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ट्रंप के मध्य-पूर्व दौरे से इतना परेशान क्यों है इजरायल? सऊदी, ईरान पर इन फैसलों ने बढ़ाई नेतन्याहू की चिंता

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मध्य-पूर्व यात्रा पर हैं जहां वो सऊदी अरब, यूएई और कतर के नेताओं से मिलेंगे. इस दौरान खाड़ी देशों और अमेरिका के बीच कई बड़े समझौते होने की उम्मीद है. ट्रंप अपने मध्य-पूर्व दौरे में इजरायल नहीं जाएंगे जिसे लेकर प्रधानमंत्री नेतन्याहू और सरकार के अधिकारी चिंतित हैं.

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 डोनाल्ड ट्रंप के खाड़ी देशों के दौरे से इजरायल बेहद चिंतित है (Photo- Reuters)
डोनाल्ड ट्रंप के खाड़ी देशों के दौरे से इजरायल बेहद चिंतित है (Photo- Reuters)

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मंगलवार को अपने मध्य-पूर्व दौरे में सऊदी अरब पहुंचे हैं जहां उनका स्वागत क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने किया है. अपने मध्य-पूर्व दौरे में ट्रंप सऊदी अरब के अलावा संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और कतर जाएंगे. व्हाइट हाउस ने ट्रंप के इस दौरे को "मध्य पूर्व में अमेरिका की ऐतिहासिक वापसी" कहा है. लेकिन ट्रंप के इस यात्रा प्रोग्राम में इजरायल शामिल नहीं है.

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पिछले साल नवंबर में जब ट्रंप ने राष्ट्रपति का चुनाव जीता था तब इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू बेहद खुश हुए थे. नेतन्याहू का मानना था कि रिपब्लिकन्स की मध्य-पूर्व नीतियां निस्संदेह इजरायल के हितों के अनुकूल होंगी और वो खुद ट्रंप के साथ मिलकर इसे बनाने में सहयोग करेंगे.

लेकिन जैसा नेतन्याहू ने सोचा था, वैसा बिल्कुल भी नहीं हो रहा. बेशक, अमेरिका इजरायल का सबसे मजबूत वैश्विक सहयोगी और हथियारों का मुख्य आपूर्तिकर्ता बना हुआ है लेकिन ट्रंप एक ऐसी पश्चिम एशिया नीति को बढ़ावा दे रहे हैं जो कई मामलों में नेतन्याहू और उनकी सरकार के हितों के बिल्कुल उलट है.

ईरान के साथ इजरायल की इच्छा के खिलाफ जाकर परमाणु वार्ता शुरू करना, यमन के हूती विद्रोहियों के साथ समझौता और हमास के साथ सीधी बातचीत की घोषणा- ये कुछ झटके हैं जिन्हें अमेरिका ने इजरायल को पहले ही दे दिए हैं.

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इजरायल के दक्षिणपंथी हलकों में तो ऐसाी अफवाहें भी फैल रही हैं कि ट्रंप ने फिलिस्तीनी राज्य के लिए एकतरफा अमेरिकी समर्थन की घोषणा कर दी है. और अगर ऐसा है तो यह इजरायल के लिए बहुत बड़ा झटका है. ऐसे में ट्रंप का मध्य-पूर्व दौरा इजरायल को और परेशान कर रहा है. इजरायली अधिकारियों को चिंता है कि ट्रंप के मध्य-पूर्व दौरे से कोई नया सरप्राइज फिर से आ सकता है.

'...तब तक इजरायल का दौरा नहीं करेंगे ट्रंप'

मामले से परिचित एक सूत्र अमेरिकी न्यूज वेबसाइट सीएनएन को बताया कि इजरायली अधिकारियों ने ट्रंप की यात्रा के दौरान उनके यरुशलम या तेल अवीव में रुकने की संभावना के बारे में पूछा. लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप ने पिछले हफ्ते यह कहकर उन उम्मीदों पर पानी फेर दिया कि इजरायल में रुकने का उनका कोई प्लान नहीं है.

ट्रंप ने कहा, 'हम कभी और वहां जाएंगे. लेकिन इस यात्रा के दौरान वहां नहीं जाएंगे.'

इजरायल चाहता तो ट्रंप को अपने देश आने के लिए राजी कर सकता था. वो चाहता तो गाजा में व्यापक युद्ध विराम समझौते के लिए राजी हो जाता, गाजा में मानवीय सहायता प्लान पर सहमत हो जाता. लेकिन इजरायल ऐसा कुछ भी नहीं कर रहा बल्कि वो युद्ध का विस्तार ही कर रहा है. सोमवार को हमास ने आखिरी अमेरिकी बंधक एडन अलेक्जेंडर को भी रिहा कर दिया, बावजूद इसके, इजरायल और हमास के बीच व्यापक युद्धविराम होता नहीं दिख रहा है.

