
जैसे ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इजरायल के साथ मिलकर ईरान पर हमले का फैसला लेने पर विचार किया. अमेरिकी सेना ने तेहरान और तेल अवीव के बीच चल रहे तनाव के बीच पश्चिम एशिया में अपनी रक्षा स्थिति को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं. आइए यहां यूएस की सैन्य ताकत को समझते हैं कि कैसे कहां उनका सुरक्षा चक्र मजबूत हो रहा है.
ओपेन सोर्सेज, अमेरिकी अधिकारियों और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 15 से ज्यादा डिस्ट्रॉयर जहाज, क्रूजर, तेल टैंकर, लॉजिस्टिक्स जहाज और कार्ल विंसन कैरियर स्ट्राइक ग्रुप (CSG) वर्तमान में सेंट्रल कमांड (CENTCOM) के क्षेत्रों, अरब सागर और लाल सागर में तैनात हैं.
USNI न्यूज के मुताबिक अमेरिकी नौसेना की ताकत का प्रतीक एक और कैरियर स्ट्राइक ग्रुप भी पश्चिम एशिया की ओर भेजा गया है. जहाज ट्रैकिंग डेटा से पता चलता है कि CSG निमित्ज (CVN-68) तीन दिन पहले मलक्का जलडमरूमध्य में था. इजरायल को समर्थन देने के लिए भूमध्य सागर में छह और जहाज, जिनमें दो डिस्ट्रॉयर शामिल हैं, तैनात किए गए हैं.
ईरानी हमले से बचाव के लिए उठाए कदम
अमेरिका ने अपनी कमजोर नौसैनिक और हवाई संपत्तियों को फारस की खाड़ी में सुरक्षित करने के लिए भी कदम उठाए हैं. सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि अमेरिका ने पश्चिम एशिया में अपने सबसे बड़े हवाई अड्डे, कतर के अल उदेद हवाई अड्डे से असुरक्षित फाइटर जेट और विमानों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया है. इसके अलावा, बहरीन में अमेरिका-पश्चिम संयुक्त नौसैनिक अड्डे जिसे नेवल सपोर्ट एक्टिविटी (NSA) कहा जाता है, वहां से भी नौसैनिक जहाजों को हटा लिया गया है.
ये सैन्य संपत्तियां मूल स्थानों से इसलिए हटाई गईं ताकि ईरान के संभावित हमले से बचा जा सके. इजरायल के हमले के बाद, ईरान ने अमेरिकी सेनाओं पर हमला करने की धमकी दी है क्योंकि वाशिंगटन तेल अवीव को लगातार राजनीतिक, कूटनीतिक और सैन्य समर्थन दे रहा है.
वेस्ट एशिया में अमेरिकी सैनिक
अमेरिका पश्चिम एशिया में 11,000 से ज्यादा सैनिकों की तैनाती बनाए हुए है. कॉन्ग्रेशनल रिसर्च सर्विस (CRS) के अनुसार अमेरिका इस क्षेत्र में आठ स्थायी और 11 अस्थायी या रोटेशनल सैन्य अड्डों को संचालित करता है. साल 2024 तक लगभग 5,400 स्थायी अमेरिकी सैनिक और 6,100 से ज्यादा सैनिक जॉर्डन और सऊदी अरब में रोटेशनल आधार पर तैनात थे.
अमेरिका हमेशा से स्थिति के अनुसार अपनी सैन्य तैनाती में बदलाव करता रहता है. उदाहरण के लिए जब यमन के हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में जहाजों को निशाना बनाया था तब अतिरिक्त सैनिक भेजे गए थे. फिर इस महीने की शुरुआत में इजरायल के हमलों से पहले कुछ गैर-जरूरी कर्मियों को वापस बुला लिया गया था. इन सैनिकों के अलावा हजारों अन्य सैनिक कैरियर स्ट्राइक ग्रुप (CSG) और क्षेत्र में मौजूद अन्य जहाजों पर तैनात हैं.
क्या है कैरियर स्ट्राइक ग्रुप?
कैरियर स्ट्राइक ग्रुप (CSG) अमेरिकी ताकत का एक प्रमुख हिस्सा है जिसमें कई देशों की वायुसेनाओं के बराबर मारक क्षमता होती है. यह शक्तिशाली, गतिशील, लचीला, स्वतंत्र और टिकाऊ होता है जिसमें आमतौर पर लगभग 7,500 नाविक और मरीन शामिल होते हैं. एक विमानवाहक पोत उड़ान संचालन के लिए मंच के रूप में कार्य करता है और यह CSG का केंद्र होता है.
एक CSG में पांच अलग-अलग प्रकार के जहाज शामिल होते हैं. एक परमाणु ऊर्जा से संचालित विमानवाहक पोत, एक रसद जहाज, एक क्रूजर, डिस्ट्रॉयर और एक हमलावर पनडुब्बी.
CSG के जहाजों पर आमतौर पर 66 विमान और हेलीकॉप्टर तैनात होते हैं जिनमें फाइटर जेट, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के लिए ग्रॉलर, निगरानी के लिए हॉकआई, तट से सामान लाने के लिए C-2 ग्रेहाउंड और हेलीकॉप्टर शामिल हैं.
CSG का मकसद हवा, समुद्र और पानी के नीचे कंट्रोल हासिल करना और बनाए रखना, संकटों का जवाब देना और कहीं भी, कभी भी संयुक्त राज्य के हितों की रक्षा करना है. अमेरिकी नौसेना के विमानवाहक पोत बनाने वाली कंपनी हंटिंगटन इंगल्स इंडस्ट्रीज की एक इन्फोग्राफिक में कुछ ऐसा ही इसका परिचय लिखा है.
सैन्य तैनाती के पीछे का कारण
दो कैरियर स्ट्राइक ग्रुप का एक साथ एरिया में होना असामान्य है और यह ट्रंप प्रशासन की इजरायल-ईरान संघर्ष के बढ़ने की स्थिति में किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार रहने की रणनीति को दर्शाता है. यह तैनाती ऐसे समय में हुई है जब संकेत मिल रहे हैं कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इजरायल के साथ मिलकर ईरान के कुछ परमाणु स्थलों पर हमले की योजना पर विचार कर रहे हैं. जब उनसे पूछा गया कि क्या वह अमेरिकी सेनाओं को ईरान पर हमला करने का आदेश देंगे तो उन्होंने कहा, 'मैं कर सकता हूं या नहीं भी कर सकता. कोई नहीं जानता कि मैं क्या करूंगा.'
अमेरिकी सेना की भूमिका ईरान के फोर्डो भूमिगत परमाणु संवर्धन सुविधा (underground nuclear enrichment facility) को नष्ट करने के लिए महत्वपूर्ण है जिसके बारे में संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था (United Nations’ nuclear watchdog ) का कहना है कि इसने यूरेनियम को 83.7 प्रतिशत शुद्धता तक संवर्धित किया है. यह सुविधा पहाड़ी क्षेत्र में सतह से 80-90 मीटर नीचे स्थित है. इस सुविधा को नष्ट करने के लिए, अमेरिकी B-2 स्टील्थ बॉम्बर को GBU-57A/B 'बंकर बस्टर' बम गिराने होंगे.