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भारत और पाकिस्तान में हुआ युद्ध तो किसके साथ खड़े होंगे अमेरिका-चीन? जानें क्या कह रहे ग्लोबल एक्सपर्ट

साउथ एशिया मामलों के एक्सपर्ट और फॉरेन पॉलिसी मैग्जीन के राइटर माइकल कुगलमन का कहना है कि भारत अब पाकिस्तान की तुलना में अमेरिका का कहीं अधिक करीबी साझेदार है. भारत यदि पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करता है, तो अमेरिका उसके आतंकवाद-रोधी कदमों के प्रति सहानुभूति रख सकता है और उसके रास्ते में बाधा उत्पन्न करने का प्रयास नहीं करेगा.

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भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप. (Photo: Reuters)
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप. (Photo: Reuters)

अमेरिका का कहना है कि वह पहलगाम आतंकी हमले के बाद बने तनावपूर्ण माहौल को लेकर भारत और पाकिस्तान दोनों के संपर्क में है और उनसे एक जिम्मेदार समाधान की दिशा में काम करने का आग्रह किया है. अमेरिकी सरकार ने हमले के बाद भारत के प्रति समर्थन तो व्यक्त किया है, लेकिन अब तक पाकिस्तान की आलोचना नहीं की है. भारत ने 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के लिए पाकिस्तान को दोषी ठहराया, जिसमें 26 पर्यटकों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. पाकिस्तान ने भारत के आरोपों को खारिज किया है और इस आतंकी हमले की निष्पक्ष जांच की मांग की है.

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अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा, 'यह एक उभरती हुई स्थिति है और हम घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रख रहे हैं. हम कई स्तरों पर भारत और पाकिस्तान की सरकारों के संपर्क में हैं. अमेरिका दोनों पक्षों से एक जिम्मेदार समाधान की दिशा में मिलकर काम करने अनुरोध करता है.' अमेरिका ने यह भी कहा कि वाशिंगटन भारत के साथ खड़ा है और पहलगाम में आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करता है. भारत एशिया में अमेरिका का एक महत्वपूर्ण साझेदार है. वाशिंगटन का लक्ष्य चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करना है और इसके लिए वह इस क्षेत्र में भारत से अच्छे रिश्ते साझा करता है.

भारत की कार्रवाई का समर्थन करेगा अमेरिका: माइकल कुगलमैन

दूसरी ओर पाकिस्तान भी लंबे समय से अमेरिका का सहयोगी बना हुआ है, भले ही पड़ोसी अफगानिस्तान से 2021 में अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद वाशिंगटन के लिए इसका महत्व कम हो गया है. साउथ एशिया मामलों के एक्सपर्ट और फॉरेन पॉलिसी मैग्जीन के राइटर माइकल कुगलमन का कहना है कि भारत अब पाकिस्तान की तुलना में अमेरिका का कहीं अधिक करीबी साझेदार है. कुगलमन ने रॉयटर्स को बताया, 'इससे इस्लामाबाद को चिंता हो सकती है कि यदि भारत सैन्य जवाबी कार्रवाई करता है, तो अमेरिका उसके आतंकवाद-रोधी कदमों के प्रति सहानुभूति रख सकता है और उसके रास्ते में बाधा उत्पन्न करने का प्रयास नहीं करेगा.'

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कुगलमैन ने कहा कि अमेरिका पहले से ही यूक्रेन-रूस युद्ध और इजरायल-हमास युद्ध में काफी इन्वॉल्व है और इन दोनों युद्धों को समाप्त कराने के लिए कूटनीतिक प्रयासों में जुटा है. कहा जा सकता है कि ट्रंप प्रशासन वैश्विक पटल पर बहुत कुछ निपटा रहा है और कम से कम भारत के साथ तनाव के शुरुआती दिनों में वह पाकिस्तान को उसके हाल पर छोड़ सकता है. अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत और हडसन इंस्टीट्यूट थिंक टैंक के सीनियर फेलो हुसैन हक्कानी ने भी कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि इस समय अमेरिका इस मुद्दे में हस्तक्षेप करने के मूड में नहीं है. 

US की इस मामले में हस्तक्षेप की नहीं है दिलचस्पी: हुसैन हक्कानी

हक्कानी ने कहा, 'भारत की सीमा पार से आतंकवाद के पनपने या उसे समर्थन मिलने की शिकायत लंबे समय से है. पाकिस्तान को लंबे समय से लगता है कि भारत उसे खंडित करना चाहता है. दोनों ही देश हर कुछ सालों में एक उन्माद की स्थिति में पहुंच जाते हैं. इस बार अमेरिका की स्थिति को शांत करने में कोई दिलचस्पी नहीं है.' चीन ने भी पहलगाम हमले की निंदा की, लेकिन इसमें पाकिस्तान की संलिप्तता पर चुप्पी साध ली. विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की तुलना में चीन भले ही पाकिस्तान के बहुत ज्यादा करीब है, लेकिन आर्थिक मोर्चे पर अमेरिका से मिल रही चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत के साथ खड़ा होना उसकी भी मजबूरी है. अगर भारत जवाबी सैन्य कार्रवाई करता है, तो इस बात की बहुत कम संभावना है कि चीन से उसे किसी तरह के प्रतिरोध का सामना करना पड़ा. क्योंकि अमेरिका के साथ टैरिफ वॉर के बीच बीजिंग कतई नहीं चाहेगा कि भारत के साथ उसके व्यापारिक रिश्ते प्रभावित हों. 

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भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहलगाम के हमलावरों को पाताल से भी खींच लाने  की कसम खाई है और कहा है कि इस आतंकी वारदात की योजना बनाने और उसे अंजाम देने वालों को उनकी कल्पना से परे सजा दी जाएगी. भारत में लोग पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. पहलगाम आतंकी हमले के बाद, भारत और पाकिस्तान ने एक-दूसरे के खिलाफ कई कदम उठाए हैं. भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है, जो सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के जल-बंटवारे को नियंत्रित करती है. वहीं पाकिस्तान ने भारतीय एयरलाइनों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया है. भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि पहलगाम हमले की जिम्मेदारी लेने वाला आतंकी संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट', लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों का ही एक मुखौटा संगठन है. 

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