इजरायल-ईरान जंग में अमेरिका इजरायल के साथ खड़ा है. डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान से बिना शर्त सरेंडर की मांग की है और यहां तक कि ईरान के सुप्रीम लीडर, अयातुल्ला खामेनेई को साफ तौर से धमकी दी है. यह आर्थिक और सैन्य दोनों तरह से पिछले कुछ साल से इजरायल को अमेरिका की तरफ से मिलने वाले सपोर्ट के जैसा ही है. अमेरिकी विदेशी सहायता डेटाबेस के मुताबिक, इजरायल को 1951 से अमेरिकी सहायता मिल रही है. शुरुआत में सहायता पूरी तरह से आर्थिक थी.
साल 1951 में, इजरायल को अमेरिका से आर्थिक दायित्वों के रूप में केवल 0.96 मिलियन डॉलर मिले. यह सहायता 1950 के दशक और 1960 के दशक की शुरुआत में जारी रही, जो औसतन 0.4 और 0.6 बिलियन डॉलर सालाना थी. इस अवधि के दौरान सैन्य सहायता अनुपस्थित या नगण्य रही.
1970 के दशक की शुरुआत में एक बदलाव शुरू हुआ. साल 1971 में, सैन्य सहायता तेजी से बढ़कर 3.20 बिलियन डॉलर हो गई, जबकि आर्थिक सहायता 0.33 बिलियन डॉलर थी. साल 1974 तक, योम किप्पुर युद्ध के बाद, सैन्य सहायता बढ़कर 12.45 बिलियन डॉलर हो गई, जिसने आर्थिक सहायता को पीछे छोड़ दिया, जो 0.26 बिलियन डॉलर पर बनी रही.
साल 2008 के बाद, आर्थिक सहायता करीब खत्म हो गई. इसके उलट, सैन्य सहायता स्थिर रही. साल 2009 में 3.29 बिलियन डॉलर, 2010 में 3.83 बिलियन डॉलर और 2020 के दशक तक सालाना 3 बिलियन डॉलर से ज्यादा पर जारी रही.
साल 2024 में, सैन्य सहायता 6.64 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई, जबकि आर्थिक सहायता सिर्फ़ 0.01 बिलियन डॉलर थी. कुल मिलाकर 1951 और 2024 के बीच, इज़रायल को अमेरिका से कुल 305.5 बिलियन डॉलर मिले हैं, जिनमें से 221.68 बिलियन डॉलर मिलिट्री फंडिंग और 83.8 बिलियन डॉलर आर्थिक सहायता थी. सैन्य सहायता इज़रायल को दी गई कुल सहायता का 72 फीसदी से ज्यादा है.
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क्या अन्य देशों के लिए भी यही स्थिति है?
जिन देशों को बड़े स्तर पर अमेरिकी विदेशी सहायता मिली है, उनमें से कई ने मिलिट्री फंडिंग की तरफ साफ तौर से झुकाव दिखाया है. उदाहरण के लिए, मिस्र और अफ़गानिस्तान को सैन्य सहायता बड़े स्तर पर मिली है, 93.93 बिलियन डॉलर और 109.88 बिलियन डॉलर, जो उनकी कुल सहायता का एक बड़ा हिस्सा है. वियतनाम, यूक्रेन और इराक भी इस कैटेगरी में आते हैं, जहां मिलिट्री सपोर्ट उनके कुल अमेरिकी समर्थन का आधे से ज्यादा हिस्सा है.
हालांकि, भारत और बांग्लादेश जैसे देशों को मुख्य रूप से आर्थिक सहायता मिली है. भारत को कुल 86.1 बिलियन डॉलर की सहायता मिली है, जिसमें से सिर्फ 1.18 बिलियन डॉलर मिलिट्री सहायता थी, जबकि बांग्लादेश को 21.8 बिलियन डॉलर मिले हैं, जिसमें से सिर्फ 0.35 बिलियन डॉलर सैन्य सहायता थी.
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इज़रायल-अमेरिका मिलिट्री रिलेशन
काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस के मुताबिक, अमेरिका से इजरायल की सैन्य सहायता का एक बड़ा हिस्सा फॉरेन मिलिट्री फाइनेंसिंग प्रोग्राम के जरिए आता है, जिसके तहत इजरायल को सालाना करीब 3.3 बिलियन डॉलर का फंड मिलता है.
अक्टूबर 2023 तक, जो बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन ने बताया कि इजरायल के पास करीब 600 एक्टिव फॉरेन मिलिट्री फाइनेंसिंग मामले थे, जिनका संयुक्त मूल्य करीब 24 बिलियन डॉलर था. अमेरिकी रक्षा विभाग के हथियारों की बिक्री के आंकड़ों से पता चलता है कि 1950 से 2022 तक, इजरायल ने कुल 53 बिलियन डॉलर के अमेरिकी हथियार खरीदे, जिससे यह ग्लोबल स्तर पर शीर्ष प्राप्तकर्ताओं में से एक बन गया, जो सऊदी अरब के बाद दूसरे पायदान पर है, जिसे इसी अवधि में 164 बिलियन डॉलर मिले.