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अमेरिका ने क्यों बचा ली ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई की जान? ट्रंप के रेड सिग्नल के बाद अब क्या करेगा इजरायल

अमेरिका भले ही वीटा लगाकर इजरायल को खामेनेई की हत्या से रोक सकता है. लेकिन फिर भी ईरान पर हमले जारी हैं और इजरायल परमाणु वैज्ञानिकों और सैन्य कमांडरों को निशाना बनाकर ईरान की कमर तोड़ देना चाहता है. इजरायल के हाल के बयानों से संकेत मिलता है कि उसका ध्यान अब सीधे ईरानी शासन पर है.

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ईरान पर इजरायल के भीषण हमले जारी
ईरान पर इजरायल के भीषण हमले जारी

इजरायल और ईरान के बीच जंग अब तेज हो चुकी है और दोनों देश एक-दूसरे पर भीषण हवाई हमले कर रहे हैं. इजरायल ने टारगेट अटैक करते हुए ईरान के टॉप मिलिट्री कमांडरों समेत कई परमाणु वैज्ञानिकों को मौत के घाट उतार दिया है. यही नहीं, ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई भी इजरायल के निशाने पर थे, लेकिन आखिरी वक्त में अमेरिका के वीटो के बाद उनकी हत्या का प्लान टाल दिया गया. अगर इजरायल खामेनेई को मार देता तो इस जंग का असर पूरी दुनिया पर पड़ सकता था.    

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दहल सकता था मिडिल ईस्ट

इजरायल के हमले में ईरान की परमाणु साइट्स, ऑयल डिपो और कई अहम इलाके पूरी तरह तबाह हो चुके हैं. ईरान में 400 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है जबकि जवाबी कार्रवाई में इजरायल को काफी कम नुकसान हुआ है. लेकिन खामेनेई को निशाना बनाकर इजरायल विध्वंसक कदम उठा सकता था, जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की दखल के बाद रोका गया है. अमेरिका का साफ मानना है कि अब तक ईरान ने सीधे तौर पर अमेरिकी ठिकाने या किसी नागरिक को नुकसान नहीं पहुंचाया है, ऐसे में ईरान के राजनीतिक नेतृत्व को टारगेट करना जंग को भड़काने जैसा होगा. 

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इसके अलावा अमेरिका ने खामेनेई की हत्या की प्लानिंग पर वीटो इसलिए भी लगाया क्योंकि इससे पूरी मिडिल ईस्ट में बड़े पैमाने पर युद्ध भड़क सकता था. इसका नुकसान अमेरिका का भी उठाना पड़ता, क्योंकि कई खाड़ी देशों में अमेरिकी सैन्य ठिकाने हैं. खामेनेई की हत्या के बाद ईरान की तरफ से भीषण जवाबी कार्रवाई की आशंका थी, जिसमें बैलिस्टिक मिसाइलों से इजरायल, अमेरिकी ठिकानों और मीडिल ईस्ट में अमेरिकी जहाजों को निशाना बनाए जाने का खतरा पैदा हो सकता था.

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परमाणु समझौते की उम्मीद

अमेरिका अब भी ईरान के साथ परमाणु समझौते को फिर से जीवित करने की उम्मीद रखता है. जैसा कि ट्रंप प्रशासन ने संकेत दिया है. ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई की हत्या इस संभावना को पूरी तरह से खत्म कर सकती थी. ईरान पर भले ही परमाणु अप्रसार संधि को तोड़ने के आरोप लगे हों, लेकिन ट्रंप सैन्य दबाव के बजाय कूटनीतिक रास्ता तलाशने पर जोर दे रहे हैं. इसके अलावा खामेनेई की हत्या से रूस और चीन, जो ईरान के समर्थक हैं, के साथ तनाव बढ़ सकता था. अमेरिका नहीं चाहता कि यह संघर्ष एक बड़े भू-राजनीतिक टकराव में बदल जाए, जिसमें रूस और चीन की सीधी दखल शामिल हो.

ईरानी शासन पर निशाना

अमेरिका भले ही वीटा लगाकर इजरायल को खामेनेई की हत्या से रोक सकता है. लेकिन फिर भी ईरान पर हमले जारी हैं और इजरायल परमाणु वैज्ञानिकों और सैन्य कमांडरों को निशाना बनाकर ईरान की कमर तोड़ देना चाहता है. इजरायल अब तक ईरान के समर्थकों जैसे हिज्बुल्लाह पर हमला करता रहा है, लेकिन हाल के बयानों से संकेत मिलता है कि उसका ध्यान अब सीधे ईरानी शासन पर है.

लेबनान मॉडल पर इजरायल

अब इजरायल 'लेबनान मॉडल' को अपनाने की ओर बढ़ रहा है, जिसमें खतरे को पहले ही खत्म करना (प्रीवेंटिव स्ट्राइक) शामिल है. हाल के हमलों में इजरायल ने ईरान के 100 से ज्यादा ठिकानों, मिसाइल लॉन्च पैड और एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह किया है. ईरान पर इजरायल के सटीक हमले आगे भी जारी रहने वाले हैं और प्रीवेंटिव डिफेंस रणनीति के तहत वह ईरान के परमाणु ठिकानों और सैन्य नेतृत्व को निशाना बनाना जारी रखेगा. 

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क्षेत्रीय गठबंधन की मजबूती 

इसके अलावा इजरायल जंग में खुफिया एजेंसी मोसाद और साइबर वॉर का इस्तेमाल करेगा. नतांज पर हाल का हमला इसका उदाहरण है. इजरायल को अमेरिका से एडवांस वेपन सिस्टम और खुफिया जानकारी मिल रही है, लेकिन ट्रंप की नीतियों के कारण उसे अपने फैसलों पर विचार करना पड़ सकता है, जैसा कि खामेनेई की हत्या की योजना को लेकर हुआ.

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इजरायल का फोकस ईरानी शासन को कमजोर करने पर है और उसकी कोशिश है कि इस दौरान आम जनता को कम से कम नुकसान उठाना पड़े. जंग में कूटनीतिक पक्ष को ध्यान रखते हुए इजरायल क्षेत्रीय गठबंधन मजबूत कर रहा है. इजरायल अपने सहयोगियों, विशेष रूप से अमेरिका और कुछ अरब देशों के साथ मिलकर ईरान के प्रभाव को कम करने की रणनीति पर काम कर रहा है.

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