हमारा स्थायी पड़ोसी है, यह हमारे हित में होगा कि हम न केवल उसके अड़ियल रवैये के खिलाफ अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं, बल्कि अपने क्षेत्र को उस तरह से आकार देने का प्रयास भी जारी रखें जैसा हम चाहते हैं.

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लेख- मनप्रीत सेठी

(लेखक सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज में प्रतिष्ठित फेलो और एशिया पैसिफिक लीडरशिप नेटवर्क की वरिष्ठ अनुसंधान सलाहकार हैं)

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