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इधर, सूत्रों का कहना है कि हमास के साथ युद्ध का जब तक कोई नतीजा नहीं निकलता, ट्रंप इजरायल नहीं जाएंगे.

अमेरिका में इजरायल के प्रभाव में आई कमी

ट्रंप ने 20 जनवरी को अपना दूसरा कार्यकाल शुरू किया था और इसके कुछ ही दिन बाद फरवरी में नेतन्याहू ने ट्रंप से मुलाकात की थी. अप्रैल में वो फिर अमेरिका पहुंचे और पहले ऐसे नेता बने जिसने ट्रंप के टैरिफ घोषणा के बाद अमेरिका से व्यापार समझौता शुरू करने की कोशिश की. हालांकि, नेतन्याहू को ट्रंप ने निराश भेज दिया और दोनों देशों के बीच कोई व्यापार समझौता नहीं हुआ. इसी के साथ ही एक ऐसी घोषणा भी की जिससे इजरायल काफी निराश हुआ.

ट्रंप ने इजरायल को चौंकाते हुए घोषणा की कि अमेरिका ईरान के साथ एक नए परमाणु समझौते पर बातचीत शुरू करने जा रहा है.

पूर्व इजरायली राजनयिक एलन पिंकास का कहना है कि नेतन्याहू की दिक्कत ये है कि अमेरिका में उनके पास काफी कम प्रभाव बचा है. पिंकस ने सीएनएन से कहा, 'नेतन्याहू के पास ऐसा कुछ भी नहीं है जो ट्रंप चाहते हों, जिसकी उन्हें जरूरत हो या जो वे उन्हें दे सकें, जैसा कि सऊदी, कतर या अमीरात के पास है.'

अमीर अरब देशों ने अमेरिका में खरबों डॉलर के निवेश का वादा किया है और वो अमेरिका से बड़े हथियार खरीद की घोषणा कर सकते हैं, जिसे ट्रंप अमेरिकी हथियार मैन्युफैक्चरिंग की जीत के रूप में प्रचारित कर सकते हैं.

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इजरायल को बाइपास कर रहा अमेरिका

अमेरिका की मध्य-पूर्व नीति में इजरायल की लगातार अनदेखी हो रही है. हमास के साथ इजरायल का युद्ध शुरू होने से पहले अमेरिका इजरायल और सऊदी अरब के बीच एक सामान्यीकरण समझौता करा रहा था.

समझौते के बदले में सऊदी अरब को नागरिक परमाणु कार्यक्रम में अमेरिका मदद करने वाला था. लेकिन युद्ध की वजह से सऊदी-इजरायल समझौता रुक गया और अब कहा जा रहा है कि समझौते में अमेरिका को कोई दिलचस्पी नहीं बची है. वो सऊदी अरब से नागरिक परमाणु प्रोग्राम में मदद के लिए इजरायल के साथ सामान्यीकरण समझौते की मांग नहीं कर रहा है.

रविवार को, ट्रंप प्रशासन ने इजरायल के बिना ही हमास के साथ एक डील फाइनल की जिसके बाद बंधक बनाए गए आखिरी अमेरिकी इजरायली नागरिक एडन अलेक्जेंडर को रिहा किया गया.

इजरायली अधिकारी अब इस बात लेकर फिक्रमंद हैं कि ट्रंप गाजा में इजरायल के हमले की निंदा करने वाले खाड़ी देशों के साथ मुलाकात में कई दिन बिताने वाले हैं. इस दौरान हमास के साथ युद्ध और संघर्षविराम वार्ता को लेकर उनका रुख बदल सकता है.

अमेरिका को अरबों डॉलर का फायदा कराएगा ट्रंप का मध्य-पूर्व दौरा

ट्रंप का तीन दिनों का खाड़ी देशों का दौरा एक सोची-समझी रणनीति के तहत हो रहा है जिसमें अमेरिका के पारंपरिक सहयोगियों यानी खाड़ी के अमीर देशों से वो आर्थिक और सुरक्षा संबंधों को मजबूत बनाना चाहते हैं.

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ट्रंप के दौरे में अमेरिका और अरब देशों के बीच अरबों डॉलर के कई समझौते होने की संभावना है. अमेरिका से हथियारों की खरीद, अमेरिका में खाड़ी देशों के निवेश को लेकर कई समझौते हो सकते हैं. ट्रंप के अनुसार, कतर उन्हें एक फ्री लग्जरी जेट, Boing 747-8 भी दे रहा है. लग्जरी जेट की कीमत 40 करोड़ डॉलर बताई जा रही है. 

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