अमेरिका की ओर से तीन परमाणु ठिकानों पर हमलों के बाद ईरान ने पहला बयान जारी किया है. ईरान का कहना है कि उसकी न्यूक्लियर साइट्स को कोई नुकसान नहीं हुई है और वे पूरी तरह सुरक्षित हैं. साथ ही रेडिएशन लीक के खतरे से भी इनकार किया गया है.
ईरान की परमाणु ऊर्जा संस्था (AEOI) ने रविवार को अमेरिकी हवाई हमलों के बाद देश के प्रमुख परमाणु ठिकानों पर किसी भी तरह के रेडिएशन लीक के खतरे से इनकार किया है. ईरान की सरकारी मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से यह जानकारी सामने आई है.
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'नहीं रुकेगा ईरान का परमाणु कार्यक्रम'
संगठन ने जनता को आश्वस्त किया है कि सुरक्षा जांच में किसी भी तरह के रेडिएशन का पता नहीं चला है. इसके साथ ही संस्था ने यह भी साफ किया कि देश का परमाणु कार्यक्रम, जिसे उसने 'नेशनल इंडस्ट्री' करार दिया, इन हमलों के बावजूद नहीं रुकेगा.
ईरान की परमाणु ऊर्जा संस्था ने इन हमलों को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करार दिया और कहा कि एजेंसी अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है. ईरान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इन हमलों की निंदा करने और शांतिपूर्ण परमाणु विकास के अधिकार में ईरान का समर्थन करने की अपील की है.
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बी-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर्स से बरसाए बम
भारतीय समयानुसार रविवार सुबह अमेरिका ने ईरान की तीन न्यूक्लियर साइट्स को निशाना बनाया. अमेरिका के बी2 बमवर्षक विमानों ने फोर्डो, नतांज और इस्फहान में परमाणु ठिकानों को टारगेट किया. अमेरिका ने इस ऑपरेशन के लिए अत्याधुनिक बी-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर्स का इस्तेमाल किया गया, जो अमेरिका की वायुसेना के सबसे एडवांस्ड स्ट्रेटेजिक प्लेटफॉर्म्स में गिने जाते हैं.
राष्ट्रपति ट्रंप ने इन हमलों को 'बेहद सफल ऑपरेशन' करार दिया और दावा किया कि फोर्डो सेंटर, जिसे ईरान के परमाणु कार्यक्रम का सबसे अहम हिस्सा माना जाता था, अब पूरी तरह तबाह कर दिया गया है. ट्रंप ने कहा, 'फोर्डो अब बर्बाद हो चुका है.'
ईरान के विदेश मंत्रालय ने जारी किया बयान
ईरान के विदेश मंत्रालय ने भी अमेरिका के सैन्य हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है. मंत्रालय ने कहा कि यह हमला संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के सबसे बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन है. ईरान ने कहा कि इस गंभीर अपराध के खतरनाक परिणामों के लिए पूरी जिम्मेदारी अमेरिका की आक्रामक और गैरकानूनी सरकार पर होगी.
ईरान ने कहा कि UN के एक सदस्य देश की क्षेत्रीय अखंडता और राष्ट्रीय संप्रभुता के खिलाफ अमेरिका की यह सैन्य आक्रामकता एक बार फिर अमेरिका की दुर्भावना और ईरान के लोगों के खिलाफ उसकी शत्रुतापूर्ण मंशा को उजागर करती है. ईरान इस अमेरिकी आक्रामकता के खिलाफ पूरी मजबूती से प्रतिरोध करना और अपने राष्ट्रीय सुरक्षा और हितों की रक्षा करना अपना अधिकार मानता है. ईरान, संयुक्त राष्ट्र, सुरक्षा परिषद, महासचिव, अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) और अन्य संबंधित अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को उनकी जिम्मेदारी याद दिलाता है कि वे इस आपराधिक अंतरराष्ट्रीय उल्लंघन के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करें.
'भारी पड़ेगी दुनिया की चुप्पी'
ईरान ने चेतावनी दी है कि अगर इस खुले आक्रमण पर दुनिया चुप्पी साधे रहती है तो इससे पूरी दुनिया बड़े खतरे में पड़ जाएगी. मंत्रालय ने कहा कि IAEA और उसके महानिदेशक की जिम्मेदारी अब पहले से कहीं अधिक उजागर हो चुकी है. हम IAEA के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स से मांग करते हैं कि वह तुरंत बैठक बुलाए और ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु ठिकानों पर अमेरिका के हमले को लेकर अपनी कानूनी जिम्मेदारी निभाए. ये सभी ठिकाने IAEA की सख्त निगरानी और सुरक्षा व्यवस्था के तहत काम कर रहे थे.
ईरान ने कहा कि दुनिया को यह नहीं भूलना चाहिए कि अमेरिका ही था जिसने कूटनीतिक प्रक्रिया के बीच में इजरायली शासन के आक्रामक और गैरकानूनी कदमों का समर्थन कर कूटनीति को धोखा दिया और अब उसी राह पर चलते हुए ईरान के खिलाफ एक खतरनाक युद्ध शुरू कर दिया है. अब यह बात पूरी दुनिया के सामने स्पष्ट हो गई है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होने का दावा करने वाला यह देश न तो किसी नियम का सम्मान करता है और न ही किसी नैतिकता का. वह एक नरसंहारक और अवैध कब्जाधारी शासन के हितों की पूर्ति के लिए किसी भी हद तक जा सकता है और किसी भी अपराध से पीछे नहीं हटता.