चार साल में 30 हजार से ज्यादा झूठ... धड़ाधड़ झूठ बोलने का यह आंकड़ा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का है. ताजा मामला भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर का है. 10 मई को डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर का ऐलान कर सबको चौंका दिया. हैरानी की बात थी कि सीजफायर का ऐलान ना तो भारत की ओर से और ना ही पाकिस्तान की ओर से किया बल्कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने इसकी जानकारी दी. लेकिन कुछ दिनों के भीतर ही वह सीजफायर कराने के अपने दावे से मुकर गए.
वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने 20 जनवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी. कार्यकाल के 100 दिन पूरा होने पर उन्होंने टाइम्स मैगजीन को एक इंटरव्यू दिया था. इस इंटरव्यू के बाद रिपोर्ट में बताया गया कि ट्रंप ने इस दौरान 32 ऐसे दावे किए थे जो पूरी तरह से झूठे और भ्रामक थे.
डोनाल्ड ट्रंप का राष्ट्रपति के तौर पर पहला कार्यकाल भी झूठ से भरा हुआ था. इस लेकर वॉशिंगटन पोस्ट ने एक रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट में बताया गया था कि ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान दिसंबर 2017 से जनवरी 2021 के बीच 30,573 झूठ बोले थे. इस तरह उन्होंने रोजाना औसतन 21 झूठे दावे किए थे.
रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल के पहले साल हर दिन औसतन 6 झूठे या भ्रामक दावे किए थे. दूसरे साल में हर दिन 16, तीसरे साल में हर दिन 22 और चौथे साल में हर दिन 39 झूठे दावे किए. यह दिखाता है कि कार्यकाल खत्म होने के साथ-साथ ट्रंप के झूठे और भ्रामक दावे भी बढ़ गए थे।
2020 के राष्ट्रपति चुनाव से पहले ट्रंप के झूठ बोलने की रफ्तार बढ़ गई थी. अक्टूबर 2020 में ट्रंप ने एक महीने में 3,917 झूठे या भ्रामक दावे किए थे. इससे पहले सितंबर में उन्होंने 2,239 झूठे दावे किए थे. वहीं, राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग से एक दिन पहले 2 नवंबर को ट्रंप ने 539 झूठे और भ्रामक दावे किए थे.
सीजफायर पर ट्रंप ने क्या-क्या दावे किए?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 10 मई को सोशल मीडिया पोस्ट पर ऐलान किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने में अहम भूमिका निभाई. उन्होंने कहा कि उनकी मध्यस्थता के कारण दोनों देश युद्ध से बचे, जिससे लाखों लोगों की जिंदगी बच सकी.
लेकिन 15 मई को ट्रंप ने अपने बयान से पलटते हुए कहा कि मैंने यह कभी नहीं कहा कि मैंने मध्यस्थता कराई। मैंने सिर्फ भारत और पाकिस्तान को युद्धविराम तक पहुंचाने में मदद की. उनका यह स्पष्टीकरण तब आया, जब भारत ने उनके दावे को खारिज किया और कहा कि युद्धविराम द्विपक्षीय बातचीत और भारत की सैन्य ताकत का परिणाम था, न कि किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता का.
ट्रंप ने दावा किया था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान को व्यापार रोकने की धमकी देकर युद्धविराम के लिए मजबूर किया. उन्होंने कहा कि मैंने दोनों देशों से कहा कि मैंने बहुत मदद की. हमने ट्रेड से मदद की. हमने कहा कि हम आपके साथ बहुत सारा ट्रेड करते हैं, इसे बंद करें. अगर आप रुकेंगे तो हम ट्रेड करेंगे, अगर नहीं रुकेंगे तो हम ट्रेड नहीं करेंगे.
लेकिन भारत ने ट्रंप के इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि 7 से 10 मई तक अमेरिकी अधिकारियों के साथ हुई बातचीत में व्यापार का कोई जिक्र नहीं हुआ. भारत ने जोर देकर कहा कि युद्धविराम सैन्य और राजनयिक स्तर पर द्विपक्षीय समझौते का नतीजा था. भारत के इस रुख के बाद ट्रंप ने बाद में कतर में अपने बयान में कहा कि उन्होंने केवल मदद करने की बात कही थी.
इसी के साथ ट्रंप ने युद्धविराम की घोषणा के बाद सुझाव दिया कि वह कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता कर सकते हैं. उन्होंने कहा था कि मैं दोनों के साथ मिलकर यह देखना चाहता हूं कि क्या एक हजार साल पुराने कश्मीर विवाद का समाधान हो सकता है.
भारत ने इस प्रस्ताव को यह कहते हुए सिरे से खारिज कर दिया कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार्य नहीं है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से संबंधित कोई भी मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच ही हल होगा.
इतना ही नहीं ट्रंप ने 13 मई को दावा किया था कि उनकी मध्यस्थता ने भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध को रोक दिया है, जिससे लाखों लोगों की जान बचाई गई. भारत ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि उसका सैन्य अभियान ऑपरेशन सिंदूर पूरी तरह से पारंपरिक था और किसी परमाणु स्थल को निशाना नहीं बनाया गया.
बता दें कि दिसंबर 2018 में वॉशिंगटन पोस्ट ने Bottomless Pinocchio नाम से एक नई कैटेगरी बनाई थी. इस कैटेगरी में ट्रंप एकमात्र नेता थे. उनके अधिकतर दावे झूठे और भ्रामक होने की वजह से उन्हें इस लिस्ट में रखा गया था.